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नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) ने 500 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग पक्की कर ली है। इस फंडिंग में मार्केट मेकर सिटाडेल सिक्योरिटीज, हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग फर्म टावर रिसर्च और अमेरिका की निवेश फर्म अकेशिया पार्टनर्स जैसी कंपनियां शामिल हुईं।
जानकार सूत्रों ने बताया कि इसमें शामिल होने की पुष्टि करने वाले प्रमुख संस्थागत निवेशकों में ग्रो, कोटक लाइफ इंश्योरेंस और जेएम फाइनैंशियल शामिल हैं। उन्होंने बताया कि उसने विभिन्न ब्रोकरों, अमीर निवेशकों, निजी इक्विटी फंडों और अन्य निवेशकों से प्रतिबद्धताएं हासिल की हैं। इक्विटी बाजार में उतरने के लिए एनसीडीईएक्स का इरादा 750 करोड़ रुपये जुटाने का है।
सिटाडेल सिक्योरिटीज और टावर रिसर्च ने एक्सचेंज में अल्पमत हिस्सेदारी के लिए क्रमशः 17 करोड़ रुपये और 34 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। यह रकम विशेष रूप से एनसीडीईएक्स के इक्विटी कारोबार के निर्माण के लिए निर्धारित की गई है।
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इन प्रतिबद्धताओं पर गुरुवार को एनसीडीईएक्स की निदेशक मंडल की बैठक के दौरान चर्चा की गई और इन्हें 1 सितंबर को शेयरधारकों की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। इस बारे में जानकारी के लिए एनसीडीईएक्स को ईमेल किए गए प्रश्नों का जवाब नहीं मिला।
बाजार विशेषज्ञों ने कहा कि सक्रिय भागीदारी और मजबूत लाभप्रदता के कारण भारतीय स्टॉक एक्सचेंज आकर्षक निवेश स्थल बने हुए हैं, भले ही नियामकों ने अत्यधिक सटोरिया गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए अभियान शुरू कर रखा है।
रकम जुटाने के नए दौर के साथ एलआईसी, नाबार्ड और पंजाब नैशनल बैंक जैसे मौजूदा संस्थागत निवेशकों की शेयरधारिता आनुपातिक रूप से कम हो जाएगी। एनसीडीईएक्स को इक्विटी सेगमेंट में प्रवेश के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से सैद्धांतिक मंजूरी पहले ही मिल चुकी है।
बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए हालिया साक्षात्कार में एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक और सीईओ अरुण रस्ते ने संकेत दिया था कि एक्सचेंज को चालू वित्त वर्ष के अंत तक सेबी की अंतिम मंजूरी मिलने की उम्मीद है और अगले साल अगस्त तक इसे लॉन्च करने की योजना है। इस लॉन्च में कैश सेगमेंट को प्राथमिकता दी जाएगी। उसके बाद डेरिवेटिव को जो डेटा-आधारित विश्लेषण के आधार पर होगा।