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डेरी कारोबार में फायदे की उम्मीद

विश्लेषकों का मानना है कि कीमतों में बढ़ोतरी का लाभ जनवरी-मार्च तिमाही से मिलना शुरू हो जाएगा

Last Updated- December 25, 2022 | 11:11 PM IST
India leads global milk production, dairy sector crosses ₹12 trillion market value
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डेरी कंपनियों (Dairy Companies) के शेयरों में पिछले कुछ महीनों के दौरान लगातार सुधार हुआ है क्योंकि संबंधित कंपनियों ने दूध खरीद और चारे की बढ़ती लागत से निपटने के लिए दामों में इजाफे की घोषणा की थी। डोडला डेयरी, हेरिटेज फूड्स, पराग मिल्क फूड्स और वाडीलाल इंडस्ट्रीज के शेयर वर्ष 2022-23 (वित्त वर्ष 23) में अब तक 13 से 94 फीसदी चढ़ चुके हैं। तुलनात्मक रूप से बेंचमार्क सेंसेक्स और निफ्टी 50 के सूचकांक में लगभग पांच-पांच प्रतिशत की मजबूती आई है।

विश्लेषकों का मानना है कि कीमतों में बढ़ोतरी का लाभ जनवरी-मार्च तिमाही से मिलना शुरू हो जाएगा, जबकि वर्ष 2023-24 (वित्त वर्ष 24) उद्योग के मार्जिन के लिए एक स्थिर वर्ष रहेगा। वेंचुरा सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख विनीत बोलिनजकर कहते हैं ‘कंपनियों ने कुछ अंतराल के साथ दाम बढ़ोतरी की है, जिसका सकारात्मक प्रभाव वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही से दिखना शुरू होने के आसार हैं, जबकि वित्त वर्ष 24 मार्जिन और कच्चे दूध की आपूर्ति के मामले में सामान्य साल रहने की उम्मीद है।’

डेरी उद्योग में पिछले 10 महीने के दौरान दामों में लगातार बढ़ोतरी हुई है, जिससे थोक बिक्री वाले दूध की कीमत सालाना आधार पर 10 प्रतिशत बढ़कर मध्य दिसंबर तक 52 रुपये प्रति लीटर हो गई है। दामों में बढ़ोतरी का यह फैसला उद्योग द्वारा इस वित्त वर्ष में कमजोर लाभ मार्जिन दर्ज करने के बाद आया है, जिस पर मवेशियों के चारे की कीमतों, लॉजि​स्टिक और पैकेजिंग लागत में तीव्र वृद्धि तथा मवेशियों में गांठदार त्वचा रोग की वजह से दूध के थोक बिक्री के दामों का असर पड़ा है।

यह भी पढ़ें: तेजी पर सवार भारतीय बाजार की 2023 में कुंद पड़ेगी धार

उदाहरण के लिए हेरिटेज फूड्स और डोडला डेयरी के परिचालन मार्जिन में ​मजबूत राजस्व के बावजूद जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान क्रमशः 482 और 230 आधार अंक (बीपीएस) की गिरावट आई। बोलिनजकर कहते हैं कि कोविड-19 के बाद डेरी क्षेत्र ने अभूतपूर्व मुद्रास्फीति के दबाव का सामना किया है क्योंकि कच्चे दूध की कीमतों और पैकेजिंग की लागत में तेज वृद्धि हुई है, जिसमें चारे के दामों में इजाफे का खासा योदान रही।

अ​धिक मांग के बीच किसानों ने भी दाम बढ़ोतरी कर दी। गांठदार त्वचा रोग ने भी दूध आपूर्ति का सात से आठ प्रतिशत भाग कम कर दिया। इन सभी चीजों से वित्त वर्ष 23 में इस क्षेत्र के सकल मार्जिन पर दबाव पड़ा, जो गिरकर 18 प्रतिशत से नीचे आ गया, जबकि पहले यह 25 प्रतिशत से भी अधिक था।

First Published - December 25, 2022 | 11:11 PM IST

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