उदयपुर की फर्टिलिटी फर्म इंदिरा आईवीएफ (निवेश फर्म ईक्यूटी के स्वामित्व) ने कॉन्फिडेंशियल फाइलिंग रूट के जरिये बाजार नियामक सेबी के पास मसौदा पत्र जमा कराया है। घटनाक्रम से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी है। फैशन रिटेलर विशाल मेगा मार्ट के बाद इंदिरा आईवीएफ अपने आईपीओ के लिए कॉन्फीडेंशियल फाइलिंग विकल्प अपनाने वाली पांचवीं कंपनी बन गई है।
निर्गम का आकार करीब 3,500 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है और यह पूरी तरह से बिक्री पेशकश (ओएफएस) होगी। समझा जाता है कि इसमें ईक्यूटी का हिस्सा 2900 करोड़ रुपये होगा और बाकी हिस्सा संस्थापकों और प्रमोटरों (600 करोड़ रुपये) का होगा। घटनाक्रम से जुड़े कई उद्योग सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है, लेकिन इंदिरा आईवीएफ और ईक्यूटी को भेजे ईमेल का जवाब नहीं मिला है।
वर्ष 2023 में इंदिरा आईवीएफ का मूल्यांकन 10,000 करोड़ रुपये से अधिक था और बीपीईए ईक्यूटी ने कंपनी में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए करीब 6,000 करोड़ रुपये चुकाए थे। उसने यह हिस्सेदारी टीए एसोसिएट्स और कंपनी के संस्थापकों – डॉ अजय मुर्डिया, डॉ क्षितिज मुर्डिया और डॉ नितिज मुर्डिया से खरीदी थी। बीपीईए ईक्यूटी स्वीडन की वैश्विक निवेश फर्म ईक्यूटी की इकाई है। कंपनी की स्थापना 1988 में अजय मुर्डिया ने की थी।
भारत में हर साल लगभग भ्रूण निषेचन के 300,000 आईवीएफ चक्र होते हैं और अगले दशक में देश भर में ऐसे निषेचन की संख्या में सालाना लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है। बांझपन उपचार को लेकर बढ़ती जागरूकता, बढ़ते मध्य वर्ग, घटती प्रजनन दर और शादी की बढ़ती उम्र की वजह से इस रुझान को मदद मिल रही है।