रतन टाटा समर्थित ब्रोकरेज फर्म अपस्टॉक्स के सह- संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी (CEO) रवि कुमार ने सुंदर सेतुरामन के साथ बातचीत में कहा कि ब्रोकिंग उद्योग के लिए नियामकीय बदलाव चुनौतीपूर्ण रहे हैं, लेकिन दीर्घावधि में हालात में सुधार आएगा। उनका कहना है कि उद्योग को हासिल होने वाली फ्लोट इनकम की राह में चुनौतियां हैं और ब्रोकरेज दरें बढ़ाई जा सकती हैं। मुख्य अंश:
लगातार 9वें महीने में सक्रिय ग्राहकों की संख्या घटी है। इसकी क्या वजह है? क्या यह गिरावट बरकरार रहेगी?
सक्रिय छोटे ग्राहकों की संख्या में गिरावट के लिए बाजार में बढ़ते उतार-चढ़ाव को जिम्मेदार माना जा सकता है, जिससे निवेशक अक्सर इक्विटी बाजारों में निवेश करने से परहेज करते हैं। चूंकि बाजार हाल के महीनों में काफी हद तक सपाट रहा है, इसलिए निवेश गतिविधियां धीमी पड़ी हैं। लेकिन बाजार में तेजी आने पर निवेशक रुझान भी मजबूत होगा। हालांकि बेहद महत्वपूर्ण सवाल यह है कि नए निवेशकों में इसकी पर्याप्त जानकारी नहीं है कि कैसे, कब और कहां निवेश किया जाए। प्रमुख फिनटेक कंपनी के तौर पर, अपस्टॉक्स ने यह चुनौती दूर करने के लिए ‘इन्वेस्ट राइट, इन्वेस्ट नाउ’ केम्पेन शुरू किया है।
सेबी द्वारा नियामकीय सख्ती बढ़ाई गई है। इसका राजस्व वृद्धि पर कितना प्रभाव पड़ेगा?
हाल में पेश नियम ज्यादा सख्त हैं। जहां नियामकीय बदलावों से राजस्व अस्थायी तौर पर प्रभावित हो सकता है, वहीं आखिरकार मध्यावधि से दीर्घावधि में निवेशक भरोसा बढ़ाने में मदद मिल सकेगी। यह खासकर हमारे जैसे रिटेल व्यवसायों के लिए लाभदायक है।
उद्योग को मिलने वाली फ्लोट इनकम पर भी दबाव पड़ा है। क्या इससे ब्रोकरेज दरों में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा?
फ्लोट आय के संदर्भ में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि अकाउंट सेटलमेंट नियमों के तहत ब्रोकरों को उन ग्राहकों के लिए पहले से ही तिमाही आधार पर खातों का निपटान करना जरूरी है जिन्होंने उस अवधि में कारोबार किया हो। वहीं, 30 दिन में कारोबार नहीं करने वाले खातों का निपटान हरेक 30 दिन में करना जरूरी है। इसका मतलब है कि ब्रोकर के पास मामूली नकदी रहती है और कम अवधि तक पैसा पास रहने से फ्लोट आय से ब्याज आय भी अपर्याप्त होती है। भारत में ब्रोकरेज दरें मौजूदा समय में सबसे कम हैं, और इन पर पुनर्विचार करने की जरूरत हो सकती है। यदि हालात सही रहे तो हम भविष्य में उचित समय पर ब्रोकरेज दर में बदलाव लाने पर विचार कर सकते हैं।
आपने पिछले कुछ वर्षों में नुकसान उठाया है। कब तक मुनाफे में लौटने की उम्मीद है? क्या कोष उगाही की कोई योजना है?
वित्त वर्ष 2023 में हमारी राजस्व वृद्धि मजबूत रही और यह हमारे प्रतिस्पर्धियों से ज्यादा रही, जिससे हमें नकदी प्रवाह के लिहाज से मजबूत कंपनी बनने में मदद मिल रही है। हमें अतिरिक्त कोष उगाही की अल्पावधि जरूरत नहीं है जिससे हम फिलहाल मजबूत वित्तीय हालत में हैं। भले ही हम भविष्य में सूचीबद्धता की संभावना को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन मौजूदा समय में इसके लिए अभी कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
क्या रिटेल भागीदारी घटने के बाद भी डीमैट की संख्या में तेजी बनी हुई है?
डीमैट खातों की संख्या में पूर्ववर्ती वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 31 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल डीमैट खातों की कुल संख्या 8.4 करोड़ थी। 1.4 अरब से ज्यादा की आबादी में से एक छोटा हिस्सा ही मौजूदा समय में निवेश कर रहा है। पिछले साल रिटेल भागीदारी में गिरावट के कई कारण थे, जिनमें वैश्विक तौर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा लगातार दर वृद्धि, रूस-यूक्रेन युद्ध, बढ़ती मुद्रास्फीति और विकसित देशों में बैकिंग संकट मुख्य रूप से शामिल है।