रेटिंग एजेंसी केयरएज के आंकड़ों से पता चलता है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा म्युचुअल फंडों से जुटाया गया धन अप्रैल 2024 में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 30 फीसदी बढ़कर 2.08 लाख करोड़ रुपये हो गया।
वहीं म्युचुअल फंड द्वारा एनबीएफसी को दिए जाने वाले कर्ज में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में महज 0.2 फीसदी बढ़ोतरी हुई है, जो अप्रैल 2023 में 1.6 लाख करोड़ रुपये था। विश्लेषकों और एनबीएफसी के अधिकारियों ने कहा कि फंडिंग में यह बढ़ोतरी बेहतरीन रेटिंग वाली फाइनैंस फर्मों को धन देने को लेकर भरोसे का संकेत देता है।
बैंकों द्वारा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को मुहैया कराए जा रहे धन की रफ्तार को धीमा करने के लिए आए भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश और संपत्ति प्रबंधन कंपनियों और बैंकों से लिए गए धन की लागत में अंतर कम होने की वजह से वित्तपोषण में वृद्धि हुई है।
केयरएज में सीनियर डायरेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि 5 साल पहले म्युचुअल फंडों द्वारा एनबीएफसी को मुहैया कराए जाने वाले धन को लेकर जोखिम से बचने की कवायद होती थी। म्युचुअल फंड योजनाओं के निवेशक इस तरह के एक्सपोजर को लेकर सहज नहीं थे। ऐसे में एनबीएफसी धन के लिए बैंकों के पास जाते थे।
बहरहाल पिछले 3-4 साल में स्थिति बदली है और एनबीएफसी को धन देने को लेकर सहजता बनी है। बेहतर रेटिंग वाली एनबीएफसी से मुनाफा बढ़िया होता है और वित्तीय कंपनियां भी धन के स्रोत को लेकर विविधीकरण पर ध्यान दे
रही हैं।
बैंकों से एनबीएफसी ने कुल मिलाकर म्युचुअल फंड की तुलना में बहुत ज्यादा धन लिया है। एनबीएफसी पर बैंकों का बकाया अप्रैल 2024 में 15.54 लाख करोड़ रुपये था। बैंकों द्वारा एनबीएफसी को दिया जाने वाला ऋण अप्रैल 2024 में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 14.6 फीसदी बढ़ा है जबकि अप्रैल 2023 में 29.2 फीसदी वृद्धि हुई थी।
म्युचुअल फंडों द्वारा कमर्शियल पेपर (सीपी) और कॉर्पोरेट ऋण सहित एनबीएफसी को दिया गया ऋण 55 महीने बाद बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया। इसके पहले अगस्त 2019 में एक्सपोजर 2 लाख करोड़ रुपये से ऊपर था। सीपी बकाया 1.18 लाख करोड़ रुपये रहा। यह स्तर 5 साल पहले मई 2019 में था।