दूसरी तिमाही के नतीजों के बाद ब्रोकरेज हाउस नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने सुजलॉन एनर्जी (SUEL) पर अपनी रिपोर्ट में ‘होल्ड (HOLD)’ रेटिंग बरकरार रखी है और 12 महीने का टारगेट प्राइस ₹66 तय किया है। कंपनी का शेयर फिलहाल ₹60 पर है। यानी 10% रिटर्न का अनुमान है।
सुजलॉन एनर्जी ने Q2FY26 में बहुत अच्छा काम किया। कंपनी ने 565 मेगावाट काम पूरा किया, जबकि अनुमान सिर्फ 375 मेगावाट था। इससे कंपनी की मुनाफे की दर (ऑपरेटिंग मार्जिन) बढ़कर 18.6% हो गई (पहले 16.2% का अनुमान था)। बेहतर कामकाज के कारण कंपनी का EBITDA (ऑपरेटिंग मुनाफा) पिछले साल से 145% बढ़कर ₹7,200 करोड़ हो गया। कंपनी का शुद्ध मुनाफा (PAT) भी बहुत बढ़ा। 539% की बढ़त के साथ यह ₹12,800 करोड़ पहुंच गया। इस बढ़त का बड़ा कारण था ₹7,200 करोड़ का “डिफर्ड टैक्स एसेट (DTA)” बनना। इसका मतलब है कि FY26 में कंपनी को लगभग टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन FY27 में टैक्स ज्यादा देना पड़ेगा। मैनेजमेंट का कहना है कि FY28 के बाद और ₹20,000 करोड़ का DTA बनाया जा सकता है, जो पुराने घाटों से जुड़ा होगा।
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कंपनी की कमाई (Revenue) दूसरी तिमाही (Q2) में करीब ₹38,700 करोड़ रही, जो पिछले साल की तुलना में 84% ज्यादा है। कंपनी के पास अभी 6.2 गीगावाट (GW) का ऑर्डर बुक है। यानी आने वाले 2 से 2.5 सालों तक उसे काम मिलने की पूरी उम्मीद है। सुजलॉन का लक्ष्य है कि FY26 में वह 2.75GW काम पूरा करे, और FY27 व FY28 में हर साल करीब 3.2GW डिलीवरी करे। सीधी भाषा में कहें तो, कंपनी के पास काम की कोई कमी नहीं है और आने वाले कुछ सालों तक इसकी कमाई मजबूत रह सकती है।
सुजलॉन ने घोषणा की है कि राहुल जैन 15 दिसंबर 2025 से नए मुख्य वित्त अधिकारी (CFO) बनेंगे। उनके पास 20 साल से अधिक का अनुभव है।
नुवामा का मानना है कि सुजलॉन एनर्जी को आने वाले समय में सरकारी और हाइब्रिड प्रोजेक्ट्स से अच्छा फायदा मिलेगा। कंपनी के पास कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल (C&I) ग्राहकों की मजबूत हिस्सेदारी है- करीब 54%। लेकिन नुवामा का यह भी कहना है कि सुजलॉन की बाज़ार हिस्सेदारी (Market Share) लगभग 30–35% पर ही टिक सकती है, क्योंकि आने वाले सालों में सोलर और बैटरी स्टोरेज (BESS) प्रोजेक्ट्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा बढ़ने वाली है।
नुवामा ने कहा है कि सुजलॉन एनर्जी में फिलहाल सीमित अपसाइड (limited upside) दिख रही है। इसलिए ‘होल्ड’ रेटिंग बरकरार रखी गई है और टारगेट प्राइस ₹66 तय किया गया है (पहले ₹67 था)। मुख्य जोखिम (Risk) यह है कि अगर पवन ऊर्जा क्षेत्र की वृद्धि उम्मीद से ज्यादा तेज होती है और सुजलॉन हर साल 3.5 गीगावाट (GW) से अधिक डिलीवरी करने में सफल रहती है, तो कंपनी के शेयर (Stock) में और बढ़त की संभावना बन सकती है।
(डिस्क्लेमर: यहां स्टॉक में खरीदारी की सलाह ब्रोकरेज ने दी है। बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधित फैसले करने से पहले अपने एक्सपर्ट से परामर्श कर लें।)