वैश्विक बाजार पूंजीकरण में भारत के इक्विटी बाजार का योगदान पहली बार चार प्रतिशत से ज्यादा हो गया है। पिछले एक साल के दौरान दुनिया के समकक्ष देशों की तुलना में घरेलू बाजार के तेज प्रदर्शन के मद्देनजर एक साल में यह हिस्सेदारी 74 फीसदी बढ़ चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि अक्टूबर 2021 के दौरान भारत की हिस्सेदारी केवल 2.3 प्रतिशत थी, हालांकि घरेलू बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 और सेंसेक्स ने अपना सर्वकालिक उच्चतम स्तर दर्ज किया था।
वर्तमान में निफ्टी 18 अक्टूबर को दर्ज किए गए अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर 18,477 के स्तर से 6.3 प्रतिशत नीचे है। इस अवधि के दौरान वैश्विक बाजारों में अधिक गिरावट आने की वजह से भारत की हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है। विश्व का बाजार पूंजीकरण नवंबर 2021 में अपने 122 लाख करोड़ डॉलर के शीर्ष स्तर से 24 प्रतिशत नीचे 92.8 लाख करोड़ डॉलर है। इसकी तुलना में 3.5 लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर भारत का बाजार पूंजीकरण 3.6 लाख करोड़ डॉलर के शीर्ष स्तर से केवल 3.3 प्रतिशत ही नीचे है। विश्व के बाजार पूंजीकरण में यह कमी मुख्य रूप से अमेरिका द्वारा संचालित है।
दुनिया के इस सबसे बड़े बाजार में 13 लाख करोड़ डॉलर (25 फीसदी) की कमी देखी गई, जिसमें बाजार पूंजीकरण गिरकर 40 लाख करोड़ डॉलर रह गया है, जबकि पिछले साल नवंबर में यह 54 लाख करोड़ डॉलर था। अमेरिका अब भी 44 फीसदी स्तर के साथ वैश्विक बाजार पूंजीकरण में सबसे बड़ा हिस्सेदार है, इसके बाद 10.2 फीसदी के साथ चीन का स्थान आता है। जापान और हॉन्गकॉन्ग, जहां कई कंपनियां चीन में सूचीबद्ध हैं, की हिस्सेदारी क्रमशः 5.4 प्रतिशत और पांच प्रतिशत है।