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Listing Regulations: सूचीबद्धता खुलासों के लिए सलाहकार समिति

22 सदस्यीय समिति कॉरपोरेट प्रशासन और प्रकटीकरण पर सलाह देगी, सेबी की अगली बैठक में सिफारिशों पर होगा विचार

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- September 05, 2024 | 10:47 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सूचीबद्धता से जुड़ी जिम्मेदारियों और खुलासों के नियम सरल बनाने के लिए एक सलाहकार समिति की स्थापना की है। इस समिति की कमान आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी के हाथों में होगी। 28 अगस्त को गठित 22 सदस्यीय समिति कॉरपोरेट प्रशासन, लिस्टिंग और लिस्टिंग के बाद की जिम्मेदारियों और खुलासा संबंधित जरूरतों पर सेबी को सलाह देगी।

समिति के अन्य सदस्यों में एन के दुआ (एमसीए में संयुक्त निदेशक), केकी मिस्त्री (एचडीएफसी बैंक में गैर-कार्यकारी निदेशक), स्टॉक एक्सचेंज के प्रमुख, प्रमुख सलाहकार फर्मों के एमडी और उद्योग निकायों, कंपनियों के प्रतिनिधि तथा कानूनी विश्लेषक शामिल हैं।

दिलचस्प बात यह है कि जून में सेबी ने एक अन्य विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों के आधार पर प्रकटीकरण और लिस्टिंग दायित्वों को सरल बनाने के लिए 50 बदलावों का प्रस्ताव रखा था। यह 21 सदस्यों वाली समिति थी, जिसकी अध्यक्षता एसके मोहंती (सेबी के पूर्व पूर्णकालिक सदस्य) कर रहे थे।

इसने 200 पृष्ठों की एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें संबंधित पक्ष लेनदेन, प्रमोटर पुनर्वर्गीकरण, निदेशक नियुक्तियों, आईपीओ पात्रता और प्रकटीकरण समय-सीमा में परिवर्तन का प्रस्ताव था। इन प्रस्तावों का मकसद सेबी के लिस्टिंग ऑब्लाइगेशंस ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (एलओडीआर) और इश्यू ऑफ कैपिटल ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (आईसीडीआर) नियमों में खामियां और अंतर दूर करना है।

ये दोनों विनियमन कॉरपोरेट प्रशासन को बनाए रखने और सूचना असमानता रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। सूत्रों का कहना है कि सेबी इस महीने के अंतिम सप्ताह में होने वाली अपनी अगली बोर्ड बैठक में मोहंती समिति द्वारा पेश सिफारिशों पर विचार कर सकता है।

विशेषज्ञ समूह ने प्रस्ताव दिया था कि यदि ऋण चुकाने के लिए आईपीओ के माध्यम से जुटाई गई धनराशि का उपयोग पूंजीगत व्यय के लिए किया जाता है तो प्रमोटरों के लिए लॉक-इन अवधि लंबी कर दी जाए। उसने मुकदमेबाजी या विवादों के खिलासों के लिए समय-सीमा मौजूदा 24 घंटे से बढ़ाकर 72 घंटे किए जाने का भी प्रस्ताव रखा था। नियामक ने आईपीओ-पूर्व लेनदेन के ज्यादा खुलासों पर भी जोर दिया है।

आरपीटी के मानदंडों में व्यापक बदलाव करते हुए सेबी ने परिभाषा, अनुमोदन और अर्ध-वार्षिक खुलासों में कई छूट का सुझाव दिया है।

First Published : September 5, 2024 | 10:47 PM IST