सरकार ने सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स रेग्युलेशन ऐक्ट (SCRA) में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। इसके बाद ब्रोकरों को अपनी सरप्लस नकदी के इस्तेमाल में और लचीलापन मिल जाएगा। अभी एससीआरए के नियम-8 के तहत ब्रोकर प्रतिभूतियों या कमोडिटी डेरिवेटिव के अलावा किसी अन्य कारोबार में नहीं उतर सकते।
हालांकि अन्य कारोबार शब्द को स्पष्ट तौर पर पारिभाषित नहीं किया गया है, जिससे निवेश के लिए ब्रोकरों की क्षमता पर पाबंदी और भ्रम पैदा होता है।
आर्थिक मामलों के विभाग ने इस पर परामर्श पत्र जारी कर प्रस्तावित संशोधनों पर राय मांगी है। परामर्श पत्र कहता है कि ब्रोकरों को उचित निवेश और कारोबारी गतिविधियों की इजाजत मिले, लेकिन इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि क्लाइंटों की रकम का किसी और काम में इस्तेमाल नहीं हो।
सरकार का मानना है कि समूह कंपनियों में निवेश समेत ब्रोकरों को अन्य निवेश से रोकना उन्हें अपनी आय का इस्तेमाल करने की क्षमता पर बेवजह की पाबंदी होगी।
प्रस्तावित संशोधन का लक्ष्य यह स्पष्ट करना है कि ब्रोकरों के निवेश को तब तक कारोबार नहीं माना जाएगा जब तक कि उनमें ग्राहकों का धन, ग्राहक प्रतिभूतियां शामिल न हों और कोई वित्तीय देनदारी भी न बने। यह बदलाव ब्रोकरों को ज्यादा वाणिज्यिक लचीलापन मुहैया कराने के साथ बाजार की अखंडता को संतुलित करने के लिए है।