कोलबर्ग क्रविस रॉबर्ट एंड कंपनी (केकेआर) एक ग्लोबल अल्टरनेट एसेट मैनेजमेंट कंपनी है जिसमें जल्द ही सिटी ग्रुप के दक्षिण एशिया क्षेत्र के सीईओ संजय नायर शामिल होने जा रहे हैं।
नायर यहां भी दक्षिण एशिया कारोबार के प्रमुख होंगे। केकेआर ने अभी तक भारत में दो प्राइवेट इक्विटी सौदे ही किए हैं, लेकिन दिसंबर 2007 में इस 32 साल पुरानी फर्म वैश्विक स्तर पर कंपनी तकरीबन 53.2 अरब डॉलर की संपत्ति का प्रबंधन कर रही थी।
2006 में इसने भारत में अपने पहले सौदे में फ्लेक्सट्रानिक्स सॉफ्टवेयर को 90 करोड़ डॉलर में खरीदा था। इस सौदे में सिटी सलाहकार था। दूसरे सौदे में इसने मोबाइल टॉवर लगाने वाली कंपनी भारती इन्फोटेल में 25 करोड़ डॉलर का निवेश किया था।
इस बार सिटी सह सलाहकार था।
नायर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस वैश्विक फर्म का कारोबार भारत में स्थापित करने की चुनौती उनके सामने है। पेश है उनसे बातचीत के अंश :
आप सिटी में पिछले 23 सालों से थे। उसे छोड़ने का यह निर्णय क्या आपके लिए बेहद कठिन था ?
यह बेहद कठिन निर्णय था जिस पर मैने विचार करने में लंबा समय लिया। मैं यह जानता था कि मुझे भारत में ही रहना है। साथ ही मेरा विश्वास था कि नई शुरुआत के लिए यही अच्छा समय है। मैं अपने इस कदम को लेकर बेहद उत्साहित हूं क्योंकि इसमें एक लांग टर्म विजन और केकेआर में एक मजबूत प्लेटफार्म बनाने का दर्शन शामिल है।
मेरे लिए यह एक तार्किक निर्णय है क्योंकि इसमें भारत में काम करने का विजन है। इस बारे में भले ही घोषणा कर दी गई है लेकिन मैं कुछ समय और सिटी के साथ रहूंगा ताकि वहां हो रहे बदलावों में मदद कर सकूं।
मुझे आसान हैंडओवर की उम्मीद है क्योंकि वह एक शानदार फ्रेंजाइजी है। यहां पर एक शानदार टीम है। मुझे पूरा विश्वास है कि मैं बैंक को सही हाथो में सौंप कर जा रहा हूं।
केकेआर में आपकी रणनीति क्या होगी ?
मैं अभी तो सिटी में हूं(हंसते हुए)। मुझे विश्वास है कि केकेआर मेरे लिए अच्छा वैकल्पिक प्लेटफार्म तैयार करेगा जिसकी डिस्ट्रेस असेट मेजनाइन फाइनेंसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट आदि पर होगी।
परंपरागत रूप में प्राइवेट इक्विटी इसका एक पहलू भर है। इसकी एप्रोच तो एक वृहद प्लेटफार्म तैयार करने की है और मेरा मानना है कि यह तो चलन के अनुसार ही है। केकेआर की वैश्विक और एशियाई रणनीति में भारत एक अहम हिस्सा होना चाहिए। इसमें मेरा अनुभव काम आएगा।
लेकिन क्या यह वर्तमान समय में खासा मुश्किल नहीं होगा? फिर भारत के वित्तीय क्षेत्र पहले से ही भीड़भाड़ वाला है।
मेरा विश्वास रहा है कि भारत में हमेशा अवसर हैं। यहां पर पूंजी की जरूरत है और उसके स्रोत बेहद कम हैं। इसके चलते नई कैपिटल तो बाजार में आएगी ही और लांग टर्म रणनीतिक कैपिटल भारत की एंटरप्रेन्योरशिप कल्चर के निर्माण और यहां के कारोबार और लीडरशिप को वैश्विक स्तर पर विकसित करने में मदद करेगी।
प्राइवेट इक्विटी के लिहाज से इस समय कौन सा क्षेत्र सबसे बेहतर है?
इस बारे में कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। मैं अभी बिकवाली की ओर हूं और वे खरीदारी की ओर हैं। मुझे वहां पहले जाने तो दीजिए।