बाजार

गायब सूचीबद्ध‍ फर्मों पर नजर

Published by
सचिन मामपट्टा
Last Updated- January 16, 2023 | 12:15 AM IST

एशिया के सबसे पुराने एक्सचेंज ने वैसी कई फर्मों से संपर्क करने की कोशिश की, जिन्हें सूचीबद्ध‍ता की अनिवार्यता पूरी न करने के कारण निलंबित कर दिया गया था, लेकिन उनके पंजीकृत कार्यालय के पते पर भेजे गए पत्र वापस आ गए।

बीएसई ने अब उन्हें फरवरी के पहले हफ्ते में व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिया है, जिसके बाद उन्हें अनिवार्य तौर पर स्टॉक एक्सचेंज से असूचीबद्ध‍ कर दिया जाएगा। स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध बने रहने के लिए जरूरी सेबी की लिस्टिंग ऑब्लिगेशन ऐंड डिस्क्लोजर रीक्वायरमेट नियमन 2015 का उल्लंघन करते इन्हें पहले ही पाया गया है।

कंपनियों के भेजे गए एक्सचेंज के नोटिस में कहा गया है, एक्सचेंज ने अनिवार्य तौर पर उन कंपनियों को असूचीबद्ध‍ करने की प्रक्रिया शुरू की है, जो सेबी के नियमन का अनुपालन न करने पर छह महीने से ज्यादा समय से निलंबित हैं।

साथ ही उन्होंने तय समयसीमा में निलंबन से बाहर निकलने के लिए औपचारिकताएं पूरी नहीं की। इस सूची में शामिल कंपनियां ट्रेडिंग, फाइनैंस, पैकेजिंग, टेक्सटाइल, रियल्टी व अन्य क्षेत्रों की हैं। इनमें ट्रेडिंग व फाइनैंस कंपनियों की हिस्सेदारी आधा-आधा दर्जन है।

इन कंपनियों के शेयरधारिता आंकड़ों का विश्लेषण बिजनेस स्टैंडर्ड ने किया है और इससे पता चलता है कि हर शेयर में औसतन 2,000 से ज्यादा वैयक्तिक शेयरधारक फंस गए हैं। कुछ में 10,000 से ज्यादा शेयरधारक हैं।

वैयक्तिक शेयरधारकों के लिहाज से अग्रणी कंपनियों में सनस्टार रियल्टी डेवलपमेंट (11,788 वैयक्तिक शेयरधारक), साई बाबा इन्वेस्टमेंट ऐंड कॉमर्शियल एंटरप्राइजेज (11,389), डीएमसी एजुकेशन (7,732), एसिल कॉटन इंडस्ट्रीज (6,346), आईबीएम वॉटसन (4,663) शामिल हैं। 26 में से 20 कंपनियों की उपलब्ध शुरुआती कीमत 1900 के दशक से है। इस अवधि में बड़ी संख्या में कंपनियां बाजार में उतरी थीं।

उदाहरण के लिए 1994-95 में 1,336 कंपनियां सूचीबद्ध‍ हुई थी। 1,402 कंपनियों की सूचीबद्ध‍ता 1995-96 में हुई। कई ने निवेशकों से रकम जुटाई और फिर उनका पता नहीं चल सका। ये गायब कंपनियों के नाम से जानी जाती हैं।

बिजनेस स्टैंडर्ड ने साल 2021 में खबर दी थी कि अपने-अपने पंजीकृत पते पर करीब 50 कंपनियां नहीं पाई गई। एक्सचेंज के एक अधिकारी ने कहा था कि कंपनी मामलों का मंत्रालय उन्हें गायब कंपनियों के तौर पर वर्गीकृत करने का फैसला लेता है।

मंत्रालय के अधिकारी ने उस समय कहा था कि कंपनी अधिनियम 2013 में गायब कंपनियों के लिए कोई प्रावधान नहीं है, हालांकि अधिकारी ऐसी कंपनियों का नाम हटाने और उनके बैंक खाते को ब्लॉक करने से संबंधित कार्रवाई कर सकते हैं।

एक्सचेंज भी 10 कंपनियों तक पहुंच पाया, जहां नोटिस उनके आधिकारिक कॉरपोरेट कार्यालय के पते पर प्राप्त किए गए, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।

First Published : January 16, 2023 | 12:15 AM IST