मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज के स्टॉक एक्सचेंज एमसीएक्स-एसएक्स ने जब सोमवार शाम करेंसी फ्यूचर कारोबार के आगाज का ऐलान किया तो इससे जुड़े कारोबारी अगली सुबह का इंतजार करने लगे।
मंगलवार सुबह 9 बजे जैसे ही कारोबार शुरू हुआ, कारोबारियों ने करेंसी फ्यूचर में खरीदारी शुरू कर दी। आलम यह रहा कि पहले ही दिन कुल 59952 लॉट का कारोबार हुआ और रकम के लिहाज से यह 287.49 करोड़ रुपये बैठता है।
मंगलवार को कुल ओपन इंटरेस्ट रहा 17296 कॉन्ट्रैक्ट का। इस कारोबार के लिए एमसीएक्स-एसएक्स ने कुल 870 सदस्य बनाए हैं, जिनमें बड़े कॉरपोरेट घरानों के अलावा एचडीएफसी, एसबीआई, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया आदि शामिल हैं। एमसीएक्स के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
एमसीएक्स-एसएक्स देश का ऐसा तीसरा एक्सचेंज है जिसने करेंसी फ्यूचर कारोबार में कदम रखा है। इससे पहले नैशनल स्टॉक एक्सचेंज 29 अगस्त को और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एक अक्टूबर को करेंसी फ्यूचर कारोबार की शुरुआत कर चुका है। एमसीएक्स-एसएक्स में लॉट साइज है 1000 डॉलर का।
यहां भी सिर्फ और सिर्फ डॉलर में बोली लगाई जा सकेगी क्योंकि सेबी ने दूसरी मुद्राओं में कारोबार की फिलहाल अनुमति नहीं दी है। मंगलवार को एमसीएक्स-एसएक्स में सर्वाधिक सक्रिय अक्टूबर कॉन्ट्रैक्ट 49.20 रुपये पर खुला और ऊपर में 49.21 रुपये तक गया। 47.85 रुपये पर बंद होने से पहले यह नीचे में 47.70 रुपये तक लुढ़का था।
यहां कुल 12 कॉन्ट्रैक्ट उपलब्ध हैं और सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक करेंसी फ्यूचर कारोबार के लिए एक्सचेंज का प्लैटफॉर्म उपलब्ध होगा। दिन में 12 बजे के भाव के आधार पर और नकदी आधार पर इसका सेटलमेंट होगा यानी इसमें न तो डिलिवरी देने की जरूरत होगी और न ही डिलिवरी लेने की जरूरत।
इस तरह से हर कारोबारी को उनकी खरीद-बिक्री के हिसाब से नकद (रुपये में) में सेटलमेंट कर दिया जाएगा। इस प्लैटफॉर्म के जरिए आयातक, निर्यातक, निवेशक, बड़े कॉरपोरेट घराने और बैंक विदेशी मुद्रा यानी डॉलर की कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकेंगे और वह भी कम से कम ट्रांजेक्शन लागत पर। एफआईआई और एनआरआई को इस कारोबार में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी गई है।
क्या है करेंसी फ्यूचर
यह कारोबार स्टॉक फ्यूचर या निफ्टी फ्यूचर की तरह है। फर्क सिर्फ इतना है कि करेंसी फ्यूचर में शेयर की जगह डॉलर पर बोली लगाई जाएगी। इसकी कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव के हिसाब से किसी निवेशकों की लाभ-हानि का आकलन होगा।