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मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार में हाल की गिरावट का दौर अब समाप्त हो गया है। उनका कहना है कि वे कारक, जिनकी वजह से भारत अन्य उभरते बाजारों की तुलना में पिछड़ रहा था, अब बदल रहे हैं और बाजार में सुधार के संकेत नजर आने लगे हैं।
विश्लेषकों ने सेंसेक्स के लिए तीन संभावित परिदृश्यों की संभावना जताई है। बुल केस में, 30% संभावना के साथ सेंसेक्स जून 2026 तक 1,00,000 के स्तर तक पहुंच सकता है। बेस केस में, 50% संभावना के साथ सेंसेक्स लगभग 89,000 के स्तर पर रह सकता है, जो वर्तमान स्तर से लगभग 6.6% अधिक है। वहीं, बियर केस में 20% संभावना के साथ सेंसेक्स 70,000 तक गिर सकता है, जो वर्तमान स्तर से 16% कम है।
मॉर्गन स्टैनली ने भारतीय शेयरों में इन दस कंपनियों को प्राथमिकता दी है: मारुति सुजुकी, ट्रेंट, टाइटन कंपनी, वरुण बेवरेजेस, रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL), बजाज फाइनेंस, ICICI बैंक, लार्सन एंड टुब्रो (L&T), अल्ट्राटेक सीमेंट और कॉफोर्ज। इन शेयरों में कंपनी का निवेश अधिक रखने की सलाह दी गई है, क्योंकि ये मजबूत प्रदर्शन और अच्छे ग्रोथ संभावनाओं वाली कंपनियां मानी जाती हैं।
Morgan Stanley ने भारतीय शेयर बाजार के बारे में बड़ा अनुमान लगाया है। उनका कहना है कि अब बाजार का रुझान केवल स्टॉक-पिकिंग (कंपनियों का चयन) पर नहीं रहेगा, बल्कि अब यह बड़े आर्थिक आंकड़ों (मैक्रो) पर निर्भर करेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि का चक्र अब तेज होने वाला है। इसका समर्थन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और सरकार की तरफ से की जा रही नीतियों से होता है, जैसे कि ब्याज दर में कटौती, कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में कमी, बैंकों का विनियमन में सुधार, नकदी प्रवाह बढ़ाना, बड़े पूंजीगत खर्च (capex) को पहले लाना और लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये की GST दर में कमी।
इसके अलावा, चीन के साथ रिश्तों में सुधार और चीन की आर्थिक नीतियों में बदलाव, साथ ही संभावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौता भी निवेशकों के मनोबल को बढ़ाएंगे। Morgan Stanley का मानना है कि कोविड के बाद भारत की कड़ी आर्थिक नीतियां अब धीरे-धीरे ढीली हो रही हैं। शेयर बाजार की तुलना में मूल्य सही स्तर पर पहुंच गए हैं और अक्टूबर में इसका निचला स्तर देखा गया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के GDP में तेल की भूमिका कम हो रही है और निर्यात, खासकर सेवा क्षेत्र, का हिस्सा बढ़ रहा है। साथ ही, वित्तीय सुधारों से बचत का असंतुलन कम होगा, जिससे वास्तविक ब्याज दरें स्थायी रूप से कम रहेंगी। कम मुद्रास्फीति और स्थिर आर्थिक वृद्धि का मतलब है कि ब्याज दर और विकास दर में उतार-चढ़ाव घटेंगे।
Morgan Stanley का निष्कर्ष है कि उच्च विकास, कम अस्थिरता और कम ब्याज दरों के माहौल में निवेशक धीरे-धीरे इक्विटी (शेयर) की ओर बढ़ेंगे। इससे बाजार में P/E (प्राइस-अर्निंग्स) अनुपात बढ़ सकता है और घरेलू निवेशक शेयर बाजार में अधिक पैसा लगाएंगे।
मॉर्गन स्टैनली ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के लिए सबसे बड़ा खतरा दुनिया की धीमी आर्थिक वृद्धि और बढ़ते अंतरराष्ट्रीय तनाव से है।
हालांकि, विशेषज्ञ देसाई और पारेख को उम्मीद है कि कुछ सकारात्मक कदम अर्थव्यवस्था और बाजारों को बढ़ावा दे सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि विदेशी निवेशक (FPI) अभी कम स्तर पर हैं। अगर निवेशक फिर से शेयर खरीदना शुरू करें तो इसके लिए भारत की आर्थिक वृद्धि में सुधार या दूसरे देशों के बाजारों में कमजोरी जरूरी है। साथ ही कंपनियों द्वारा नए शेयर जारी करने की संख्या बढ़नी चाहिए।
फिर भी, धीमी वैश्विक वृद्धि और अंतरराष्ट्रीय तनाव को भारतीय बाजारों के लिए मुख्य जोखिम माना जा रहा है।