अपने प्रस्तावित 1140 करोड क़े राइट इश्यू के साथ ही डिश टीवी अपने इक्विटी बेस को दोगुना करने जा रही है।
कंपनी इसकी मदद से डीटीएच अगर सर्विस प्रदाता के 500 करोड रुपये से अधिक के कर्ज को मुक्त कर पाती है तो भी आगे बहुत कठिन चुनौतियां हैं। इश्यू की कीमत प्रति शेयर 22 रुपये तय की जा रही है और प्रत्येक शेयरधारकों को प्रत्येक 100 शेयरों के लिए 121 शेयर दिए जा रहे हैं।
हालांकि बाजार के खस्ता माहौल में मंगलवार को हुए कारोबार में शेयरों का कारोबार 21.65 रुपये पर हुआ। अत: अगर कोई शेयर खरीदता है तो उस स्थिति में औसत शेयर की कीमत 21.85 रुपये होती है।
हालांकि इस स्तर पर शेयर बहुत खर्चीले दिखाई पड़ते हैं क्योंकि कंपनी को 600 करोड़ रुपये से ऊपर का घाटा हुआ है। इससे भी बड़ी बात यह है कि एअरटेल के डीटीएच बाजार में कदम रखने की घोषणा के साथ ही कारोबारी माहौल और चुनौती भरा हो गया है।
एक और टाटा स्काई कीमतों में कमी कर रहा है वहीं रिलायंस अपने खरीददारों को आकर्षक उपहार दे रहा है जिसके कारण कि डिश टीवी केलिए डगर आसान नहीं रह गई है। डिश टीवी के जितने भी प्रतिस्पर्धी हैं उनके पास बहुत ज्यादा पूंजी है और अपने टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क और उपभोक्ता की एक बड़ी संख्या के साथ बड़े प्रतिद्वंदी साबित हो सकते हैं।
आनेवाले कुछ समय में डीटीएच सेवा के उपभोक्ताओं की संख्या में निश्चित तौर पर बढ़ोतरी होने की संभावना है और इस लिहाज से वित्त वर्ष 2011 तक अगर यह संख्या 180 लाख के आसपास पहुंच जाए तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।
जहां तक डिश टीवी की बात है तो इसके द्वारा उपभोक्ताओं को अपनी और आकर्षित करने में लगा खर्च वित्त वर्ष 2008 में 1800 रुपये से बढ़कर करीब 2500 रुपये पहुंच गया है और इसके प्रबंधन को लगता है यह बढ़कर 2800 रुपये केआसपास पहुंच सकता है। इसका कारण यह है कि डिश टीवी अपने सेट-अप बॉक्स को एंटी प्वांइट के साथ कम करके 2000 रुपये से नीचे कर रहा है।
इधर जबकि उपभोक्ताओं की तादात बढ़ती ही जा रही है, डीलरों को दिए जा रहे अधिक कमीशन और विज्ञापनों पर हो रहे अधिक खर्च के कारण पिछले साल कपंनी को 414 करोड रुपये का घाटा हुआ है। कपंनी का मार्केट शेयर भी पिछले कुछ सालों में घटा है। हालांकि कंपनी केपास करीब 40 लाख उपभोक्ता हैं लेकिन प्रतियोगिता और ज्यादा तीक्ष्ण होता जा रहा है।
ऑटो कंपनियां: मिश्रित संकेत
स्प्लेंडर और पैशन-प्लस मॉडल के बाजार में बेहतर प्रदर्शन करने के साथ ही 10,331 करोड़ रुपये वाली कंपनी हीरो होंडा के 2008 की सितंबर तिमाही में उम्दा प्रदर्शन करने की संभावना है।
कंपनी ने सामान्य से 27 से 28 प्रतिशत ज्यादा की बिक्री की है। इस साल जून की तिमाही में भारत की सबसे बड़ी मोटर निर्माता कंपनी की बिक्री में 18 प्रतिशत जबकि ऑपरेटिंग मार्जिन में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की थी। कपंनी अपने प्रतिद्वंदियों के मुकाबले बेहतर कर रही है क्योंकि इसकेपास कई वित्तीय योजनाएं हैं।
कपंनी ने शहरी और ग्रामीण इलाकों दानों में जबरदस्त प्रदर्शन किया जिसके कारण कि मंद पड़े बाजार केबावजूद भी इसने बेहतर प्रदर्शन किया है। इससे बडी बात यह रही कि अगस्त में कंपनी कीमतों में 850 रुपये तक की बढ़ोतरी करने में सफल रही है।
दूसरी तरफ इसकी प्रतिद्वंदी कपंनी बजाज ऑटो अपना मार्केट शेयर खोती जा रही है। बजाज ऑटो के वाल्युम में सितंबर में मात्र 6 प्रतिशत की बढ़ातरी हुई जबकि अपैल-सितंबर 2008 के बीच इसमें 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। चूंकि तिपहियों की बिक्री में तेजी से कमी आ रही है, इस लिहाज से सितंबर में राजस्व के सामान्य रहने की संभावना है।
स्वीफ्ट, डीजायर, और एसएक्स4 के अच्छा प्रदर्शन करने की बावजूद भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारूति सुजुकी का सितंबर तिमाही का प्रदर्शन निराश करनेवाला रह सकता है क्योंकि इसके छोट कारों की कीमतों में 4 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।
जून की तिमाही में मार्जिन में 500 आधार अंकों की गिरावट आई थी और यह सिमटकर 10 प्रतिशत के आसपास रह गई। जहां तक हुंडई की बात है तो यह इसके वॉल्युम में जुलाई में 34 प्रतिशत जबकि अगस्त में 24 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया।
महिन्द्रा के लिए राह आसान नहीं रही और इसके मल्टियूटिलिटी वाहन बोलेरो और स्कॉर्पियो का प्रदर्शन पूरी तिमाही में कमजोर रहा हालांकि सितंबर में प्रदर्शन कुछ बेहतर रहा। हाल में लांच स्कॉर्पियो ऑटोमेटिक को इस त्योहार के समय में खरीददार मिलना चाहिए ट्रैक्टरों की बिक्री में सितंबर में 6 प्रतिशत की गिरावट आई। कंपनी के राजस्व में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है कि लेकिन कच्चे माल की कीमतों के अधिक रहने से मार्जिन में 100-130 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।