बड़ौदा बीएनपी पारिबा एसेट मैनेजमेंट इंडिया ने एक नया म्युचुअल फंड लॉन्च किया है, जिसका नाम है बड़ौदा बीएनपी पारिबा हेल्थ एंड वेलनेस फंड। यह एक ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम है, जिसमें निवेश करने का मौका 9 जून से 23 जून 2025 तक मिलेगा। यह फंड उन कंपनियों में निवेश करेगा जो भारत और दुनिया में हेल्थकेयर और वेलनेस सेक्टर की बढ़ती मांग से फायदा उठा सकती हैं।
यह फंड हेल्थ और वेलनेस सेक्टर की लंबी अवधि की ग्रोथ पर दांव लगाता है। भारत में अभी भी प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य खर्च काफी कम है, लेकिन आने वाले समय में इसमें तेज़ी से बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। इसके कई कारण हैं – जैसे लोगों की आमदनी बढ़ रही है, लोग अब सेहत को लेकर ज़्यादा जागरूक हो गए हैं, लोग पहले से ज़्यादा समय तक जी रहे हैं और पुरानी बीमारियां भी पहले से ज़्यादा हो रही हैं।
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इस फंड में निवेश की शुरुआत करना बहुत ही आसान है। अगर आप एकमुश्त यानी लंपसम निवेश करना चाहते हैं, तो ₹1,000 से शुरुआत कर सकते हैं और इसके बाद ₹1 के गुणा में कोई भी राशि जोड़ सकते हैं। वहीं, अगर आप SIP यानी Systematic Investment Plan के ज़रिए निवेश करना चाहते हैं, तो डेली, वीकली या मंथली SIP ₹500 से शुरू की जा सकती है, जबकि तिमाही SIP के लिए ₹1,500 से शुरुआत की जा सकती है। निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
बड़ौदा बीएनपी पारिबा एएमसी के CEO सुरेश सोनी ने कहा कि भारत में औसतन उम्र पहले से तीन गुना बढ़ गई है। इसलिए हर उम्र के व्यक्ति को अब स्वास्थ्य पर अधिक खर्च करने की ज़रूरत है। ऐसे में यह सेक्टर निवेश के लिए बड़ा और लंबे समय तक टिकाऊ अवसर बन सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दशक में दिल की बीमारी, डायबिटीज और कैंसर के मामले 34% से 41% तक बढ़ सकते हैं। इससे साफ है कि भारत में बेहतर इलाज और रोकथाम वाले हेल्थकेयर सिस्टम की जरूरत है, जो इस सेक्टर में निवेश को और जरूरी और फायदेमंद बनाता है।
बड़ौदा बीएनपी पारिबा के इक्विटी CIO संजय चावला ने बताया कि भारत में फार्मा, डायग्नोस्टिक, मेडिकल टेक्नोलॉजी, अस्पताल, इंश्योरेंस और हेल्थ रिसर्च जैसे सेक्टर्स में 100 से ज्यादा कंपनियों में निवेश किया जा सकता है। इनका कुल बाजार अनुमानित रूप से 200 अरब डॉलर का है।
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भारत की फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री दुनियाभर में अपनी मज़बूत पकड़ बना चुकी है। अफ्रीका में इस्तेमाल होने वाली 50% जेनेरिक दवाओं की सप्लाई भारत से होती है, जबकि अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 40% जेनेरिक दवाएं भी भारत से जाती हैं। यूके की 25% दवाएं भारत से आयात की जाती हैं। इतना ही नहीं, भारत के पास दुनिया में सबसे ज़्यादा यूएसएफडीए (USFDA) से मंजूरी प्राप्त दवाएं हैं।
बीएसई हेल्थकेयर इंडेक्स ने पिछले 1, 3, 7 और 15 सालों में बीएसई 500 TRI इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया है। इस ग्रोथ में सभी तरह की कंपनियां – लार्ज कैप, मिडकैप और स्मॉलकैप – शामिल रही हैं।
यह फंड थीमेटिक फंड है और उनके लिए बेहतर है जो कम से कम 3 साल या उससे ज़्यादा का निवेश प्लान रखते हैं। यह फंड आपको भारत में तेजी से बढ़ते हेल्थ और वेलनेस इकोसिस्टम का हिस्सा बनने का मौका देता है।