भारती एयरटेल
भारती को अपना मौजूदा प्रदर्शन बरकरार रहने की उम्मीद है। प्रीपेड में कंपनी के वर्चस्व और बड़ा कस्टमर बेस होने की वजह से कंपनी को उमीद है कि एमएनपी का उस पर असर नहीं होगा। टैरिफ में कमी कंपनी के कंपटीटरों के लिए मुश्किल खडी क़रेगी। कंपनी के डीमर्जर की प्रक्रिया में समय लग सकता है।
सिटी ग्रुप के एनालिस्टों का कहना है कि वायरलेस के बढ़ते बाजार को देखते हुए भारती एयरटेल अगले तीन सालों में 33.8 के सीएजीआर अनुमानों को पूरा कर सकती है। एनालिस्टों के मुताबिक अगले 2-3 सालों में कंपनी के मार्जिन भी बढ़ जाएंगे।
उनके मुताबिक कंपनी के स्टॉक का टारगेट 1150 रुपए का है लेकिन इसमें जोखिम केवल इतना है कि कंपटीशन की वजह से टैरिफ का प्रेशर बढ़ेगा। इसके अलावा बाजार की मंदी का भी इस पर असर पडेग़ा और टावर शेरिंग के मामले में धीमी प्रगति भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।
ग्रासिम इंडस्ट्रीज
कंपनी अल्ट्राटेक सीमेन्ट के साथ मिलकर सितंबर 2008 तक 150 लाख टन उत्पादन क्षमता बढ़ाने की तैयारी में है। कंपनी के प्रबंधन को उमीद है कि सीमेंट उद्योग अगले तीन सालों में उत्पादन क्षमता 700 लाख टन कर लेगी, जबकि मांग में केवल 500 लाख टन का इजाफा होना है। मांग और सप्लाई में इस अंतर के बावजूद कंपनी को उमीद है कि वह मार्जिन बनाए रख सकेगी।
ग्रासिम 171 मेगावाट का पावर प्लांट लगाने की योजना बना रहा है और अल्ट्राटेक भी अगले कुछ महीनों में 225 मेगावाट का प्लांट लगाने की तैयारी कर रहा है। कंपनी अपने सीमेन्ट प्लांट के लिए 100 मेगावाट का कैप्टिव पावर जेनेरेट करती है। नए प्लांट के बाद ग्रासिम अपनी जरूरत की 85 फीसदी बिजली खुद ही पैदा करने लगेगी। प्राइसिंग में इजाफा होने की वजह से कंपनी के वीएसएफ डिवीजन को 39 फीसदी का भारी मार्जिन मिल रहा है।
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज
टी सी और आरसी मार्जिन्स के दबाव के बावजूद हिंडाल्को को पुराने कॉन्ट्रैक्ट्स का फायदा मिल रहा है और कंपनी को उमीद है कि कारोबारी साल 2008 में 22 सेंट प्रति पौंड का मार्जिन मिलेगा। कंपनी को कारोबारी साल 2009 में मार्जिन कमजोर होकर 12-15 सेंट प्रति पौंड रहने की उमीद है।
कंपनी को कारोबारी साल 2010 में खानों की सप्लाई सुधरने की उम्मीद है। कंपनी की उत्कल परियोजना का काम शुरू हो चुका है और इसके 2010 के मध्य तक शुरू होने की उम्मीद है।
आदित्य प्रोजेक्ट की शुरुआत भी 2011 के मध्य तक शुरू होने के आसार हैं। कंपनी महान परियोजना का काम 2009 की शुरुआत में ही प्रारंभ करना चाहता है और झारखंड परियोजना का काम 2009 के आखिर तक शुरू करना चाहता है। कंपनी का कर्ज 2007 के अंत तक 5.5 अरब डॉलर था। कीमतें बढ़ने और अच्छे प्रोडक्ट्स की वजह से कंपनी का ऑपरेटिंग मार्जिन बढ़ गया है।
हिंदुस्तान यूनीलीवर
हिंदुस्तान यूनीलीवर के मैनेजमेंट के मुताबिक आर्थिक विकास की मजबूती, ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ने और बजट में उठाए गए कदमों की वजह से एफएमसीजी सेक्टर में अच्छी ग्रोथ बनी रहेगी। सिटी ग्रुप के कॉन्फ्रेंस में निवेशकों से बात करते हुए कंपनी ने कहा कि उसने हर आय वर्ग के ग्राहकों के लिए प्रोडक्ट तैयार किए हैं और कंपनी अपने ग्राहकों की रुचि के मुताबिक अपने उत्पादों में बदलाव भी लाती जा रही है।
कंपनी ने अपनी ग्रोथ के लिए कई कदम उठाए हैं और उसका मिनरल वाटर का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। कंपनी अपने हाई एंड पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स को और बढ़ाने जा रही है और जल्दी ही कंपनी नए फूड प्रोडक्ट भी बाजार में उतारने जा रही है। मार्जिन में सुधार के लिए कंपनी प्रोडक्ट्स का अच्छा मिक्स लाना चाहती है। कंपनी की अर्निंग्स ठीक बनी हुई है और इससे कंपनी का पीई स्टॉक को अच्छी वैल्यू देता है।
आईसीआईसीआई बैंक
आईसीआईसीआई बैंक ने जनवरी 2008 तक कुल 26.40 करोड़ अमेरिकी डॉलर का प्रावधान कर रखा था जिसमें से 11 करोड़ डॉलर अंतरराष्ट्रीय सब्सिडियरी कंपनियों से संबंधित थे। बैंक के मैनेजमेंट के मुताबिक ये निवेश मेच्योरिटी (3-5 साल की मेचच्योरिटी) तक रहेगा जिसके बाद इन्हे रिवर्स कर दिया जाएगा।
हालांकि अगर क्रेडिट स्प्रेड बढ़ता है तो आगे और रकम का प्रावधान करने से इनकार नहीं किया जा सकता। बैंक की परिसंपत्ति की गुणवत्ता अच्छी है लेकिन अगले 9 से 12 महीनों में प्रोवीजनिंग की लागत कुछ बढ़ सकती है रिटेल सेगमेंट की विकास दर में 10 से 12 फीसदी की कमी आ गई है। बैंक की सेक्योरिटीज और ब्रोकरेज सब्सिडियरी की लिस्टिंग इस समय ठीक चल रही है।
इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज
इन्फोसिस ने इस कॉन्फ्रेंस में निवेशकों से बातचीत में संकेत दिए कि एलोकेशन में देरी को देखते हुए मैनेजमेंट सतर्कता बरत रहा है। कंपनी के मुताबिक बैंकिंग, फाइनेंस, सर्विसेस, इंडस्ट्रियल (बीएफएसआई) और रिटेल में आने वाला समय चुनौतीपूर्ण है । जबकि कयुनिकेशन और मीडिया जैसे सेक्टरों में मजबूती के लक्षण दिख रहे हैं।
2007-08 के लिए कंपनी के अनुमानों के मुताबिक सर्विस से कंपनी की आय 19.7-19.9 फीसदी तक बढ़ सकती है। इस कारोबारी साल के लिए कंपनी का ईपीएस 81.07 रुपए रहने का अनुमान है, जिसका मतलब है कि कंपनी 2007 में 17.12 फीसदी की दर से बढ़ेगी। सिटी ग्रुप के अनुमानों के मुताबिक कारोबारी साल 2007-08 में कंपनी की आय 19.5 फीसदी और शुध्द मुनाफा 20 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है।
एल ऐंड टी
सिटी ग्रुप के एनालिस्ट एल ऐंड टी को कमोडिटी कारोबार में हुए नुकसान को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं है और उन्होने करेक्शन पर इस स्टॉक को खरीदने की सिफारिश की है। कंपनी के खातों में कमोडिटी की कीमत 2.5 अरब डॉलर है और उनके कारोबार के नेचर को देखते हुए उन्हे इसकी हेजिंग की जरूरत रहती है। कंपनी आमतौर पर अपने कमोडिटी एक्सपोजर के 10 फीसदी तक हेजिंग करती है।
आर्थिक विकास की धीमी रतार की खबरों के बावजूद एल ऐंड टी में इसका असर नहीं दिखता। कंपनी ने कारोबारी साल 2008 में बिक्री में 35-40 फीसदी के इजाफे का अनुमान लगाया है और जबकि इस दौरान मिलने वाले आर्डर में 30 फीसदी से ज्यादा की बढ़त होने का अनुमान है। कंपनी को मीडियम टर्म में आय में 25 फीसदी और नए आर्डरों में 20 फीसदी से ज्यादा की बढ़त होने का अनुमान है। कंपनी को उमीद है कि 11.5 फीसदी ऑपरेटिंग मार्जिन बना रहेगा।
मारुति सुजुकी
कंपनी के मैनेजमेंट इस बात के संकेत दिए हैं कि एक्सपोर्ट की मजबूती की वजह से वॉल्यूम में इजाफा रहेगा। कंपनी को कारोबारी साल 2011 में 200,000 यूनिट्स के एक्सपोर्ट की उमीद है। सिटीग्रुप के एनालिस्टों को उमीद है कि कारोबारी साल 2008-2010 के दौरान वॉल्यूम में 17 फीसदी सालाना की ग्रोथ रहेगी लेकिन घरेलू बिक्री में इजाफा 12 फीसदी की दर से होगा।
कंपनी के मैनेजमेंट ने कॉन्फ्रेंस में कच्चे माल की चढ़ती कीमतों पर अपनी चिंता जताई है। उनके मुताबिक स्टील की कीमतें अगले कारोबारी साल की पहली तिमाही से ही 10 फीसदी महंगी हो जाएंगीं। मैनेजमेंट का कहना है कि कंपनी कारोबारी साल 2010 तक करीब 6500 करोड़ के पूंजी खर्च करेगी। इसमें से 1500 करोड़ रुपये नए के सीरीज के इंजन प्लांट पर खर्च होंगे।
रैनबैक्सी
रैनबैक्सी का कहना है पिछले दो साल मे उसने जो विकास का रास्ता अपनाया है उसे कंपनी जारी रखेगी। कंपनी का कहना है कि इमर्जिंग मार्केट में मार्जिन बढ़ने, डीमर्जर, लागत पर नियंत्रण और डॉलर के भावों को फार्वर्ड में कवर कर लेने से उसकी आय और मार्जिन पर खासा असर होगा।
इमर्जिंग मार्केट में कंपनी की हिस्सेदारी 54 फीसदी की है। अमेरिका में कंपनी का कारोबार मजबूत है। पश्चिमी यूरोप में कंपनी ने खुद को सुधारा है। रोमानिया में जरूर कारोबार कुछ कमजोर रह सकता है। कंपनी का कहना है कि जेनटीवा में उसे जो समस्या आई थी वैसी समस्या फिर नहीं आनी है। कंपनी को उम्मीद है कि पेटेंट के मामले वो सुलझा लेगा इससे कंपनी का कैश लो तो बढ़ेगा ही बल्कि पेटेंट के मामले सुलझने से इसके स्टॉक पर भी बेहतर असर होगा।
रिलायंस कम्युनिकेशन्स
रेगुलेटरी मुद्दे खत्म होने के बाद अब कंपनी का इरादा काम पर लग जाने का है। 2008 के आखिरी तक जीएसएम की शुरुआत की उमीद है और कंपनी ने साल 2009 के लिए करीब 24,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्चों का अनुमान लगाया है। इसमें से 8000 करोड़ रुपये टावर के लिए और 5500 करोड़ रुपये ऐक्टिव जीएसएम के लिए होंगे। लैग के लिए 2800 करोड़ और डाटा सेंटरों के लिए 8000 करोड़ की रकम रखी है।
कंपनी का मानना है कि स्पेक्ट्रम आने के बाद प्राइस के मामले में प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी और कीमतें कम होने लगेंगीं। जीएसएम लांच के अलावा एमएनपी भी कंपनी को अपना मार्केट शेयर बढ़ाने में मदद करेगी। इसे लागू करने के लिए हालांकि चौथी तिमाही का समय तय किया गया है लेकिन इसमें कुछ फेरबदल किया जा सकता है।
टाटा स्टील
कॉन्फ्रेंस के दौरान कंपनी ने यूरोपीय और भारतीय बाजारों में अपने कारोबार का अपडेट सबके सामने रखा। मैनेजमेंट के मुताबिक कोरस में कारोबारी साल 2007 में जो इनपुट कॉस्ट में 50 करोड़ पौंड का इजाफा हुआ था उसे बिक्री में 50 करोड़ पौंड के इजाफे से पूरा कर लिया गया है। इस साल भी कंपनी को उमीद है कि वो दाम बढ़ाकर कच्चे माल की कीमतों में आई बढ़त की 70 फीसदी भरपाई कर लेगी।
यूरोपीय स्टील के दाम (एचआरसी छोडक़र)जनवरी 2008 से 15-30 फीसदी बढ़ गए हैं। कंपनी को स्टील के भाव में तेजी आने से कारोबारी साल 2008 की चौथी तिमाही और अगले साल की पहली तिमाही में मार्जिन में सुधार आने की उमीद है। जहां तक कोरस के रियलाइजेशन का सवाल है इस साल की चौथी तिमाही में इसमें 5-6 फीसदी और अगले साल की पहली तिमाही में 12 फीसदी तक बढ़ जाएगा।
विप्रो
विप्रो ने इस बात के संकेत दिए हैं कि कही कही पर कुछ प्रोजेक्ट्स में कटौती या फिर प्रोजेक्ट्स के रुकने की खबरें हैं। कंपनी को उमीद है कि कारोबारी साल 2009 में विदेश में तैनात कर्मचारियों के वेतन में 8-10 फीसदी की वृध्दि आ सकती है। कंपनी का मानना है कि टेलिकॉम के ओईएम सेगमेंट का कंसॉलिडेशन पूरा हो चुका है और अब वो कंपनियां अपने विकास पर फिर से खर्च करना शुरू कर रही हैं। विप्रो के मुताबिक कीमतों में अब भी इजाफा हो रहा है।
कंपनी का कहना है कि जो डील पाइपलाइन में हैं उनके टलने या फिर रद्द होने की भी कोई खबर नहीं है। विप्रो कुछ और कंपनियों के अधिग्रहण की सोच रही है। सिटी ग्रुप के एनालिस्टों को उमीद है कि 2007-08 में कंपनी की आय में 32.5 फीसदी का इजाफा देखा जा सकता है लेकिन 2008-09 में इस मद में 26 फीसदी की कमी आ सकती है।