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सकारात्मक है भारतीय बाजार: मोबियस

Last Updated- December 05, 2022 | 5:02 PM IST

फ्रैंकलिन टेम्पलटन इन्वेस्टमेंट के कार्यकारी अध्यक्ष 71 वर्षीय मार्क मोबियस का नजरिया भारतीय बाजार के संदर्भ में सकारात्मक है।


उनका मानना है कि शेयर के मूल्यांकन जनवरी के बाद बेंचमार्क इक्विटी सूचकांकों में आई गिरावट के बाद आकर्षक हो गए हैं।ई-मेल के माध्यम से दिए गए साक्षात्कार में मोबियस ने कहा कि भारतीय बाजार का रुख सकारात्मक है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय बाजार में लंबे समय तक मंदी का दौर जारी रहेगा उन्होंने कहा, ‘इसकी भविष्यवाणी करना प्राय: असंभव है। हालांकि, दीर्घावधि के नजरिये से उभरते बाजारों का भविष्य उवल है और भारत का बाजार भी इसमें शामिल है।’


यद्यपि यह कहना कठिन है कि यह अनिश्चितता कब तक बरकरार रहेगी, मोबियस ने कहा, पिछले दिनों मूल्यांकन आसमान छू रहे थे और घरेलू बाजार काफी खर्चीले थे।उन्होंने कहा, ‘भारतीय बाजार के संदर्भ में हमने सकारात्मक रुख बनाया हुआ है। हाल में बाजार में आई गिरावट ने इसे दो महीने पहले की तुलना में ज्यादा आकर्षक बना दिया है।’


आवश्यक निवेश नीति के बारे में मोबियस ने बताया कि निवेशकों के दुखी या चिंतित होने की कोई बात नहीं थी अगर उन्होंने पूरे शोध के साथ दीर्घावधि के लिए निवेश किया था। उन्होंने कहा, ‘निवेशकों को बाजार की अस्थिरता को शेयर बाजार में निवेश के हिस्से के तौर पर देखना चाहिए।’जब भारतीय कंपनियों और बैंकों द्वारा ऑफशोर डेरिवेटिव बाजार में पैसे लगाने के संदर्भ में उनके नजरिये के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया ‘यह बेहतर होता कि लेखा बोर्ड तिमाही आधार पर समेकित संख्याओं की घोषणा सुनिश्चित करता और मार्क-टु-मार्केट के लिए अनुमति देता।’


यह बताते हुए कि बाजार की वर्तमान परिस्थिति की समाप्ति की भविष्यवाणी मुश्किल है मोबियस ने कहा कि वे दीर्घावधि में विभिन्न आस्ति वर्गों से बेहतर प्रतिफल की उम्मीद (डीकपलिंग) करते हैं।उन्होंने कहा, ‘पहले अमेरिका वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र हुआ करता था। अन्य देशों से अमेरिका के रिश्तों में आई कमजोरी और इसके अर्थव्यवस्था के कम होते प्रभावों की वजह से आर्थिक पूंजी और विकास के नए केंद्रों जैसे भारत का प्रादुर्भाव हुआ है।


इस प्रकार, हम उम्मीद करते हैं कि दीर्घावधि में डीकपलिंग जारी रहेगी।’मोबियस ने कहा, ‘यद्यपि अल्पावधि में अमेरिकी घटनाओं के साथ-साथ शेयर के मूल्यों में कमी आई है, लेकिन इनमें कोई मजबूत संबंध नहीं है। धारणा में शुरुआती बदलाव आने के बाद, बाजार व्यक्तिगत तौर पर आगे बढ़ेंगे।’

First Published - March 25, 2008 | 11:22 PM IST

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