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विदेशी ब्रोकरेज फर्म ने घटाया निफ्टी का लक्ष्य

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:06 PM IST

रूस-यूक्रेन संकट के रूप में सामने आए कई तरह के अवरोध से कच्चे तेल की कीमतें आठ साल के उच्चस्तर 97 डॉलर पर पहुंचने, उम्मीद से पहले वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से ब्याज बढ़ोतरी की संभावना और बॉन्ड प्रतिफल पर उसका असर के अलावा तेल की कीमतें बढऩे से महंगाई में इजाफे के डर से विदेशी ब्रोकरेज साल 2022 मेंं बाजारों से रिटर्न की उम्मीद पर एक बार फिर नजर डाल रहे हैं।
जेफरीज के विश्लेषकों ने निफ्टी-50 के लिए दिसंबर 2022 का लक्ष्य घटाकर 17,500 कर दिया है, जो मौजूदा स्तर से करीब 3.5 फीसदी ज्यादा है। विदेशी संस्थागत निवेशकों की तरफ से अक्टूबर 2021 के बाद हुई बिकवाली को देसी संस्थानों ने समाहित कर लिया है और बाजार को सहारा दिया है, लेकिन उन्होंंने चेतावनी दी है कि एलआईसी का आगामी आईपीओ इस संतुलन को बिगाड़ सकता है।
जेफरीज का कहना है कि वैश्विक स्तर पर प्रचुर नकदी का परिदृश्य पहले ही खतरे के घेरे में है क्योंंकि उच्च महंगाई नीतिगत बदलाव के लिए प्रोत्साहित कर रही है। फेड मार्च में मात्रात्मक सहजता समाप्त करेगा और जेफरीज का मानना है कि साल 2022 में सात बार 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी हो सकती है और 2023 मेंं चार बार। यूरोजोन में रिकॉर्ड महंगाई ने यूरोपियन सेंट्रल बैंक की तरफ से मात्रात्मक सहजता की जरूरत पर सवाल उठाए हैं।
उधर, भारत अगले 12 महीनों में होने वाले राजकोषीय व चालू खाते के घाटे पर एकसाथ नजर डाल रहा है। जेफरीज का कहना है कि आयात में व्यापक बढ़ोतरी हुई है और स्थानीय मांग भी सुधर रही है। इसके अलावा तेल व जिंस की उच्च कीमतें चालू खाते पर दबाव बनाए रख सकती है। इन वजहों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की तरफ से अप्रैल 2021 के बाद से 20 अरब डॉलर की इक्विटी की बिकवाली देखने को मिली है।
पिछले पांच महीने में निफ्टी-50 इंडेक्स 2 फीसदी टूटा है। इसके अलावा रियल्टी, एफएमसीजी, फार्मा और तेल व गैस सूचकांक एनएसई पर इस दौरान 4 फीसदी से लेकर 14 फीसदी तक कमजोर हुए हैं।

First Published : February 22, 2022 | 11:20 PM IST