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जिंसों की बढ़ी वैश्विक कीमत 1 प्रतिशत बढ़ा सकती है खुदरा महंगाई दर : नोमुरा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 11:58 PM IST

जिंसों के वैश्विक दाम, खासकर कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले की कीमतों में तेजी है। भारत का उद्योग जगत इसके संभावित असर से जूझ रहा है। वहीं ग्राहकों को भी ईंधन के बढ़ते दाम से जूझना पड़ रहा है और साथ ही इससे महंगाई दर बढऩे को लेकर चिंता रही है।
नोमुरा के एक हाल के नोट में कहा गया है कि अगर दिसंबर, 2021 तक कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, कोयला और बिजली के वैश्विक दाम मौजूदा स्तर पर स्थिर रहते हैं और मार्च, 2022 तक 5 प्रतिशत बढ़ते हैं तो इसका खुदरा मूल्य पर आधारित महंगाई दर (सीपीआई) पर करीब एक प्रतिशत असर पडऩे की संभावना है।
अरूप नंदी के साथ नोमुरा में मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने एक नोट में लिखा है, ‘घरेलू कोयले की कमी की समस्या का समाधान कुछ महीनों में होने की संभावना है। लेकिन ऊर्जा की लागत बढऩे से औद्योगिक गतिविधियां सुस्त पड़ सकती हैं। वहीं ऊर्जा की बढ़ी लागत महंगाई का दबाव बढ़ा सकता है। ऊर्जा के ज्यादा दाम के बड़े झटकों से कारोबार के मध्यावधि विकास पर विपरीत असर पड़ सकता है।’
आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त के अंत में ब्रेंट क्रूड की कीमत करीब 65 डॉलर प्रति बैरल थी, उसके बाद से इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है और अब इसके दाम 85 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए हैं। वहीं प्राकृतिक गैस की कीमत अगस्त के स्तर से करीब 26 प्रतिशत बढ़ी है।  
जेएम फाइनैंशियल के मुख्य रणनीतिकार और प्रबंध निदेशक धनंजय सिन्हा ने कहा कि आधार का असर खत्म हो रहा है और हम बढ़ती लागत की महंगाई का असर देख रहे हैं, जिसमें ईंधन और बिजली की लागत शामिल है। उन्होंने कहा कि अगले 12 महीने में खुदरा महंगाई 6.5 प्रतिशत और प्रमुख महंगाई दर क्रमश: 6.5 से 7 प्रतिशत तक होने की संभावना है।

First Published : October 25, 2021 | 11:56 PM IST