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दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: व्यापारियों को अदालत से ढील मिलने की उम्मीद

नवंबर 2016 में सर्वोच्च अदालत ने पहली बार दिल्ली-एनसीआर में सभी तरह के पटाखा विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित कर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था

Published by
अनुष्का भारद्वाज   
शाइन जेकब   
Last Updated- October 13, 2025 | 10:58 PM IST

दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को पांच दिन यानी 18 से 22 अक्टूबर तक के लिए हटाने संबंधी मामले की सुनवाई कर रहे उच्चतम न्यायालय ने बीते 10 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। हालांकि अदालत ने यह कहकर पटाखा व्यापारियों में एक उम्मीद की किरण जगा दी है कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध न तो व्यावहारिक है और न ही यह कोई आदर्श स्थिति है, क्योंकि ऐसे प्रतिबंधों का अक्सर उल्लंघन किया जाता है। ऐसे में एक न्याय और तर्कसंगत व्यवस्था कायम कर स्थिति को संतुलित करने की आवश्यकता है।

पर्यावरणीय चिंताओं के कारण नवंबर 2016 में सर्वोच्च अदालत ने पहली बार दिल्ली-एनसीआर में सभी तरह के पटाखा विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित कर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद से सीजन में ही पटाखे जलाने और बेचने पर प्रतिबंध होता था लेकिन 2024 में पूरे साल के लिए प्रतिबंध लागू कर दिया गया।

पटाखा कारोबारी बरत रहे सतर्कता

कई साल से हर तरह के पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण दिल्ली-एनसीआर के व्यापारी इस बार उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस बार हालात बदलेंगे, लेकिन वे कारोबार को लेकर पूरी तरह सतर्क हैं और अभी भी उनकी दुकानें बंद हैं।

दिल्ली के पाईवालान बाजार के एक डीलर का कहना है, ‘जब तक अदालत से लिखित आदेश नहीं आ जाता, हम कोई भी सामग्री नहीं खरीद सकते।’ कभी पटाखों का केंद्र रहे दिल्ली के दरियागंज स्थित इस बाजार में अब ज्यादातर दुकानें के बोर्ड ढके हुए हैं अथवा उन्हें किसी अन्य उत्पादों के लिए गोदाम के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। एक अन्य पटाखा विक्रेता राशिद खान ने कहा, ‘कई सालों से हम दुकानें बंद कर देते हैं और दीवाली के दौरान ठेलों पर ‘ग्रीन’ पटाखे बेचते हैं। हम केवल आवाज वाले पटाखे या बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पटाखे बेचते हैं।’ क्षेत्र में विक्रेता ग्रीन पटाखों का वर्णन केवल ‘बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले’ के रूप में करते हैं। हालांकि, कुछ दुकानदारों ने संकेत दिया कि दीवाली आते ही ‘बड़े पटाखे’ मिल सकते हैं।

नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर एक अन्य व्यापारी कहते हैं, ‘अगर कुछ पटाखे अवैध तरीकों से शहर में पहुंच जाते हैं, तो लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों को कानूनी तरीके से काम करने के लिए कुछ दिन क्यों नहीं मिल सकते।’ उन्होंने कहा कि इस बार उन्हें उम्मीद है कि हालात बदलेंगे और उनकी स्थिति को समझा जाएगा।

हालांकि, दिल्ली के उत्तम नगर में धर्म फायरवर्क्स के मालिक का कहना है कि दीवाली में सिर्फ एक सप्ताह बाकी है। अदालत के फैसले में हर दिन की देरी से व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वह कहते हैं, ‘जब आदेश आएगा, तभी हम अपना उत्पादन शुरू कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में 2 से 3 दिन लगेंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें इस साल उम्मीद है कि पटाखों की बिक्री के लिए एक या दो दिन मिल सकते हैं। बाजार के अन्य डीलरों ने भी दोहराया कि 3 दिनों की बिक्री भी हमें लाखों का मुनाफा दिला सकती है। प्रतिबंध से पहले नई दिल्ली में पटाखों का प्रमुख आपूर्ति केंद्र रहा हरियाणा का फर्रुखनगर क्षेत्र पिछले कुछ दिनों से गुलजार है। यहां सुपर फायरवर्क्स के एक व्यापारी का कहना है, ‘दिल्ली से व्यापारी लगातार पटाखों की खरीदारी के लिए पूछताछ कर रहे हैं। एक-एक दिन में सौ से अधिक फोन आ रहे हैं। हालांकि, हम अभी तक उन्हें कोई आश्वासन नहीं दे रहे हैं।’

राजधानी की उम्मीदें शिवकाशी पर

भले ही राजधानी दिल्ली अभी संशय के अंधेरे में है लेकिन यहां से लगभग 2,630 किलोमीटर दूर तमिलनाडु के शिवकाशी में दीवाली का जश्न शुरू हो चुका है। देश में कुल पटाखों का 85 प्रतिशत उत्पादन शिवकाशी में ही होता है।

श्री बालाजी फायरवर्क्स के बालाजी टीके ने कहा, ‘लगभग 9 वर्षों के बाद यहां के उद्योगों को दिल्ली-एनसीआर बाजार के बारे में कुछ सकारात्मक खबरें मिल रही हैं। प्रतिबंधों से पहले शिवकाशी के पटाखों का 5 से 10 प्रतिशत कारोबार दिल्ली-एनसीआर के साथ होता था।’

शिवकाशी फायरवर्क्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के मुरली असैथम्बी ने कहा, ‘यह एक सकारात्मक संकेत है कि अधिकारियों को अब एहसास हो गया है कि पटाखे दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का कारण नहीं हैं। हमें उम्मीद है कि अधिकारी और अदालत बेरियम पर प्रतिबंध पर भी दोबारा विचार कर सकते हैं। हम इसके कारण स्पार्कलर, चकरी, अनार, ट्विंकलिंग स्टार और पेंसिल जैसी कई महत्त्वपूर्ण वस्तुओं का निर्माण करने में असमर्थ हैं।

तमिलनाडु फायरवर्क्स ऐंड एमोर्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अनुसार, शिवकाशी में कोविड से पहले पटाखा उद्योग का आकार लगभग 3,000 करोड़ रुपये था, जो अब 5,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इस क्षेत्र का सबसे बड़ा खिलाड़ी स्टैंडर्ड फायरवर्क्स है, जिसकी असंगठित क्षेत्र में 5 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है।

दिल्ली में पर्यावरण संबंधी चिंताएं

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत की राजधानी 91.8 घन मीटर की औसत पीएम 2.5 सांद्रता के साथ दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में लंबे समय से वायु गुणवत्ता बेहतर दिखाई दे रही है। यदि ग्रीन पटाखों को जलाने की अनुमति दी गई तो दोबारा प्रदूषण बढ़ जाएगा। पर्यावरण मामलों से जुड़े गैर सरकारी संगठन राइज फाउंडेशन के संस्थापक मधुकर वार्ष्णेय का कहना है, ‘दिल्ली की वायु गुणवत्ता पहले से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित सीमाओं से खराब है। जब बेसलाइन हवा पहले से ही जहरीली है तो उत्सर्जन का कोई भी अतिरिक्त स्रोत, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, स्थिति को और खराब कर देता है।’

First Published : October 13, 2025 | 10:47 PM IST