कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से बैंकिंग शेयरों के प्रदर्शन पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं। फंसे कर्ज में वृद्घि और कमजोर आर्थिक वृद्घि की आशंका से इन शेयरों में नरमी दिखी है।
निफ्टी बैंक सूचकांक फरवरी में अपने ऊंचे स्तर से 15 प्रतिशत टूट चुका है और उसका प्रदर्शन निफ्टी के मुकाबले कमजोर रहा है। इस अवधि में निफ्टी में 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
यदि कोविड-19 की स्थिति अगले एक या दो महीने भी खराब बनी रहती तो खासकर संस्थागत निवेशकों से भारी बिकवाली देखी जा सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि जहां मुख्य रूप से पीएसयू बैंकों को अब तक गिरावट का सामना करना पड़ा है, वहीं इस तिमाही में निजी क्षेत्र के बैंकों में भी कमजोरी दर्ज की जा सकती है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल शोध के प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘महामारी की दूसरी लहर से परिसंपत्ति गुणवत्ता को लेकर आशंका बढ़ रही है। एसएमई और एमएसएमई को संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है और इन इकाइयों के लिए बैंकों की उधारी एनपीए में तब्दील हो सकती हैं। बैंकों को असुरक्षित या व्यक्तिगत ऋणों को लेकर भी सतर्क रहना होगा, क्योंकि वेतन कटौती या छंटनी की वजह से लोगों की आय पर दबाव पड़ सकता है। वाहन और उपकरण वित्त सेवा से जुड़ीं एनबीएफसी परिसंपत्ति गुणवत्ता पर भी दबाव का सामना कर सकती हैं।’
जसानी के अनुसार, आरबीआई द्वारा 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल को नियंत्रित किए जाने के प्रयासों के बावजूद ब्याज दरें बढ़ रही हैं और इसका बैंकों के डेट निवेश पोर्टफोलियो पर प्रभाव पड़ सकता है। प्रतिफल की सख्ती से पीएसयू बैंकों पर ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है।
आरबीआई के ताजा आंकड़े से पता चलता है कि ऋण वृद्घि में अर्थव्यवस्था के खुलने के बाद से धीरे धीरे सुधार आया है और यह फरवरी 2021 तक करीब 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो अक्टूबर 2020 में 5.6 प्रतिशत थी।
आईसीआईसीआई डायरेक्ट रिसर्च द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चूंकि महामारी फिर से बढ़ी है और कई जगह लॉकडाउन लगाया गया है, इसलिए ऋण रिकवरी में विलंब की आशंका बढ़ी है। इसलिए प्रबंधन द्वारा पेश वृद्घि के परिदृश्य पर नजर रखने की जरूरत होगी। इसके अलावा, आंशिक लॉकडाउन के प्रभाव का आरंभिक आकलन (खासकर एमएसएमई और माइक्रोफाइनैंस सेगमेंटों पर) चर्चा में बना रहेगा क्योंकि इससे आगामी आय परिदृश्य के लिए आधार तैयार होगा।’
क्रेडिट सुइस का कहना है कि आईटी और इंडस्ट्रियल को छोड़कर, कई क्षेत्रों ने साल में अब तक पीई मल्टीपल में कमी दर्ज की है और बैंकों, एनबीएफसी, दूरसंचार और डिस्क्रेशनरी में रेटिंग में गिरावट आई है।