प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) से अपने सिस्टम की ऑडिटिंग का ठेका एक गुमनाम कंपनी आईसेक सिक्योरिटीज को देने पर सफाई मांगी है। उसने ठेके की शर्तों पर भी जवाब तलब किया है। ईडी ने एनएसई से यह भी पूछा है कि उसे यह बात पता थी कि आईसेक ने उन ब्रोकरेज के सर्वर का भी ऑडिट किया है, जिन्होंने कथित रूप से को-लोकेशन सुविधा का बेजा फायदा उठाया था।
ईडी को को-लोकेशन मामले में चल रही धन शोधन जांच के दौरान फोन कॉल की लिखित प्रतियां मिली थीं, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमने एनएसई से उनके सर्वर के ऑडिट और आईसेक को दिए गए ठेके के बारे में जानकारी मांगी है।’
अधिकारी ने कहा कि एजेंसी मिले कुछ नए सबूतों की जांच कर रही है और धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत नया मामला दर्ज कर सकती है। उन्होंने कहा, ‘पता चला है कि एनएसई ने एजेंसी को मांगी गई ज्यादातर जानकारी, डेटा और रिपोर्ट मुहैया करा दी हैं, जिनकी जांच चल रही है। मगर उसने आईसेक के बारे में स्पष्ट जवाब नहीं दिया।’
एनएसई को सोमवार को भेजे गए विस्तृत ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला। सूत्रों ने कहा कि निदेशालय ने एक्सचेंज से आईसेक के बारे में विस्तृत पूछताछ की। इसमें एनएसई जैसे संवेदनशील संस्थान के सिस्टम ऑडिट के लिए कम विशेषज्ञता वाली ऐसी गुमनाम कंपनी की नियुक्ति की वजह भी पूछी गई है। यह भी पूछा गया है कि क्या मौजूदा प्रबंधन को इस बारे में पता था।
आईसेक द्वारा लगाई गई निगरानी व्यवस्था को 2019 में इलेक्ट्रॉनिक-कचरा कहकर नष्ट कर दिया गया था। ईडी इस बात की भी पड़ताल कर रहा है कि आईसेक से संबंधित सबूतों को नष्ट करते समय मौजूदा प्रबंधन और ऑडिटरों ने आपत्ति उठाई थी या नहीं और उन्हें ब्रोकरेज को ऐसे ठेकों के बारे में पूछा था या नहीं।
पता चला है कि आईसेक के साथ एक्सचेंज का करार फरवरी, 2017 में यानी चित्रा रामकृष्ण के जाने के दो महीने के भीतर खत्म हो गया था। एक्सचेंज का नया प्रबंधन जुलाई, 2017 में आया था।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक्सचेंज के प्रमुख कर्मचारियों की जासूसी करने के आरोप में पिछले सप्ताह एनएसई के पूर्व प्रमुखों चित्रा रामकृष्ण और रवि नारायण तथा मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त और आईसेक सर्विसेज के संस्थापक संजय पांडेय के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
