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बॉन्ड प्रतिफल दो वर्ष के उच्चतम स्तर पर

Last Updated- December 11, 2022 | 10:26 PM IST

10 वर्षीय सरकारी बेंचमार्क बॉन्ड का प्रतिफल आज करीब 6 आधार अंक बढ़कर 24 महीने के उच्चतम स्तर 6.52 फीसदी के करीब पहुंच गया। बीते चार महीने में बॉन्ड प्रतिफल में एक दिन में आई यह सबसे बड़ी तेजी है। देश के राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी तथा मुद्रास्फीति बढऩे के मद्देनजर निवेशक ज्यादा प्रतिफल या ब्याज दरों की मांग कर रहे हैं, जिससे बॉन्ड प्रतिफल बढ़ा है। सोमवार को बॉन्ड प्रतिफल 6.46 फीसदी पर बंद हुआ था। जेएम इंस्टीट्यूशनल इक्विटी में प्रबंध निदेशक और मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘बैंक उधारी और जमा अनुपात बढऩे, मुद्रास्फीति में वृद्घि और अमेरिका में प्रतिफल बढऩे से भारत में कुछ महीनों से बॉन्ड प्रतिफल में तेजी का दबाव बना हुआ था।’ 7 कैपिटल मार्केट्स, जन स्मॉल फाइनैंस बैंक के अध्यक्ष और ट्रेजरी प्रमुख गोपाल त्रिपाठी ने कहा कि बॉन्ड प्रतिफल के 6.5 फीसदी तक बढऩा चकित करने वाला नहीं है। पिछले कुछ दिनों से बेंचमार्क बॉन्ड प्रतिफल में इजाफा हो रहा है। मुद्रास्फीति की चिंता और वैश्विक बाजारों में प्रतिफल बढऩे का घरेलू बाजार पर असर दिखा है। सोमवार को अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल बढऩे से इसमें और तेजी आई है। सोमवार को अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में खासी तेजी आई और यह 1.64 फीसदी पर पहुंच गया। जुलाई 2020 में यह रिकॉर्ड 0.52 फीसदी के निचले स्तर पर आ गया था।
 
हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने बॉन्ड प्रतिफल बढऩे पर चिंता जताई है और कहा कि इससे केंद्र और राज्य सरकार के राजकोषीय घाटे के वित्तपोषण पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। बॉन्ड प्रतिफल ऊंचा रहने से कॉर्पोरेट उधारी पर ब्याज दरें बढ़ जाती हैं और खुदरा ऋण पर भी असर पड़ता है। जबकि रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्घि को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों को कम करने का लगातार प्रयास करता रहा है। बॉन्ड प्रतिफल को लेकर केंद्रीय बैंक और बॉन्ड बाजार के बीच खींचतान भी हुई है। पिछले शुक्रवार को आरबीआई ने 17,000 करोड़ रुपये मूल्य के सरकारी बॉन्ड की नीलामी रद्द कर दी। विश्लेषकों का कहना है कि बॉन्ड निवेशकों द्वारा ज्यादा प्रतिफल पर बोली लगाने की वजह से ऐसा हुआ। इससे एक हफ्ते पहले 25 दिसंबर को आरबीआई ने प्राथमिक डीलरों को बॉन्ड की नीलामी की क्योंकि निवेशक ज्यादा प्रतिफल मांग रहे थे।
 
द्वितीयक बाजार में बॉन्ड प्रतिफल की गणना बॉन्ड की कीमत के आधार पर की जाती है। बॉन्ड की कीमत जब बढ़ती है तो प्रतिफल कम हो जाता है और कीमत घटने पर प्रतिफल बढ़ जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो बॉन्ड धारक जब मौजूदा प्रतिफल से संतुष्ट नहीं होते हैं तो वे बॉन्ड बेच देते हैं और कम प्रतिफल पर राजी होने पर बॉन्ड की खरीद करते हैं। पिछले एक साल में बॉन्ड प्रतिफल में करीब 62 आधार अंक का इजाफा हुआ है और जुलाई 2020 के निचले स्तर 5.76 फीसदी से यह करीब 76 आधार अंक चढ़ा है। इससे अर्थव्यवस्था में उधारी दर बढऩे की आशंका है क्योंकि 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड को ब्याज दर के बेंचमार्क के रूप में माना जाता है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अमेरिकी बाजारों से संकेत लेकर घरेलू बाजार में भी बॉन्ड में तेजी आई है। 
 

First Published - January 4, 2022 | 9:39 PM IST

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