Hindenburg-Adani Case: बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और इसकी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने अदाणी मामले में अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए नए आरोपों का आज खंडन किया। हिंडनबर्ग ने शनिवार को जारी अपनी नई रिपोर्ट में अदाणी मामले की जांच में देर और इस मामले में सेबी की निष्पक्षता पर सवाल उठाया।
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि बुच और उनके पति धवल बुच भी इसमें पक्ष थे क्योंकि उन्होंने एक फंड में निवेश किया था, जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर अदाणी समूह के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए भी किया गया था।
विदेशी फंड ढांचे के उपयोग पर सवाल उठाने के साथ ही हिंडनबर्ग ने धवल की प्राइवेट इक्विटी फर्म ब्लैकस्टोन के साथ जुड़ाव के कारण रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया। ब्लैकस्टोन भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में एक बड़ी निवेशक है।
सेबी और बुच दंपती ने अलग-अलग बयान जारी कर सभी आरोपों को निराधार और इसे चरित्र हनन का प्रयास बताया।
कानून के विशेषज्ञों और बाजार के भागीदारों जैसे म्युचुअल फंड उद्योग की संस्था एम्फी ने भी बुच का समर्थन किया है। इन्होंने अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म की मंशा पर भी सवाल उठाए। हालांकि सेबी प्रमुख को कुछ राजनीतिक दलों की नाराजगी का सामना करना पड़ा जिन्होंने आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग की।
व्हिसलब्लोअर दस्तावेज का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग ने शनिवार को जारी रिपोर्ट में बुच दंपती के मॉरीशस की आईपीई प्लस 1 फंड में निवेश का भी उल्लेख किया है। इस फंड को आईआईएफएल वेल्थ (अब 360 वन) द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
बुच और 360-वन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान अदाणी समूह की प्रतिभूतियों में कभी निवेश नहीं किया है। इसके साथ ही कहा कि फंड के कुल कोष में बुच की शेयरधारिता महज 1.5 फीसदी थी और इसके निवेश निर्णय में उनकी कभी कोई भूमिका नहीं रही।
बुच दंपती ने कहा कि उनका निवेश सिंगापुर में रहने के दौरान निजी नागरिक के तौर पर किया गया था और मुख्य निवेश अधिकारी अनिल आहूजा, धवल के बचपन के दोस्त थे। आहूजा के 2018 में इस फंड से जाने के बाद उन्होंने अपना निवेश निकाल लिया था।
सेबी द्वारा रीट का पक्ष लेने के आरोप का जवाब देते हुए दंपती ने कहा कि धवल का ब्लैकस्टोन के रियल एस्टेट कारोबार से कोई संबंध नहीं है और वह केवल पीई तथा अन्य कॉर्पोरेट पक्ष से जुड़े थे क्योंकि आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में उनके पास व्यापक अनुभव है। सेबी ने कहा कि रीट के संबंध में नियामकीय निर्णय किसी एक इकाई के पक्ष में नहीं था और सार्वजनिक परामर्श के बाद बोर्ड की मंजूरी से निर्णय लिए गए थे।
अदाणी समूह के खिलाफ हितों के टकराव के कारण कार्रवाई नहीं करने के आरोपों पर नियामक ने कहा कि अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में 24 जांच में से 23 पूरी हो गई है और एक पूरी होने वाली है। अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग के ताजा आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और शरारत भरा बताया।
समूह ने एक्सचेंज को बताया, ‘हम अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। यह बदनाम करने के नीयत से पहले किए गए दावों का ही दोहराव है, जिनकी गहन जांच की गई है और वे निराधार साबित हुए हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसे पहले ही खारिज किया जा चुका है।’