देश के सबसे बड़े एक्सचेंज के प्रमुख ने बुधवार को कहा कि डेरिवेटिव्स बरबादी के हथियार नहीं हैं, पर उसे ऐसा बना दिया गया। कम से कम भारत में ऐसा नहीं है। यह अवधारणा इस पर आधारित है कि वैश्विक स्तर पर डेरिवेटिव बाजारों का ढांचा किस तरह बनाया गया, जहां ज्यादातर लेनदेन ओवर द काउंटर होते हैं। बेंचमार्क निफ्टी-50 इंडेक्स के 25 साल और एक्सचेंज के डेरिवेटिव कारोबार की शुरुआत के 20 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह में नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक और सीईओ विक्रम लिमये ने कहा, भारत में इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट की ट्रेडिंग सिर्फ मान्यता प्राप्त एक्सचेंजों पर हो सकती है। सेबी ने ट्रेडिंग के लिए अच्छी तरह से विचार किया गया ढांचा बनाया है, जो एडवांस सांख्यिकी व जोखिम प्रबंधन के उपकरणों का इस्तेमाल अनिवार्य बनाता है। नियामक ने जटिल उत्पाद सामने रखे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मिलते हैं।
लिमये ने कहा, इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट का विकास विभिन्न वर्षो में अंतर्निहित नकदी बाजार के मुताबिक हुआ है। इक्विटी डेरिवेटिव का औसत रोजाना कारोबार साल 2011 के 33,305 करोड़ रुपये के मुकाबले 4.2 गुना बढ़कर साल 2021 में 1.41 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इस अवधि में नकदी बाजार का औसत रोजाना कारोबार 6.2 गुना बढ़कर 69,644 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो साल 2011 में 11,187 करोड़ रुपये था। प्रभावी रूप से इक्विटी डेरिवेटिव व नकदी बाजार का टर्नओवर इस अवधि में 2.98 से घटकर 2.03 रह गया है।
सिंगल स्टॉक डेरिवेटिव्स के लिए दैनिक औसत कारोबार समान अवधि के 16,519 करोड़ रुपये से 5.4 गुना बढ़कर 89,487 करोड़ रुपये पहुंच गया था। नकद बाजार में समान भागीदारी दैनिक औसत कारोबार में 5.5 गुना की वृद्घि के साथ 2011 के 9,391 करोड़ रुपये से बढ़कर 51,775 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
निफ्टी-50 ने पिछले 10 साल में 15.2 प्रतिशत और पिछले 20 साल में 16.8 प्रतिशत का सालाना प्रतिफल दिया। निफ्टी-50 सूचकांक की पेशकश ने 12 जून, 2000 को पेश इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स की पेशकश के अग्रदूत के तौर पर काम किया। इसके बाद सूचकांक विकल्प, शेयर विकल्प और अगले साल शेयर वायदा की पेशकश की गई।
निफ्टी-50 का अब इंडेक्स डेरिवेटिव सेगमेंट में एकाधिकार है और कुल वैल्यू में उसका 95 प्रतिशत से ज्यादा योगदान है।
निफ्टी तरलता, कम प्रभाव लागत और पारदर्शिता की वजह से कारोबारियों और विश्लेषकों के लिए पसंदीदा सूचकांक बन गया है। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा, ‘निफ्टी ने एक प्रमुख इक्विटी सूचकांक के तौर पर लंबा सफर तय किया है। आज, निफ्टी-50 समायोजित बाजार पूंजीकरण के 66 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है और उसे भारतीय इक्विटी बाजार के भरोसेमंद बैरोमीटर के तौर पर देखा जाता है।’
आदित्य बिड़ला सनलाइफ एएमसी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी ए बालासुब्रमण्यन ने कहा, ‘सूचकांक भारतीय बाजार पूंजीकरण के करीब 80 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है और ज्यादातर हमारे जैसे पूंजी प्रबंधक निफ्टी-50 को अपनी स्वयं की योजनाओं को प्रदर्शन के मापक के तौर पर बेंचमार्क के तौर पर देखते हैं।’
सूचकांक को 1,000 से 5,000 तक का सफर तय करने में करीब 12 साल का वक्त लगा। सूचकांक की सर्वाधिक ऊंची वैल्यू 19 अक्टूबर 2021 को (18,604) को दर्ज की गई थी।