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महंगाई, ओमीक्रोन की चिंता से टूटे बाजार

Last Updated- December 11, 2022 | 10:52 PM IST

यूरोप मेंं ओमीक्रोन के बढ़ते मामले और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से आक्रामक कदम उठाए जाने की संभावना के बीच बेंचमार्क सूचकांक सोमवार को टूट गए। बेंचमार्क सेंसेक्स ने बढ़त के साथ सत्र की शुरुआत की और 400 अंक तक चढ़ गया लेकिन मुनाफावसूली के कारण यह बढ़त कायम नहींं रख पाया। सेंसेक्स अंत में 503 अंकों की गिरावट के साथ 58,283 पर बंद हुआ। दूसरी ओर निफ्टी 143 अंक की गिरावट के साथ 17,368 पर टिका।
अमेरिका में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले नवंबर में बढ़कर 6.8 फीसदी पर पहुंच गई। 1982 के बाद उपभोक्ता महंगाई इस स्तर पर पहुंची है। महंगाई के हालिया आंकड़ों ने फेडरल रिजर्व की तरफ से बॉन्ड खरीद कार्यक्रम में कटौती और ब्याज दरों में जल्द बढ़ोतरी की चिंता पैदा की है। कम ब्याज दर और आक्रामक बॉन्ड खरीद से दुनिया भर के इक्विटी बाजारों को मदद मिली है, जिसमें भारत शामिल है और उसने मार्च 2020 के बाद से शानदार बढ़त दर्ज की है।
फेडरल रिजर्व दुनिया के 20 केंद्रीय बैंकों में शामिल है, जो इस हफ्ते बैठक का आयोजन कर रहा है, जिसमें यूरोपीय सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड शामिल है। विश्लेषकों ने कहा, इन बैठकों में होने वाले फैसले से ट्रेडरों को स्पष्टता मिलेगी और यह पता चलेगा कि ओमीक्रोन के बढ़ते मामलोंं से उपजी चुनौतियों व मौद्रिक नीति के कम सहयोग से कैसे निपटा जाए।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने कहा, आज हमने फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले घबराहट देखी। ट्रेडरों की तरफ से मुनाफावसूली हुई, जिन्होंंने तेजी के मौजूदा चक्र में कमाई की है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस पर नींद खराब करने की कोई वजह बनती है। पश्चिमी दुनिया की महंगाई का भारतीय इक्विटी पर शायद ही बड़ा असर दिखेगा। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने स्पष्ट किया है कि बॉन्ड खरीद मेंं कटौती काफी कम होगी। हालांकि भारत में आय व अर्थव्यवस्था मजबूत है और बाजार लंबी अवधि में इसका फायदा उठाएगा, अगर यह टिका रहता है।
भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई नवंबर में सालाना आधार पर बढ़कर 4.9 फीसदी हो गई। विश्लेषकों ने कहा कि महंगाई में बढ़ोतरी से आरबीआई पर ब्याज बढ़ाने का दबाव पड़ सकता है। अल्फानीति फिनटेक के संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा, महंगाई में बढ़ोतरी से आरबीआई नीतिगत बदलाव के लिए बाध्य हो सकता है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं। हमें नहीं पता कि कितने लंबे समय तक खुदरा निवेशक बाजार को सहारा देना जारी रखेंगे।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा, बाजार उम्मीद के मुताबिक एकीकृत हो रहा है। निवेशकों की नजर विभिन्न केंद्रीय बैंकों की बैठक पर होगी और वहां से उन्हें बाजार की दिशा का संकेत मिलेगा। पिछले दो हफ्ते में गिरावट और फिर स ुधार के बाद बाजार उच्चस्तर पर टिक नहींं पा रहा है, जो संकेत देता है कि कुछ समय तक इंडेक्स एकीकृत होता रहेगा।
बाजार में चढऩे व गिरने वाले शेयरों का अनुपात सकारात्मक रहा, बीएसई पर 1868 शेयर चढ़े जबकि 1,608 में गिरावट आई। सेंसेक्स में शामिल शेयरों में से दो तिहाई से ज्यादा टूटे। एक को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रीय सूचकांकों में गिरावट आई। ऊर्जा क्षेत्र के शेयर सबसे ज्यादा टूटे और इसका सूचकांक बीएसई पर 1.7 फीसदी फिसला।

First Published - December 13, 2021 | 11:51 PM IST

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