भारत का मूल्यांकन प्रीमियम, बढ़ी ब्याज दरें और चीन की अर्थव्यवस्था के दोबारा खुलने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) फंडों का आवंटन भारत से बाहर कर रहे हैं। यह कहना है उद्योग पर नजर रखने वालों का। इस महीने अब तक विदेशी फंडों ने 2 अरब डॉलर के देसी शेयरों की बिकवाली की है। दूसरी ओर, रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अरबों डॉलर का विदेशी निवेश हासिल किया है। चीन रोजाना आधार पर एफपीआई निवेश की रिपोर्ट नहीं देता।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने चीन-हॉन्गकॉन्ग स्टॉक कनेक्ट स्कीम के जरिए इस साल अब तक शुद्ध रूप से 41 अरब युआन (6.06 अरब डॉलर) के चीन के शेयरों की खरीद की है जबकि 2022 में पूरे साल उन्होंने 90 अरब युआन के शेयर खरीदे थे। उन्होंने दिसंबर में शुद्ध रूप से 35 अरब युआन के चीनी शेयर खरीदे। इस साल अब तक के लिहाज से हॉन्ग-कॉन्ग का हेंगसेंग 9.1 फीसदी चढ़ा है और शांघाई कम्पोजिट में 4.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उधर, सेंसेक्स व निफ्टी में 0.3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है।
सेंट्रम के सीईओ (इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज) निश्चल माहेश्वरी ने कहा, चीन काफी सस्ता है और यह बाजार खुल रहा है। ऐसे में काफी रकम भारत से चीन जाएगी। अगल वे चीन में निवेश नहीं कर रहे तो निवेशक विकल्प तलाशेंगे क्योंकि हमारी आय अनुमान के मुताबिक शायद नहीं होगी। हम एफपीआई की लगातार बिकवाली देख रहे हैं। एफपीआई निवेश के लिहाज से यह साल चुनौतीपूर्ण होगा। शायद स्थिति और उदार हो सकती है जब अमेरिका मंदी से गुजरेगा और निवेश वापस भारत आ सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि आगामी महीनों में चीन की इक्विटी में और निवेश होगा, जिसका अपेक्षाकृत एशिया व उभरते बाजारों मसलन भारत पर असर पड़ेगा। भारत के बेंचमार्क सूचकांक चीनी समकक्षों के मुकाबले 60 फीसदी से ज्यादा प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं। विश्लेषकों का तर्क है कि उच्च बढ़त की क्षमता को देखते हुए अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले भारत के मूल्यांकन में मामूली कमी की गुंजाइश है। मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने कहा, किसी अन्य बड़े देश के मुकाबले हम काफी ज्यादा दर से वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। इस बीच, चीन जा रहे निवेश के टिके रहने पर कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा, अर्थव्यवस्था के खुलने के बाद हम चीन में विदेशी निवेश देख रहे हैं, लेकिन हमें देखना होगा कि यह कितना टिकाऊ रहता है। कोविड को लेकर चीन की पाबंदियों में हर समय घटबढ़ देखने को मिलती है। भारत में कोविड की स्थिति स्थिर है और यह बढ़त वाली अर्थव्यवस्था है। मूल्यांकन में कुछ गिरावट के बाद एफपीआई भारत में निवेश शुरू करेंगे। ज्यादातर विदेशी ब्रोकरेज हालांकि साल 2023 में चीन के परिदृश्य को लेकर तेजी का नजरिया बरकरार रखे हुए हैं।
यह भी पढ़ें: SEBI ने लावा इंटरनेशनल को IPO ड्राफ्ट पेपर संशोधन के लिए लौटाए
एचएसबीसी ने एक नोट में कहा है, दूसरी तिमाही से चीन की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आएगा और रफ्तार अगले साल तक जाएगी। हाउसिंग मार्केट को स्थिर करने और देसी उपभोग की मजबूती को प्राथमिकता देने के मामले में हमने सरकार की तरफ से मजबूत संकेत देखे हैं। चीन की इक्विटी पर एचएसबीसी का रुख ओवरवेट है। चीन के बाजार पहले ही तेजी वाले दौर में प्रवेश कर चुके हैं और अक्टूबर के आखिर से उसमें 20 फीसदी से ज्यादा की उछाल आ चुकी है।
मॉर्गन स्टैनली ने पिछले हफ्ते एक नोट में कहा था, चीन की रफ्तार को लेकर हमारा नजरिया और तेजी का है क्योंकि अर्थव्यवस्था तेजी से खुल रही है, हाउसिंग का समर्थन मजबूत है और तकनीकी नियामक सहज हो रहे हैं। उभरते बाजारों में मार्गन स्टैनली का रुख दक्षिण कोरिया, ताइवान व चीन को लेकर ओवरवेट है।