इस महीने की शुरुआत में इंट्राडे निफ्टी-50 इंडेक्स 21,744 अंक के निचले स्तर को छू गया था और उस स्तर से 12 फीसदी के तेज सुधार के बाद डिलिवरी आधारित कारोबार इस महीने घटा है। इस महीने एनएसई और बीएसई पर अभी तक के सौदों में से करीब 43.4 फीसदी शेयरों की डिलिवरी हुई है। यह मार्च के 48.4 फीसदी से कम है जो कि मार्च 2017 के बाद का सर्वोच्च आंकड़ा था। तब डिलिवरी आधारित कारोबार 52.6 फीसदी पर था। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान डिलिवरी आधारित कारोबार कुल ट्रेड वाले वॉल्यूम का 44.1 फीसदी रहा है जबकि शेष की इंट्राडे में बिकवाली हुई।
आम तौर पर डिलिवरी आधारित ट्रेड का ज्यादा प्रतिशत संकेत देता है कि बाजार के लंबी अवधि के परिदृश्य को लेकर ट्रेडरों का रुख सकारात्मक है। इंट्राडे ट्रेड तब ऊंचा रहता है जब बाजार में उतार-चढ़ाव होता है और ट्रेडरों को यह पक्का पता नहीं होता सकि शेयरों की दिशा क्या रहेगी। डिलिवरी आधारित कारोबार इसलिए भी बढ़ा है क्योंकि कई शेयरों में इंट्राडे ट्रेड की इजाजतनहीं है और ये शेयर आम तौर पर छोटी कंपनियों के होते हैं।
मार्च में, सेंसेक्स और निफ्टी में क्रमशः 5.8 और 6.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। यह जून 2024 के बाद से उनकी सबसे अच्छी मासिक बढ़ोतरी थी। इस बढ़ोतरी का कारण बेहतर सौदों की तलाश और विदेशी पोर्टफोलियो (एफपीआई) निवेश की वापसी रही। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ से पैदा हुई अनिश्चितता के कारण महीने की शुरुआत में बाजारों में अचानक तेज बिकवाली देखी गई। बाजार के उतार-चढ़ाव की माप करने वाला इंडिया वीआईएक्स मार्च में 9 फीसदी नरम पड़ने के बाद अप्रैल में 37 फीसदी बढ़ा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक और सीईओ धीरज रेली ने कहा, बाजार में उतार-चढ़ाव डिलिवरी आधारित ट्रेडिंग वॉल्यूम पर काफी असर डालता है। उन्होंने मार्च के ऊंचे आंकड़ों के लिए टैक्स हार्वेस्टिंग यानी करों से फायदा उठाने की रणनीति को कारण बताया। कई निवेशक कर को टालने के लिए वित्त वर्ष के आखिरी दिनों के करीब घाटा उठाकर टैक्स बचाने की रणनीति अपनाते हैं। इस रणनीति में पोर्टफोलियो में कहीं और कमाए गए पूंजीगत लाभ से भरपाई के लिए मूल्य में गिरावट वाले निवेशों को बेच दिया जाता है, जिससे आपकी कुल कर देनदारी कम हो जाती है। निवेशक अक्सर पहले बेची गई प्रतिभूतियों को बाद की तारीख में या वैकल्पिक खातों के माध्यम से फिर खरीद लेते हैं जिससे मार्च के दौरान डिलिवरी आधारित लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के व्यापक जवाबी शुल्कों ने वैश्विक व्यापार युद्ध को तेज कर दिया है। इन शुल्कों ने मंदी की आशंकाओं को बढ़ाया जिससे अप्रैल में बाजार में उथल-पुथल फिर शुरू हो गई। चीन के प्रतिशोधी उपायों की घोषणा ने निवेशकों की बेचैनी को और बढ़ा दिया। लेकिन ट्रंप के 90 दिन के विराम की घोषणा करने और व्यापारिक साझेदार देशों के साथ बातचीत के लिए उत्सुकता दिखाने के बाद शेयरों में उछाल आई। ताजा उछाल में निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांकों ने बेंचमार्क निफ्टी 50 सूचकांक से बेहतर प्रदर्शन किया है।
टॉरस फाइनैंशियल मार्केट के सीईओ प्रकर्ष गगडानी ने कहा, पांच महीने की तेज गिरावट के बाद मार्च में बाजार ने भारी बढ़त दर्ज की। इससे कारण डिलिवरी वॉल्यूम में इजाफा हुआ। अप्रैल में व्यापार शुल्कों के आर्थिक प्रभाव की चिंता से अस्थिरता बढ़ी जिससे इंट्राडे वॉल्यूम में इजाफा हुआ और डिलिवरी वॉल्यूम में थोड़ी कमी आई।
विशेषज्ञों ने कहा कि अगर व्यापक बाजार बेहतर प्रदर्शन जारी रखते हैं तो डिलिवरी आधारित सौदे बढ़ सकते हैं। इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी. चोकालिंगम ने कहा, स्मॉलकैप सेगमेंट में बहुत सारे पिटे हुए शेयर हैं और मूल्यांकन के लिहाज से उनमें खरीदारी का मौका है। कई सेक्टर में लार्जकैप ने एक अंक में बढ़ोतरी दर्ज की है। स्मॉलकैप में बेहतर बढ़त वाला शेयर मिल सकता है। इसके अलावा, इंट्राडे ट्रेडिंग के अवसर केवल लार्ज मिडकैप और लार्जकैप में ही उपलब्ध हैं। यहां तक कि अल्पावधि में लाभ कमाने के लिए भी आपको स्मॉल कैप में डिलिवरी लेनी चाहिए।