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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन को 2019-20 में शेयर बाजार से घाटा

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:33 AM IST

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा शेयर बाजार में किए गए निवेश पर 2019-20 के दौरान घाटा हुआ है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष में निवेश पर लाभ के बजाय 8.3 प्रतिशत घाटा हुआ है, जो पहले के वित्त वर्ष के 14.7 प्रतिशत से बहुत कम है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण मार्च महीने में अप्रत्याशित बिकवाली हुई, जिससे 2019-20 में करीब सभी निवेशकों का इक्विटी रिटर्न खत्म हो गया।

मार्च महीने में बेंचमार्क सेंसेक्स 23 प्रतिशत गिरा। वित्त वर्ष के दौरान सूचकांक में 24 प्रतिशत की गिरावट आई, जो एक दशक का सबसे खराब प्रदर्शन है। अगर सेंसेक्स के रिटर्न से तुलना करें तो ईपीएफओ इक्विटी रिटर्न बेहतर नजर आता है।

बहरहाल ईपीएफओ को  सीपीएसई और भारत-22 ईटीएफ को लेकर भय बना हुआ है। ईपीएफओ ने 2019-20 में एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) में 31,501 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि इसके पहले के वित्त वर्ष में 27,974 करोड़ रुपये निवेश किया था।

सीपीएसई ईटीएफ और भारत-22 ईटीएफ से -24.36 प्रतिशत और -19.73 प्रतिशत मुनाफा इस वित्त वर्ष में आया है। ईपीएफओ के कुल निवेश में से करीब 9.5 प्रतिशत यानी मोटे तौर पर 10,000 करोड़ रुपये सीपीएसई ईटीएफ और भारत-22 ईटीएफ में गया है। एसबीआई असेट मैनेजमेंट कंपनी और यूटीआई असेट मैनेजमेंट कंपनी द्वारा चलाए जा रहे ईटीएफ पर रिटर्न तुलनात्मक रूप से बेहतर, क्रमश: -6.2 प्रतिशत और -10.1 प्रतिशत रहा है। ईपीएफओ के शेयर बाजार में कुल निवेश में एसबीआई ईटीएफ में 70 प्रतिशत से ज्यादा लगा है।

ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड आफ ट्रस्टी की बैठक में इक्विटी मार्केट से मुनाफे के मसले पर भी चर्चा होनी है, जो श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में 9 सितंबर को होनी है।

ईपीएफओ सेंट्रल प्रॉविडेंट फंड कमिश्नर सुनील बर्थवाल ने इस सिलसिले में भेजे गए टेक्ट मैसेज पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

विनिवेश लक्ष्य हासिल करने की कवायद में वित्त मंत्रालय ने सीपीएसई और भारत-22 ईटीएफ पेश किया है। सीपीएसई-ईटीएफ पहली बार मार्च 2014 में लाया गया और भारत-22 ईटीएफ 2017 में पेश किया गया था।

केंद्र सरकार ने 2019-20 में ईटीएस के माध्यम से विनिवेश कर 30,869 करोड़ रुपये जुटाए थे। इसने भारत-22 ईटीएफ से 4,369 करोड़ रुपये और दो खंडों में सीपीएसई ईटीएफ से दो खंडों में यूनिट्स बेचकर 26,500 करोड़ रुपये जुटाए थे।

इन सभी तीन मौकों पर ईपीएफओ और अन्य सरकारी निवेश निकाय बड़ी सबस्क्राइबर थे।

बाजार के दिग्गजों का कहना है कि म्युचुअल फंडों व अन्य निवेशकों की सुस्त मांग की वजह से केंद्र अब ईपीएफओ प अन्य को पीछे छोड़ रहा है। निवेश के साधन के रूप में ईटीएफ लागत प्रभावी साबित हुआ है और सक्रियता से प्रबंधित फंडों की तुलना में बेहतर रिटर्न देने में सक्षम रहा है। वहीं दो सरकारी ईटीएफ के मामले में यह सही नहीं है।

एक निवेश विशेषज्ञ ने कहा, ‘दोनों ईटीएफ की डिजाइन सरकारी विनिवेश के लक्ष्य के मुताबिक तैयार की गई। सामान्यतया ईटीएफ के प्रारूप या फॉर्मूले में स्टॉक की गुणवत्ता शामिल होती है।’

First Published : September 4, 2020 | 11:44 PM IST