विश्लेषकों ने सोमवार को आगाह किया कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में मौजूदा गिरावट आगे भी जारी रह सकती है। एसीई इक्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांक और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांक अक्टूबर महीने में 6.7 और 3 प्रतिशत गिर गए। ये दोनों अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तरों से क्रमशः 8.8 प्रतिशत और 6.2 प्रतिशत तक गिर चुके हैं।
किसी शेयर में हाल के ऊंचे स्तर से 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट से उसे ‘करेक्शन’ के दौर में माना जाता है। बाजार विश्लेषक ए के प्रभाकर ने कहा, ‘मिडकैप, स्मॉलकैप सूचकांकों में लगभग 10 प्रतिशत की ताजा गिरावट के बावजूद यह सेगमेंट उचित भावों पर कारोबार करता नहीं दिख रहा है। कुछ हद तक अच्छी खरीदारी को बढ़ावा देने के लिए कीमतों में और गिरावट जरूरी है। इन शेयरों में अति उत्साह हमेशा बरकरार नहीं रह सकता।’
इंद्रप्रस्थ गैस, वोडाफोन आइडिया, एलऐंडटी फाइनैंस, एमऐंडएम फाइनैंशियल सर्विसेज, कोलगेट पामोलिव (इंडिया), ऑयल इंडिया, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, स्टार हेल्थ ऐंड अलायड इंश्योरेंस, सुजलॉन एनर्जी, डेलिवरी और जुबिलेंट फूडवर्क्स उन मिडकैप शेयरों में शामिल हैं जिनमें पिछले महीने 15 से 25 प्रतिशत के बीच गिरावट दर्ज की गई।
स्मॉलकैप में चेन्नई पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, पीएनसी इन्फ्राटेक, एमओआईएल, शोभा, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, एस्कॉर्ट्स कुबोटा और सिएट में इस दौरान 31.5 प्रतिशत तक की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अहम दिन है और 8 नवंबर को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को लेकर अपना निर्णय सुनाएगा, जिससे अभी बाजार में उतार-चढ़ाव रह सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि बाजार में अल्पावधि के लिहाज से सकारात्मक कारकों का अभाव है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में रिटेल रिसर्च के प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘आरबीआई अभी ब्याज दरों पर कोई कदम उठाने से दूर ही रहा है तथा भारतीय उद्योग जगत की तिमाही आय में सुस्ती देखी जा रही है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि बाजार में जल्द उछाल देखने को मिले।’
भारतीय उद्योग जगत की आय सुस्त
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के कवरेज वाली 166 कंपनियों के विश्लेषण के अनुसार चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में आय वृद्धि 17 तिमाहियों के निचले स्तर पर रही है और सालाना आधार पर इसमें 8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि 4 प्रतिशत कमी का अनुमान लगाया गया था।
जहां तक निफ्टी 50 की बात है तो अब तक घोषित 34 निफ्टी कंपनियों की आय सालाना आधार पर सपाट रही है जबकि अनुमान 2 प्रतिशत सालाना वृद्धि का था। इस प्रकार वित्त वर्ष 2025 के लिए निफ्टी ईपीएस अनुमान 1.2 प्रतिशत घटाकर 1,059 रुपये कर दिया गया है, जिसका मुख्य कारण बीपीसीएल, रिलायंस इंडस्ट्रीज और कोल इंडिया हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इससे निकट भविष्य में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों के परिदृश्य पर असर पड़ सकता है।
कहां करें निवेश?
हालांकि विश्लेषकों को निकट भविष्य में बाजार में टिकाऊ सुधार की उम्मीद नहीं है लेकिन उनका अनुमान है कि बाजार के स्थिर होने पर चुनिंदा वित्तीय कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम वापसी करेंगे। खेमका ने कहा, ‘रेलवे, उर्वरक और कृषि से जुड़े शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है, खास तौर पर 2025-26 के केंद्रीय बजट से पहले। इस बीच, वित्तीय, स्वास्थ्य सेवा, औद्योगिक, डिस्क्रेशनरी, रियल एस्टेट और आभूषण कंपनियों सहित और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माता कंपनियों की रफ्तार अपेक्षाकृत लचीली रह सकती है।’