Indian stock market 2025 outlook: भारतीय शेयर साल 2025 में नरम रिटर्न मिल सकता है। इसकी वजह ब्रोकरेज ने आय वृद्धि को लेकर अनिश्चितता और ऊंचे मूल्यांकन का हवाला दिया है, भले ही भारत के बुनियादी तत्व मजबूत हों। यूबीएस ने मंगलवार को ऊंचे मूल्यांकन और दरों में आक्रामक कटौती करने की भारतीय रिजर्व बैंक की सीमित क्षमता के कारण भारतीय बाजार की रेटिंग में कमी की संभावना पर चेतावनी दी।
नोमुरा ने पिछले सप्ताह भी इसी तरह की चिंता व्यक्त की थी जिसमें कहा गया था कि भारतीय बाजार को धीमी गति से बढ़ते आर्थिक आंकड़ों और कमाई चक्र के बीच रेटिंग घटने के अल्पावधि जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। देसी ब्रोकरेज कंपनी कोटक सिक्योरिटीज ने मंगलवार को दिसंबर 2025 के लिए निफ्टी का लक्ष्य 26,100 तय किया जो मौजूदा स्तर से 6 फीसदी की बढ़ोतरी है।
उभरते बाजारों के लिए साल 2025 का दृष्टिकोण साझा करते हुए यूबीएस में उभरते बाजारों की रणनीति के प्रमुख माणिक नारायण ने कहा कि हालांकि कई संरचनात्मक दीर्घकालिक सकारात्मकताएं हैं लेकिन हम भारत को अमेरिका के बाहर सबसे महंगे बाजारों में से एक के रूप में देखते हैं। हमें अगले साल गिरावट की आशंका है।
नारायण ने कहा कि घरेलू क्षेत्र के लिए बचत दर में गिरावट का मतलब है कि आक्रामक रूप से दरों में कटौती करने की क्षमता में आरबीआई के लिए चुनौती है। नारायण ने कहा कि हालांकि आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती की है, लेकिन केंद्रीय बैंक आक्रामक तरीके से मौद्रिक सहजता लाने में तब तक चुनौतीपूर्ण स्थिति में है जब तक कि अर्थव्यवस्था बदतर स्थिति में न आ जाए।
इसके अलावा हाल के वर्षों में मजबूत खुदरा निवेश ने पहले से ही इक्विटी के मूल्यांकन को कुछ सहारा दिया है जिससे आगे बढ़ने की गुंजाइश सीमित हो गई है। उन्होंने कहा कि उन्हें बाजार की रेटिंग में और गिरावट की आंशका दिख रही है। पिछले हफ्ते नोमुरा ने भी कहा था कि 2025 में एशिया को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन बहुत निराशावादी होने की नहीं।
उसने सतर्कता वाले कारणों के रूप में भूराजनीतिक तनाव में इजाफे, कम सहायक मौद्रिक नीतियों और चीन के नियंत्रित राजकोषीय प्रोत्साहन का हवाला दिया था। ब्रोकरेज ने कहा कि अर्थव्यवस्था, आय, सेक्टरोल साइकल, संरचनात्मक वृद्धि की संभावनाएं, भू-राजनीतिक जोखिम और इक्विटी बाजार की तरलता के बीच संतुलन बनाते हुए हम संरचनात्मक रूप से भारत पर ओवरवेट बने हुए हैं।
कोटक सिक्योरिटीज ने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी हुई है जिसका कारण ठोस वृद्धि, स्थिर मुद्रा परिदृश्य और राजकोषीय और मुद्रास्फीति दबाव का प्रबंधन योग्य होना है। लेकिन हाल के तिमाही नतीजों से जून की रिकवरी के विपरीत ग्रामीण मांग में मंदी और शहरी मांग में अप्रत्याशित गिरावट का पता चला है। ब्रोकरेज ने कहा, हमें उम्मीद है कि आने वाली तिमाहियों में भारत की व्यापक आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और मुद्रास्फीति नरम रहने की उम्मीद है। साथ ही त्योहार और शादियां का आय वृद्धि में योगदान देते हैं।
कोटक सिक्योरिटीज को उम्मीद है कि निफ्टी 50 फर्मों के लिए प्रति शेयर आय इस वित्त वर्ष में 4.9 फीसदी बढ़कर 1,036 रुपये हो जाएगी। इसके बाद वित्त वर्ष 26 और वित्त वर्ष में 16.3 फीसदी और 14 फीसदी की वृद्धि होगी। तेजी और मंदी के हालात में घरेलू ब्रोकरेज ने क्रमश: 28,800 और 23,300 का लक्ष्य भी दिया है।