बंधन फाइनैंशियल होल्डिंग्स, जीआईसी और क्रिसकैपिटल के कंसोर्टियम द्वारा 4,500 करोड़ रुपये में आईडीएफसी म्युचुअल फड (एमएफ) का अधिग्रहण 38 लाख करोड़ रुपये के घरेलू एमएफ स्पेस में अधिग्रहण की शृंखला में ताजा सौदा है।
उद्योग के विश्लेषकों का मानना है कि कई मौजूदा कंपनियों को उद्योग की विकास संभावनाओं को देखते हुए भविष्य में अच्छे अवसर मिल सकते हैं। मॉर्निंगस्टार इंडिया में सहायक निदेशक (शोध प्रबंधक) हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है, ‘मेरा मानना है कि विलय एवं अधिग्रहण (एमऐंडए) एमएफ उद्योग में बरकरार रहेंगे। यदि मौजूदा एएमसी आर्थिक रूप से व्यवहार्य व्यवसाय नहीं कर सकते, तो वे उन्हें अपने फंड हाउस बेचने होंगे। पिछले कुछ वर्षों में, उद्योग में कई विलय एवं अधिग्रहण हुए हैं। ऐसे कुछ मझोले एवं छोटे आकार की एएमसी हो सकती हैं जो लाभ नहीं कमा रही हों और इस उद्योग से निकलना चाहती हों।’
वित्त वर्ष 2016 और वित्त वर्ष 2022 के बीच एमएफ एयूएम करीब 20 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ा है। रेडसियर के अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2026 तक, एयूएम 17 प्रतिशत की सालाना वृद्घि दर से बढ़कर 75 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है। इस वृद्घि को वित्तीय परिसंपत्तियों में घरेलू बचत के बढ़ते अनुपात से मदद मिलेगी। मौजूदा समय में, भारत का एयूएम-जीडीपी अनुपात महज 17 प्रतिशत है जिससे पता चलता है कि परिवारों की बचत का एक सिर्फ छोटा हिस्सा ही म्युचुअल फंडों में निवेश होता है।
दिसंबर में, एचएसबीसी एमएफ ने करीब 3,200 करोड़ रुपये में एलऐंडटी इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट का अधिग्रहण किया। मई 2021 में, नेक्स्टबिलियन टेक्नोलॉजी (ग्रो गु्रप की इकाई) ने करीब 175 करोड़ रुपये में इंडियाबुल्स एएमसी ऐंड ट्रस्टी कंपनी को खरीदने के लिए इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस के साथ समझौता किया था। जनवरी, 2021 में, सुंदरम एएमसी ने प्रिंसीपल एएमसी के परिसंपत्ति प्रबंधन व्यवसाय को खरीदने की घोषणा की थी। वहीं सचिन बंसल के स्वामित्व वाले नवी एमएफ ने एस्सेल एमएफ की परिसंपत्तियां खरीदी थीं।
जहां कई नई कंपनियां एमएफ क्षेत्र में प्रवेश कर रही हैं, लेकिन वृद्घि कुछ खास कंपनियों तक केंद्रित है। मौजूदा समय में, देश में 43 फंड हाउस हैं और इस उद्योग की करीब 80 प्रतिशत परिसंपत्तियों पर प्रमुख 10 कंपनियों का दबदबा है।
