इक्विटी नकद और वायदा खंड के कारोबार का टर्नओवर में जून में क्रमश: आठ प्रतिशत और नौ प्रतिशत की महीना-दर-महीना (एमओएम) गिरावट आई है। वॉल्यूम में इस गिरावट के लिए विशेषज्ञों ने पीक मार्जिन के नए नियमों को जिम्मेदार ठहराया है और बाजार में साइडवेज मूवमेंट को इसकी वजह के तौर पर देखा जा रहा है। इस बीच ऑप्शन खंड में औसत दैनिक कारोबारी टर्नओवर (एडीटीवी) महीना-दर-महीना छह प्रतिशत बढ़ा है।
सैमको सिक्योरिटीज की इक्विटी रिसर्च प्रमुख निराली शाह ने हालिया नोट में कहा है कि वॉल्यूम में इस गिरावट का जिम्मेदार मुख्य रूप से या तो पीक मार्जिन के नए नियमों की अपेक्षाएं हैंं या मौजूदा स्तरों पर निवेशकों का कम होता विश्वास है, जो निफ्टी 50 के 15,800 के निशान को छूने और उन स्तरों को बनाए रखने में सक्षम नहीं होने से उचित स्पष्टीकरण प्रतीत होता है। 75 प्रतिशत पीक मार्जिन के नियम 1 जून से लागू हुए हैं। ब्रोकिंग उद्योग के भागीदारों ने प्रणाली में फायदा उठाने वाले दांव को कम कर दिया है। इसका असर मुख्य रूप से वायदा खंड में ही अनुभव किया जा रहा है। एक अनपेक्षित परिणाम यह हुआ है कि कारोबारियों ने अधिक जोखिम वाले विकल्प खंड की आरे रुख कर लिया है।
ये नियम चरणबद्ध तरीके से लागू किए जा रहे हैं, जो दिसंबर 2020 से शुरू हुए थे। दिसंबर 2020 और फरवरी 2021 के बीच कारोबारियों को पीक मार्जिन का कम से कम 25 प्रतिशत स्तर बनाए रखना था। मार्च और मई के बीच इस मार्जिन को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया था। अगस्त तक इसे बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है और अंत में 1 सितंबर से 100 प्रतिशत तक कर दिया गया है।