facebookmetapixel
चार घंटे चली चर्चा के बाद संसदीय समिति को इंडिगो के जवाब से संतोष नहीं, उड़ान रद्द होने पर जांच जारीRBI के नए नियमों से ऐक्सिस फाइनैंस में पूंजी निवेश का रास्ता खुला: अमिताभ चौधरीतीन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक मार्च तक अपने IPO मसौदे जमा करेंगे, सरकार ने दिए दिशानिर्देशनैशनल हेराल्ड मामले में अदालत के संज्ञान न लेने के बाद खरगे बोले: PM अपने पद से दें इस्तीफाविदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नेतन्याहू से की मुलाकात, भारत-इजराइल साझेदारी को नई मजबूतीप्रधानमंत्री मोदी को मिला इथियोपिया का सर्वोच्च सम्मान, भारत-अफ्रीका रिश्तों में नया अध्यायAI के दौर में भी दुनिया भर में मानवीय अनुवाद सेवाओं की मांग में जबरदस्त उछालSEBI ने बदला म्यूचुअल फंड खर्च का खेल, निवेशकों को राहत और AMC को संतुलनWTO में MFN को खत्म करने के अमेरिकी प्रस्ताव का विरोध करेगा भारत, बहुपक्षीय व्यवस्था पर टकरावमिलावटी पनीर-खोया पर FSSAI सख्त, होटल-रेस्तरां में उपयोग रोकने के दिए निर्देश

पीएसयू में निवेश सुस्त पड़ने की आशंका

Last Updated- December 11, 2022 | 5:47 PM IST

कच्चे तेल पर उत्पाद शुल्क लगाने के सरकार के निर्णय से अन्य समस्या पैदा हो सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे पूरे सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (पीएसयू) शेयरों की धारणा प्रभावित हो सकती है और इसका प्रभाव इस क्षेत्र में निवेश परभी पड़ेगा। उनका कहना है कि इसके अलावा निजीकरण विकल्प के जरिये कोष जुटाने की सरकारी योजना को भी भविष्य में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (केआईई) के सह-प्रमुख संजीव प्रसाद ने हाल में अनिंद्य भौमिक और सुनीता बलदावा के साथ मिलकर तैयार की गई रिपोर्ट में कहा, ‘धातु और तेल एवं गैस पीएसयू की बढ़ती आय अनिश्चितता से पीएसयू शेयरों की निवेश धारणा और जयादा प्रभावित होगी। इसके अलावा इससे सरकार के निजीकरण कार्यक्रम की राह भी डगमगाएगी। कई पीएसयू कंपनियां उन क्षेत्रों से हैं, जिन्हें बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और उनका सरकारी स्वामित्व लगातार घट सकता है।’
नए कर (सभी व्यावहारिक उद्देश्य वाले ईंधन से संबंधित) लगाने के बारे में प्रसाद ने लिखा है कि इस निर्णय से निवेशकों में भारत में निवेश धारण को लेकर चिंता बढ़ सकती है। सरकार ने सितंबर 2019 में भारत को आकर्षक निवेश स्थान बनाने के प्रयास में कॉरपोरेट कर दरों में कटौती की थी और घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना के तहत बड़ी कर रियायतें देने का वादा किया था। केआईई का कहना है, कर संबंधित नए कदम सरकार के संपूर्ण निवेश अनुकूल रुख के विपरीत हैं।
केआईई के अनुसार, निफ्टी-50 सूचकांक के लिए पिछले दो महीनों के दौरान ज्यादातर आय कटौती सरकार द्वारा धातु एवं खनन और तेल, गैस एवं उपभोग योग्य ईंधन (डीजल और गैसोलिन पर निर्यात कर और कच्चे तेल पर उत्पाद शुल्क) क्षेत्रों पर नए कर लगाने की वजह से गई है।
प्रसाद ने कहा, ‘नए कर खासकर नुकसानदायक हैं, क्योंकि वे राजस्व से जुड़े हुए हैं और इसलिए आय पर इनका अनुपातहीन प्रभाव पड़ेगा। सभी इस्पात एवं कई तेल एवं गैस शेयरों की कीमतें सरकार के इस नए कदम की वजह से तेजी से गिरी हैं। निफ्टी-50 सूचकांक इस्पात पर निर्यात कर लगाने के बाद से 3 प्रतिशत नीचे आया है, जबकि इस्पात क्षेत्र का बाजार पूंजीकरण समान अवधि में 21 प्रतिशत गिरा है।’
वित्त वर्ष 2023 में अब तक, निफ्टी पीएसयू सूचकांक ने प्रमुख निफ्टी-50 के अनुरूप प्रदर्शन किया है। एसीई इक्विटी डेटा से पता चलता है कि हालांकि कुछ खास शेयरों में कमजोरी कुछ ज्यादा रही। नालको, एनएमडीसी, सेल, आईआरसीटीसी, ओएनजीसी, एचपीसीएल, ऑयल इंडिया, गेल इंडिया और बीपीसीएल में वित्त वर्ष 2023 में अब तक 10 प्रतिशत से 43 प्रतिशत के दायरे में कमजोरी आई है।  इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम का मानना है कि जहां तक पीएसयू शेयरों का सवाल है, नए कर निवेशकों को अनिश्चितता में डालेंगे।

First Published - July 5, 2022 | 11:58 PM IST

संबंधित पोस्ट