मंगलवार को रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का शेयर 7 फीसदी से ज्यादा उछल गया और अब भारत की सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में उसकी हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी हो गई है। मुकेश अंबानी की अगुआई वाली फर्म का बाजार पूंजीकरण अब 30 शेयरों वाले सेंसेक्स के संयुक्त बाजार पूंजीकरण का करीब पांचवां हिस्सा है। मार्च के निचले स्तर से यह शेयर दोगुना हुआ है जबकि दिसंबर 2016 के मुकाबले यह चार गुना हो गया है। 31 जुलाई को निफ्टी 50 इंडेक्स में उसका भारांक 14 फीसदी रहा। शेयर कीमतों में हालिया तेजी के बाद निफ्टी और सेंसेक्स में आरआईएल का भारांक 15 व 18 फीसदी के पार निकल गया है।
इस साल 23 मार्च को आरआईएल का भारांक 8.77 फीसदी था और जून में वह 10 फीसदी के पार निकल गया था। इससे पहले साल 2008 की शुरुआत में यह 10 फीसदी के पार निकला था। निफ्टी-50 में भारांक की गणना फ्री-फ्लोट मार्केट कैप के इस्तेमाल के जरिए होती है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (संस्थागत इक्विटीज) गौतम दुग्गड़ ने कहा, हाल में फंड जुटाए गए, बैलेंस शीट को दुरुस्त किया गया और कंपनी की तरफ से डिजिटल व उपभोक्ता कारोबार पर की गई पहल से स्टॉक की दोबारा रेटिंग को लेकर अवधारणा और सुधरी।
आरआईएल में तेजी हालांकि फंड मैनेजरों की चिंता बढ़ा सकती है क्योंकि मौजूदा नियम उन्हें किसी ऐक्टिव फंड को खास योजना के जरिए किसी एक शेयर में 10 फीसदी से ज्यादा निवेश की अनुमति नहीं देता।
इसके अतिरिक्त वैयक्तिक फंड हाउस की सीमा नरम हो सकती है, जो किसी खास सीमा से शेयर की खरीदारी से रोकता है यानी कुल योजना की होल्डिंग का 5 या 7.5 फीसदी आदि।
इसका मतलब यह हुआ कि फंड मैनेजरों को शेयर के उम्दा प्रदर्शन में भागीदारी का मौका नहीं मिलेगा, अगर उसका भारांक 10 फीसदी के पार निकलता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार मूल्यांकन के लिहाज से 100 अग्रणी शेयरों में निवेश पर ध्यान केंद्रित करने वाली लार्जकैप योजनाएं आरआईएल के उच्च भारांक से परेशानी झेल सकती हैं। इन योजनाओं का प्रदर्शन कमजोर हो सकता है जब तक कि व्यापक बाजार में सुधार नहीं होता और काफी शेयरों में तेजी शुरू नहीं होती। विशाखित इक्विटी योजनाएं मोटे तौर पर 45 से 60 शेयरों में निवेश करती है।
कोटक म्युचुअल फंड के अध्यक्ष व सीआईओ (इक्विटी) हर्ष उपाध्याय ने कहा, मौजूदा नियम ऐक्टिव फंड मैनेजरों को किसी खास योजना के जरिए किसी एक शेयर में 10 फीसदी से ज्यादा निवेश से रोकता है। मोटे तौर पर फंड मैनेजर उम्दा प्रदर्शन वाले शेयरों में निवेश कर कमाई कर सकते हैं, जो इंडेक्स के दिग्गज नहीं हैं। लेकिन संकीर्ण बाजार में यह चुनौतीपूर्ण हो जाता है, खास तौर से लार्जकैप फंडों के लिए।
निफ्टी-50 को 23 मार्च के निचले स्तर 7,610 से 31 जुलाई तक 53 फीसदी ज्यादा यानी 11,073 तक पहुंचने में पांच शेयरों आरआईएल, इन्फोसिस, एचडीएफसी बैंक, टीसीएस और एचडीएफसी ने अहम योगदान दिया। 15 अग्रणी शेयरों ने तेजी में 75 फीसदी से ज्यादा का योगदान किया। हाल तक एचडीएफसी बैंक का भारांक भी निफ्टी में 10 फीसदी से ज्यादा था।
40 निचले शेयर हैं जहां फंड मैनेजर वैल्यू रिकवर करने में सक्षम हो सकते हैं। ऐक्सिस सिक्योरिटीज के हालिया नोट में कहा गया है, प्रदर्शन में इस तरह का अंतर हाल के महीनों में बढ़ा है। 10 अग्रणी शेयरों के आधार पर निफ्टी का समायोजित वैल्यू 13,044 बैठता है, वहीं बाकी 40 शेयर का 8,711। यह संकेत देता है कि निफ्टी का मूल्यांकन 10 अग्रणी शेयरों के बाद उचित है। 10 अग्रणी और बाकी 40 शेयरों की बात करें तो 40 निचले शेयरों में लंबी अवधि के लिहाज से जोखिम-प्रतिफल बेहतर है।
चार क्षेत्रों वित्तीय सेवा, तेल व गैस, सूचना प्रौद्योगिकी और उपभोक्ता क्षेत्र का भारांक निफ्टी-50 में 77 फीसदी से ज्यादा है। एक्सचेंज के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
