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IPO के लिए 17 वर्षों में सबसे शानदार रही छमाही, 37 कंपनियों ने करीब 32 हजार करोड़ रुपये जुटाए

बाजार में तेजी और मोटी नकदी आने से कंपनियां पूंजी बाजार में उतरने को उत्साहित। जुटाई गई रकम के लिहाज से यह 2022 के बाद दूसरा सबसे अच्छा आंकड़ा है।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- June 24, 2024 | 9:17 PM IST

इन ​दिनों शेयर बाजार ही नए रिकॉर्ड नहीं बना रहा बल्कि आईपीओ बाजार भी कुलांचे भर रहा है। इस सप्ताह बंद होने वाले तीन आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के साथ पहली छमाही इस बाजार के लिए पिछले 17 वर्षों में बेहतरीन रहेगी। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार पहली छमाही के दौरान 37 कंपनियां पूंजी बाजार से 32,000 करोड़ रुपये जुटाने में सफल रहीं। ये कंपनियां को-वर्किंग स्पेस, फर्नीचर रिटेलिंग और ऑनलाइन टिकट बुकिंग जैसे क्षेत्रों से हैं।

साल 2007 में शेयर बाजार में तेजी के दौरान 54 कंपनियों ने पूंजी बाजार से 20,833 करोड़ रुपये जुटाए थे। मगर 2022 में आईपीओ बाजार सबसे बुलंद रहा था, जब 16 कंपनियों ने निर्गम लाकर 40,311 करोड़ रुपये जुटाए थे। उनमें सरकारी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आईपीओ भी शामिल था, जो अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ है। 2022 के बाद दूसरा सबसे अच्छा आंकड़ा इसी साल मिला है।

2022 के आंकड़े से अगर एलआईसी आईपीओ को मिली रकम हटा दें तो आईपीओ बाजार के लिए निर्गम की संख्या और जुटाई गई रकम के लिहाज से सबसे अच्छा साल 2024 ही रहा है। पहली छमाही के दौरान देसी-विदेशी निवेशकों ने जमकर नकदी झोंकी, जिससे पिछले साल की पहली छमाही के मुकाबले निवेश में चार गुना वृद्धि दर्ज की गई। इसके अलावा शेयर बाजार में शानदार मूल्यांकन देखकर कई कंपनी आईपीओ के साथ पूंजी बाजार में दस्तक देने चली आईं।

इस साल आईपीओ का बाजार काफी गरम रहा, जबकि पहले जिस साल चुनाव होते थे, उस साल में आईपीओ बाजार मंद ही रहता था। 2019 की पहली छमाही में महज 8 कंपनियों ने 5,509 करोड़ रुपये जुटाए थे। 2014 के पहले छह महीनों के दौरान एक आईपीओ आया था और 2009 में केवल दो निर्गम के जरिये 302 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।

बैंकरों ने कहा कि पिछले चुनावी वर्षों के विपरीत इस साल चुनाव नतीजे के बारे में अनि​श्चितता काफी कम थी। जेएम फाइनैं​शियल के प्रबंध निदेशक चिराग नेगांधी ने कहा, ‘सरकार के बरकरार रहने में किसी को शक नहीं था। बाजार में कुछ उथल-पुथल थी मगर केंद्र में स्थिरता और नीतिगत निरंतरता के लिहाज से कोई जोखिम नहीं था। इससे आईपीओ लाने वाली कंपनियों ने चुनाव नतीजों का इंतजार नहीं किया क्योंकि उन्हें नतीजे का अनुमान पहले से ही था।’

नेगांधी ने कहा कि अच्छे आईपीओ में निवेश के लिए घरेलू संस्थानों, पारिवारिक कार्यालयों और धनाढ्य व्यक्तियों (एचएनआई) के पास पर्याप्त नकदी उपलब्ध है। इस साल देसी म्युचुअल फंडों ने घरेलू शेयरों में अब तक 1.85 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

नेगांधी ने कहा, ‘कुछ समय के लिए विदेशी निवेशक भी शुद्ध बिकवाल हो सकते हैं, मगर भारत में उनकी तादाद कम नहीं है। अगर उन्हें अच्छा मूल्य दिखता है तो वे इसे खरीद लेते हैं।’ पहली छमाही के दौरान भारती हेक्साकॉम ने अपने आईपीओ के जरिये 4,275 करोड़ रुपये जुटाए जो सबसे बड़ी रकम है। उसके बाद आधार हाउसिंग फाइनैंस ने 3,000 करोड़ रुपये जुटाए। सबसे छोटा आईपीओ विभोर स्टील क्यूब्स का था और उसने पूंजी बाजार से 72 करोड़ रुपये जुटाए।

साल 2023 की पहली छमाही में सौदे का औसत आकार 896 करोड़ रुपये था जो इस साल थोड़ा घटकर 859 करोड़ रुपये रह गया। साल 2024 में अब तक सेंसेक्स में 6.8 फीसदी और निफ्टी में 8.1 फीसदी की तेजी आई है। निफ्टी मिडकैप 100 में 20 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 20.5 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। शेयर बाजार में उतरने वाली नई कंपनियों ने भी निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है। नई सूचीबद्ध कंपनियों पर नजर रखने वाला बीएसई आईपीओ सूचकांक इस साल 21.8 फीसदी बढ़ चुका है।

कुल रकम का करीब एक चौथाई (7,879 करोड़ रुपये) तो वित्तीय कंपनियों ने ही जुटाए। बैंकरों ने कहा कि आम बजट आने से पहले रफ्तार कम हो सकती है मगर दूसरी छमाही में भी संभावित आईपीओ की तादाद काफी अ​धिक है। इस दौरान स्विगी, ह्युंडै इंडिया और ओला जैसी कई प्रमुख कंपनियां अपने आईपीओ के साथ पूंजी बाजार में दस्तक देने की तैयारी में हैं।

First Published : June 24, 2024 | 9:17 PM IST