घरेलू म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग के लिए प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) वर्ष 2029-30 तक बढ़कर 92 अरब रुपये पर पहुंच जाने की संभावना है। इसका मतलब है कि वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2030 के बीच सालाना 12.7 प्रतिशत की वृद्घि। जून 2021 तिमाही के अंत में इस उद्योग की एयूएम 34 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज की गईं।
‘चेजिंग द लॉन्ग टेल’ शीर्षक वाली अपनी एक रिपोर्ट में एलारा कैपिटल ने कहा है कि परिसंपत्तियों के वित्तीयकरण से उद्योग की ढांचागत वृद्घि को बढ़ावा मिलेगा। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि म्युचुअल फंडों ने वित्तीय परिसंपत्तियों में पूंजी प्रवाह की अच्छी भागीदारी आकर्षित की है। एमएफ में सकल घरेलू निवेश वित्त वर्ष 2013-20 के दौरान 27.3 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्घि दर से बढ़ा है। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि तुलनात्मक तौर पर, वित्तीय परिसंपत्तियों में सकल घरेलू निवेश वित्त वर्ष 2012-20 के दौरान 11.5 प्रतिशत की सीएजीआर दर से बढ़ा।
एलारा के मधुकर लाढा और जेनिश करिया ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘हमारा मानना है कि एएमसी उद्योग को दबाव चक्र, कम पैठ, ऊंची बचत दरों और परिसंपत्तियों के वित्तीयकरण की दिशा में निर्णायक बदलाव से एमएफ परिसंपत्तियों में ढांचागत वृद्घि सुनिश्चित होगी।’
इलारा का कहना है कि जीडीपी के प्रतिशत के तौर पर एमएफ की एयूएम भारत बनाम वैश्विक औसत (63 प्रतिशत) में सिर्फ 12 प्रतिशत है और इसमें वृद्घि की अच्छी संभावना दिख रही है।
विश्लेषकों का कहना है, ‘पैठ स्तर दक्षिण अफ्रीका (48 प्रतिशत) और ब्राजील (68 प्रतिशत) जैसे विकासशील देशों के मुकाबले कम है। हमें एमएफ परिसंपत्तियां वित्त वर्ष 2030-ई तक 15.3 प्रतिशत के एयूएमजीडीपी अनुपात पर बढ़कर 92 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने की संभावना है।’
एचडीएफसी एमएफ के चेयरमैन दीपक पारेख ने पिछले सप्ताह फंड हाउस की सालाना आम बैठक के दौरान भी कम पैठ की समस्या का जिक्र किया था।
ऊंची वृद्घि के बावजूद, भारत का म्युचुअल फंड एयूएम-जीडीपी अनुपात काफी कम बना हुआ है। इसी तरह इक्विटी एयूएम-बाजार पूंजीकरण 5 प्रतिशत पर दर्ज किया गया, जबकि वैश्विक औसत 30 प्रतिशत पर है। उन्होंने कहा कि भारत का पैठ स्तर अन्य बड़े देशों के मुकाबले काफी कम बना हुआ है। भारत में 50 करोड़ से ज्यादा पैन नंबर हैं, लेकिन सिर्फ 2.2 करोड़ एमएफ निवेशक हैं। इससे उस भरोसे की पुष्टि होती है कि उद्योग में अच्छी वृद्घि की संभावना है।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि वित्त वर्ष 2030 तक 92 लाख करोड़ रुपये की एयूएम एक पारंपरिक अनुमान है।
हाल के समय में, कुछ फंड हाउसों और कंसल्टेंसी कंपनियों ने अनुमान जताया था कि यह उद्योग काफी जल्द 100 लाख करोड़ रुपये की एयूएम को पार कर जाएगा।
मौजूदा समय में, सूचीबद्घ क्षेत्र में तीन शुद्घ दांव वाले एमएफ हैं। एलारा ने यूटीआई एएमसी को ‘खरीदारी’, निप्पॉन लाइफ इंडिया एएमसी को ‘घटाएं’ और एचडीएफसी एएमसी को ‘एकत्रित करें’ की रेटिंग दी है।