ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल का मानना है कि अगले साल की पहली छमाही में प्रस्तावित रिलायंस जियो की सार्वजनिक सूचीबद्धता भारत में 30,000 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी लिस्टिंग हो सकती है। उसने होल्डिंग कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड (जेपीएल) का इक्विटी मूल्य 11.9 लाख करोड़ रुपये या 135 अरब डॉलर आंका है। इस प्रकार मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल ने जेपीएल में रिलायंस इंडस्ट्रीज की हिस्सेदारी की कीमत 7.91 लाख करोड़ रुपये यानी 90 अरब डॉलर आंकी है। घरेलू ब्रोकरेज फर्म ने जेपीएल का उद्यम मूल्य 151 अरब डॉलर आंका है।
ब्रोकरेज फर्मों मॉर्गन स्टैनली, सिटी और बोफा ने जेपीएल का उद्यम मूल्य क्रमशः 133 अरब डॉलर, 135 अरब डॉलर और 127 अरब डॉलर आंका है। जेपीएल, रिलायंस जियो इन्फोकॉम की होल्डिंग कंपनी है जिसके पास देश की नंबर 1 दूरसंचार कंपनी का पूर्ण स्वामित्व है। सोमवार को जारी विश्लेषकों की इस रिपोर्ट पर बिजनेस स्टैंडर्ड ने नजर डाली है।
मोतीलाल ओसवाल ने कहा, हमारे मूल्यांकन और हिस्सेदारी कम करने की सीमा को घटाकर 2.5 फीसदी करने के सेबी के हालिया प्रस्ताव के आधार पर जेपीएल का आईपीओ 300 अरब रुपये (30,000 करोड़ रुपये) के आकार के साथ भारत में सबसे बड़ा हो सकता है। हमारा मानना है कि जेपीएल आईपीओ के माध्यम से मूल्य सृजन, जेपीएल में आरआईएल की हिस्सेदारी के लिए सैद्धांतिक होल्डिंग कंपनी छूट के नकारात्मक प्रभाव की भरपाई कर सकता है। यह बात एमओएसएल के विश्लेषकों ने पिछले हफ्ते आरआईएल की एजीएम के बाद एक नोट में कही है।
एजीएम में चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) मुकेश अंबानी ने घोषणा की थी कि जून 2026 तक आईपीओ लाने की तैयारी चल रही है। अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ ह्युंडै का रहा है, जिसका मूल्य 2024 में 3.3 अरब डॉलर था। जियो प्लेटफॉर्म्स को 2020 में कुल 152,055.45 करोड़ रुपये यानी 20 अरब डॉलर का निवेश मिला था जहां उसने मेटा गूगल, केकेआर, पीआईएफ और मुबाडला जैसे दो दर्जन से ज्यादा निवेशकों को 32.97 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी। जानकारों का कहना है कि आरआईएल के पास जेपीएल की 67.03 फीसदी हिस्सेदारी है और सार्वजनिक लिस्टिंग से कई निवेशकों को बाहर निकलने का रास्ता मिल जाएगा।
ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि लिस्टिंग की योजना से रिलायंस जियो का बहुप्रतीक्षित बाजार मूल्यांकन सामने आएगा। साथ ही इससे कारोबार के सीधे निवेश योग्य होने पर होल्डिंग कंपनी डिस्काउंट देने पर भी चर्चा को बढ़ावा मिलेगा। ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि आरआईएल के शेयरधारकों को रिलायंस जियो के शेयर सीधे मिलने की संभावना कम है।
मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा, हम रिलायंस जियो के कारोबार का मूल्यांकन 133 अरब डॉलर आंकते हैं जो वित्त वर्ष 27 के अनुमानित ईवी/एबिटा का 13 गुना है। दूरसंचार क्षेत्र की संभावित लिस्टिंग के कारण होल्डिंग कंपनी डिस्काउंट पर बहस फिर से शुरू हो जाएगी।
सिटी के विश्लेषकों ने कहा, हालांकि लिस्टिंग से मूल्य सामने आएगा लेकिन इससे होल्डिंग कंपनी में पर्याप्त छूट नहीं भी मिल सकती है। सेबी ने हाल में 57 अरब डॉलर से अधिक बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों के आईपीओ के लिए न्यूनतम सार्वजनिक पेशकश का आकार 5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी करने का प्रस्ताव दिया है।
उन्होंने कहा, इससे जियो के संभावित आईपीओ के लिए लिक्विडिटी की प्रमुख बाधा खत्म होती है, जिसके बारे में हमारा मानना है कि इन्हें भारतीय बाजार झेल सकता है। कम फ्लोट के कारण जियो की लिस्टिंग के बाद आरआईएल के लिए होल्डिंग कंपनी के डिस्काउंट की चिंता भी इससे कम होती है। इस महीने की शुरुआत में ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि जियो सार्वजनिक लिस्टिंग के जरिए 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर सकती है।
विश्लेषकों ने कहा कि जिस बात पर नजर रखने की जरूरत है, वह है कि जियो की लिस्टिंग से आरआईएल को मिलने वाला मूल्य कितना होगा और लिस्टिंग के बाद होल्डिंग कंपनी डिस्काउंट का असर क्या होगा।