बाजार नियामक सेबी (SEBI) के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने सोमवार को बाजार में असंतुलन को लेकर चेतावनी दी। उन्होंने प्रतिभूतियों की मांग और आपूर्ति में कोई तालमेल न होने का उदाहरण दिया।
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के कार्यक्रम वर्ल्ड इन्वेस्टर वीक में नारायण ने इक्विटी बाजार के जोखिमों, तकनीक से जुड़ी धोखाधड़ी, साइबर सुरक्षा के खतरों और गुप्त इरादों वाले वित्तीय इनफ्लूुएंसरों को लेकर निवेशकों को आगाह किया।
नारायण ने कहा कि अगर आप वित्त वर्ष 2024 के दौरान व्यक्तिगत निवेशकों, म्युचुअल फंडों, बीमा कंपनियों, पेंशन फंडों और एफपीआई के माध्यम से शेयर बाजारों में आए धन को देखें तो यह 3.6 लाख करोड़ रुपये था। इसके मुकाबले आईपीओ, राइट्स इश्यू, क्यूआईपी आदि के माध्यम से नई प्रतिभूतियों की आपूर्ति केवल 1.95 लाख करोड़ रुपये थी। इसलिए मांग-आपूर्ति में असंगति एक साफ संकेत है कि थोड़ा असंतुलन पैदा हो रहा है, जो अपने आप में बाजारों को अल्पकालिक वृद्धि की ओर ले जाता है लेकिन आपको यह भी चिंता होती है कि कहीं यह कुछ ज्यादा तो नहीं हो रहा है।
उन्होंने निवेशकों को जागरूक करने के लिए पहलों की आवश्यकता पर जोर दिया और चेतावनी देते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बाजार में कम उतारचढ़ाव के साथ स्थिर रिटर्न ने निवेशकों के बीच शायद आत्मसंतोष पैदा कर दिया है।
उन्होंने कहा कि यह समूची दुनिया में सबसे अच्छा लगता है – कम जोखिम और काफी ज्यादा रिटर्न। लेकिन दुर्भाग्य से इसके नकारात्मक दुष्प्रभाव होते हैं। यह आत्मसंतोष पैदा कर सकता है। हम देख रहे हैं कि काफी युवा लोग अब खाते खोल रहे हैं, उन्होंने मान लिया लगता है कि यह एकतरफा राह है जिसमें जोखिम कुछ भी नहीं है और रिटर्न बहुत ज्यादा है। लेकिन मामला ऐसा नहीं है। अगर किसी एक साल में जोखिम कम था तो इसका मतलब यह नहीं है कि आगे जोखिम नहीं होगा।
नारायण ने कहा कि भारतीय बाजारों ने पिछले पांच वर्षों में सालाना 15 फीसदी चक्रवृद्धि की दर से बढ़त दर्ज की है और उन्होंने चीन के बाजारों के मुकाबले उम्दा प्रदर्शन किया है।