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Ola Electric IPO Listing: ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के शेयरों की शुक्रवार को शेयर बाजार में फीकी लिस्टिंग हुई। लंबे इंतजार और चर्चाओं के बावजूद इस आईपीओ को ठंडा रिस्पॉन्स मिला था। इसके बाद आज बाजार में कंपनी के शेयरों की लिस्टिंग भी निराशाजनक रही।
कंपनी का स्टॉक एनएसई पर इश्यू प्राइस 76 रुपये पर ही लिस्ट हुआ, जिससे प्रीमियम पर लिस्टिंग की उम्मीदें धरी रह गईं। बीएसई पर भी स्टॉक मात्र 0.01 प्रतिशत के मामूली प्रीमियम के साथ 75.99 रुपये पर लिस्ट हुआ।
निवेशकों को नहीं हुआ प्रॉफिट
सुबह 10 बजे कंपनी के शेयर NSE पर 0.01 फीसदी डिस्काउंट के साथ 75.99 रुपये पर लिस्ट हुए। इस आईपीओ का प्राइस बैंड 72 से 76 रुपये के बीच तय किया गया था और हर लॉट में 195 शेयर शामिल थे। इसका मतलब है कि निवेशकों को एक लॉट के लिए कम से कम 14,820 रुपये का निवेश करना पड़ा।
हालांकि, शेयर की लिस्टिंग अपर प्राइस बैंड 76 रुपये के मुकाबले मामूली गिरावट के साथ 75.99 रुपये पर हुई, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन मुनाफे की उम्मीदें धूमिल हो गईं।
हालांकि, कुछ ही मिनटों में ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में तेजी देखने को मिली और एनएसई पर यह 9 फीसदी तक उछल गया। शुरुआती मिनटों के कारोबार के बाद, सुबह 10:10 बजे ओला इलेक्ट्रिक का शेयर करीब 9 फीसदी की बढ़त के साथ 83.30 रुपये के स्तर पर पहुंच गया।
GMP से क्या थे संकेत?
ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों की लिस्टिंग से पहले ही डिस्काउंट पर लिस्ट होने के संकेत मिल रहे थे। ग्रे मार्केट में ओला इलेक्ट्रिक के शेयर 3 रुपये के डिस्काउंट पर ट्रेड कर रहे थे और प्रीमियम (जीएमपी) निगेटिव होकर माइनस 3 तक गिर गया था। ग्रे मार्केट में प्रीमियम का शून्य या निगेटिव जोन में आना, खराब लिस्टिंग का संकेत माना जाता है।
कब खुला था आईपीओ?
इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी का आईपीओ 2 अगस्त से 6 अगस्त के बीच सब्सक्राइब करने के लिए खुल गया था। देश की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक दोपहिया (e2W) निर्माता ने 1 अगस्त को एंकर निवेशकों से 2763.03 करोड़ रुपये जुटाए।
ओला इलेक्ट्रिक प्राइस बैंड
Ola Electric के आईपीओ के प्राइस बैंड 72-76 रुपये प्रति शेयर तय किया गया।
जानें आईपीओ से जुड़ी अन्य जानकारी
कंपनी इनसे प्राप्त रकम का इस्तेमाल कर्ज चुकाने, अपनी गीगाफैक्टरी का विस्तार करने और शोध एवं विकास पर करेगी। निर्गम का ओएफएस हिस्सा महज 646 करोड़ रुपये है, जिसमें संस्थापक भवीश अग्रवाल की भागीदारी 288 करोड़ रुपये है। लगभग 9 अन्य निवेशक अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं, जिनमें टाइगर ग्लोबल (48 करोड़ रुपये) और सॉफ्टबैंक (181 करोड़ रुपये) मुख्य रूप से शामिल हैं।