facebookmetapixel
Ladki Bahin Yojana: इस राज्य की महिलाओं के लिए अलर्ट! 18 नवंबर तक कराएं e-KYC, तभी मिलेंगे हर महीने ₹1500ट्रेडिंग नियम तोड़ने पर पूर्व फेड गवर्नर Adriana Kugler ने दिया इस्तीफाNPS में शामिल होने का नया नियम: अब कॉर्पोरेट पेंशन के विकल्प के लिए आपसी सहमति जरूरीएशिया-पैसिफिक में 19,560 नए विमानों की मांग, इसमें भारत-चीन की बड़ी भूमिका: एयरबसअमेरिकी टैरिफ के 50% होने के बाद भारतीय खिलौना निर्यातकों पर बढ़ा दबाव, नए ऑर्डरों की थमी रफ्तारसुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने किया साफ: आधार सिर्फ पहचान के लिए है, नागरिकता साबित करने के लिए नहींBihar चुनाव के बाद लालू परिवार में भूचाल, बेटी रोहिणी ने राजनीति और परिवार दोनों को कहा ‘अलविदा’1250% का तगड़ा डिविडेंड! अंडरवियर बनाने वाली कंपनी ने निवेशकों पर लुटाया प्यार, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्ते₹4 करोड़ कम, लेकिन RR चुना! जानिए क्यों Jadeja ने CSK को कहा अलविदा75% का तगड़ा डिविडेंड! फॉर्मा कंपनी का निवेशकों को बड़ा तोहफा, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्ते

आईटीसी: कारोबारी दुख

Last Updated- December 09, 2022 | 10:35 PM IST

आईटीसी के एफएमसीजी कारोबार के अपेक्षानुसार प्रदर्शन न कर पाने से इससे कंपनी के मुनाफेपर लगातार बुरा असर पड़ रहा है।


दिसंबर 2008 में एफएमसीजी कारोबार में 11.5 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई जो बीते साल की पहली छमाही की 30 फीसदी की तुलना में काफी कम है।

इन परिणामों से एक बात साफ हो जाती है कि सिगरेट बनाने वाली इस बड़ी कंपनी के लिए आगे की राह आसान नहीं है और इसे अपने प्रतिद्वंद्वियों के हाथ से हिस्सेदारी छीन पाना आसान नहीं है।

कंपनी के माथे पर बल करने का एक और कारण यह भी है कि बाजार में अपने उत्पादों को लोकप्रिय बनाने और बेचने में आनेवाली लागत से कंपनी का घाटा और बढ़ता जा रहा है। दिसंबर 2008 की तिमाही में यह घाटा  95 फीसदी की बढोतरी के साथ 127 करोड़ रुपये रहा।

इसके अलावा कंपनी के होटल कारोबार से होनेवाले मुनाफे में 34 फीसदी की कमी ने कंपनी के लिए और भी मुश्किलें पैदा कर दी हैं। इसका असर कंपनी के शुध्द मुनाफे पर पडा है और कंपनी का मुनाफा मात्र 8.6 फीसदी की बढाेतरी के साथ 903 करोड रुपये दर्ज किया गया।

दिलचस्प बात है कि सिगरेट कारोबार पर कीमतों में बढ़ोतरी और सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान करने पर पाबंदी का कोई खास असर नहीं पडा है।

इससे कंपनी के सिगरेट कारोबार के टॉपलाइन में 11 फीसदी जबकि बॉटमलाइन में 18 फीसदी की बढोतरी हुई है लेकिन इसके बावजूद कंपनी के शुध्द मुनाफे में मामूली बढ़ोतरी हुई है।

हालांकि सिगरेट कारोबार में थोड़ी सी नरमी जरूर आई है। वित्त वर्ष 2008-09 की पहली छमाही में हुई 3.5 फीसदी की बढ़ोतरी की तुलना में शुध्द मुनाफा बेहतर ही रहा है।

लागत में कटौती के कारण परिचालन मुनाफा मार्जिन में साल-दर-साल के हिसाब से मामूली बढ़ोतरी के साथ 36 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि सितंबर तिमाही में इसमें 240 आधार अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी।

कंपनी के होटल कारोबार में निकट भविष्य में तेजी आने के आसार कम ही लग रहे हैं जबकि पर्सनल केयर और स्नैक्स फूड उद्यमों में भाड़ी घाटा लग सकता है।

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि वित्त वर्ष 2008-09 में कंपनी के राजस्व में 14-15 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है जबकि प्रति शेयर आमदनी 9 रुपये से कम ही रह सकती है।

अल्ट्राटेक: लागत का दर्द

सीमेंट निर्माता कंपनियों केलिए कारोबार करना अभी आसान नहीं है। हालांकि मांग की स्थिति पहले से बेहतर हुई है लेकिन लागत में अपेक्षाकृत अधिक बढाेतरी होने के कारण मुनाफे पर प्रतिकूल प्रभाव पडा है।

लगभग यही स्थिति अल्ट्राटेक की भी है। दिसंबर तिमाही के दौरान कंपनी की बिक्री 15 फीसदी की बढोतरी के साथ 1631 करोड़ रुपये रही है। लेकिन परिचालन और ईंधनों पर होनेवाले खर्चों में बढ़ोतरी के कारणशुध्द मुनाफेमें 15 फीसदी की कमी आई है और यह 238 करोड़ रुपये दर्ज किया गया।

इससे कंपनी का परिचालन मार्जिन 700 आधार अंकों की गिरावट के साथ साल-दर-साल के हिसाब से 26.4 फीसदी रहा। हालांकि वर्ष 2008 की पहली तिमाही के 25.7 फीसदी की अपेक्षा इस प्रदर्शन को बेहतर माना जा सकता है।

ईंधनों की कीमतों में गिरावट जरूर होनी शुरू हो गई है लेकिन रियल क्षेत्र जहां देश में कुल उत्पादित सीमेंट के आधे हिस्से का इस्तेमाल होता है, के द्वारा सीमेंट ज्यादा नहीं खरीदे जाने से मांग में कमी आ सकती है।

नवंबर और दिसंबर महीने में कारोबार की मात्रा में जरूर सुधार हुआ है लेकिन जैसा कि अल्ट्राटेक के प्रबंधन ने इशारा किया है कि आने वाले कुछ सालों में चरणबध्द तरीके से कुछ बदलाव आ सकते हैं।

मार्च 2009 तक कंपनी को अपनी उत्पादन क्षमता में करीब 50 लाख टन की बढ़ोतरी करनी होगी जिससे इसकी कुल उत्पादन क्षमता 230 मिलियन टन हो जाएगी। जे पी मॉर्गन का कहना है पिछले कुछ महीनो के बेहतर कारोबार बरकरार नहीं रह पाएगा और कारोबार की मात्रा में गिरावट आ सकती है।

कंपनी की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी का असर इतना बुरा नहीं होता लेकिन अर्थव्यवस्था की खराब हालत की वजह से ऐसा हुआ। कंपनी प्रबंधन का मानना है कि इससे कंपनी की बिक्री और मुनाफे दोनो पर असर पड सकता है।

जे पी मॉर्गन के अनुसार जिन स्थानों पर उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी की जा रही है वहां कीमतों को कम करने का दबाव बढ़ता जा रहा है और अगले छह से नौ महीनों में कीमतों में 5-8 फीसदी की कमी की जा सकती है।

First Published - January 20, 2009 | 9:20 PM IST

संबंधित पोस्ट