भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का 2.7 अरब डॉलर का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) कैलेंडर वर्ष 2022 में पांचवा सबसे बड़ा आईपीओ बनने जा रहा है। दक्षिण कोरिया की इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बैटरी निर्माता कंपनी एलजी एनर्जी सॉल्यूशंस का 10.8 अरब डॉलर का आईपीओ इस साल का सबसे बड़ा आईपीओ है जिसके बाद चीन की मोबाइल संचार प्रदाता चाइना मोबाइल का आईपीओ है जिसने इससे 8.6 अरब डॉलर जुटाए हैं।
दुबई की इलेक्ट्रिसिटी ऐंड वाटर अथॉरिटी (डीईडब्ल्यूए) का 1.6 अरब डॉलर का आईपीओ मार्च में आया था जो फिलहाल साल का तीसरा सबसे बड़ सार्वजनिक निर्गम है जिसके बाद चाइना नैशनल ऑफशोर ऑयल कॉर्पोरेशन (सीएनओओसी) का आईपीओ है। इस कंपनी ने अपने इस आईपीओ के माध्यम से 5.1 अरब डॉलर जुटाए थे। कंपनी ने धन जुटाने के लिए अमेरिकी शेयर बाजारों से असूचीबद्घ होने के उपरांत मेनलैंड चाइना में शेयर जारी किए थे।
एलआईसी का आईपीओ ऐसे समय पर आ रहा है जब वैश्विक सौदोंं का प्रवाह सुस्त पड़ चुका है। 2022 की पहली तिमाही के दौरान वैश्विक स्तर पर आईपीओ की संख्या में सालाना आधार पर करीब 40 फीसदी की गिरावट आई जबकि रकम 54 अरब डॉलर के साथ करीब आधी रह गई। डीईडब्ल्यूए और एलआईसी को छोड़कर इस साल पूरे हुए अधिकांश शीर्ष सौदों की घोषणा पिछले वर्ष हुई थी। लय में सुस्ती को देखते हुए एलआईसी के 10 निवेश बैंकों ने सतर्क रुख अपनाया है और सौदे के आकार को पहले के अनुमानित 8 अरब डॉलर (60,000 करोड़ रुपये) से घटाकर 2.7 अरब डॉलर (21,000 रुपये) कर दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एलआईसी के पहले के आईपीओ ने भारत के पूंजी बाजार की गहराई की थाह ली है। उनका कहना है कि आकार कम होने की वजह से यह बाजार की जरूरत से कम ही रहने वाला है।
इक्विरस में इक्विटी पूंजी बाजारों के प्रमुख और प्रबंध निदेशक वेंकटराघवन एस ने कहा, ‘बाजारों में उतार चढ़ाव की स्थिति होने के बावजूद एलआईसी जैसे बड़े निर्गम को पर्याप्त अभिदान मिलने के लिए भारतीय बाजारों में पैसे की कोई कमी नहीं है। यदि कोई हाल के समय में कुछ निर्गमों की मांग पर विचार करे तो कुल समर्पित राशि एलआईसी के निर्गम आकार से बड़ा या बराबर है। बहरहाल, एलआईसी ने स्वयं ही निर्गम आकार में बदलाव किए गए हैं। लिहाजा, हम नहीं कह सकते कि यह भारतीय बाजारों की गहराई की थाह लेने जैसा है। भारतीय बाजारों में ऐसे निर्गमों को पचाने के लिए पर्याप्त तरलता मौजूद है।’
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘जैसा कि पिछले दो वर्षों में नजर आया है आकर्षक मूल्यांकनों पर अच्छी गुणवत्ता वाले निर्गमों के लिए पर्याप्त और अधिक मात्रा में तरलता उपलब्ध रही है। 2.7 अरब डॉलर या 21,000 करोड़ रुपये भारतीय बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कोई बड़ी रकम नहीं है।’