प्रमुख सूचकांक नए साल के पहले सप्ताह तेजी के साथ बंद हुए, क्योंकि कई आर्थिक आंकड़ों उन्हें महामारी के बावजूद अर्थव्यवस्था की मजबूती को लेकर आश्वस्त बना दिया है। सप्ताह के दौरान, सेंसेक्स 2.6 प्रतिशत चढ़ा, जो वर्ष 2012 के बाद से किसी वर्ष के पहले सबसे अच्छे पांच कारोबारी सत्र साबित हुए हैं।
हालांकि अनुमान के मुकाबले तेज वृद्घि के लिए फेडरल रिजर्व की योजनाओं और कोविड मामलों की संख्या में अचानक उछाल से अस्थिरता को बढ़ावा मिला और सप्ताह के बाद के हिस्से में सूचकांकों ने बढ़त दर्ज की। शुक्रवार को प्रमुख सेंसेक्स 143 अंक या 0.2 प्रतिशत की तेजी के साथ 59.745 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 67 अंक या 0.4 प्रतिशत की तेजी के साथ 17,812 पर बंद हुआ।
बाजार इस उम्मीद के साथ नए साल के पहले सप्ताह मजबूती के साथ शुरू हुआ कि बढ़ते कोविड मामलों से सख्त लॉकडाउन को बढ़ावा नहीं मिल सकता है। जीएसटी संग्रह एवं पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) आंकड़ों समेत आर्थिक आंकड़ों से निवेशकों को यह आश्वासन मिला है कि आर्थिक सुधार पटरी पर है।
दिसंबर के लिए पीएमआई आंकड़ा 55.5 पर दर्ज किया गया, हालांकि यह नवंबर के 10 महीने ऊंचे स्तर से नीचे आया है। निवेशकों में इसे लेकर उत्साह है कि यह स्तर 50 से ऊपर था, जिससे वृद्घि का संकेत मिलता है। दिसंबर में, जीएसटी संग्रह 1.29 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया था, जो छठा लगातार महीना है, जब यह संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े से ऊपर रहा।
हालांकि फेडरल रिजर्व की रिपोर्टों से पता चलता है कि उम्मीद से पहले दर वद्घि को लेकर उसके प्रमुख अधिकारियों के रुझानों ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। इसके अलावा, भारत में कोविड मामलों में अचानक तेजी, भारत में महामारी से रिकवरी को लेकर आशंकाएं भी बनी हुई हैं। भारत में कोविड-19 में दैनिक मामले 1 लाख के आंकड़े को पार कर गए हैं।
फेडरल के कदम का आकलन करने के लिएनिवेशक अमेरिकी रोजगार आंकड़े पर नजर टिकाए हुए हैं। नॉन-फार्म पेरॉल आंकड़े के अनुमानों से पता चलता है कि अमेरिकी नियुक्तियां दिसंबर में पूर्ववर्ती महीने से दोगुनी हो सकती हैं। हालांकि कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यदि रोजगार आंकड़े अनुमान के मुकाबले कुछ कमजोर रहता है तो नियुक्ति परिदृश्य में थोड़ा बदलाव आएगा।