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NSE कंपनियों का ऑडिट शुल्क 6% बढ़ा, ‘बिग फोर’ की हिस्सेदारी 27%

NSE audit fee: वित्त वर्ष 2023 में कुल भुगतान 1,738 करोड़ रुपये

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राघव अग्रवाल   
Last Updated- May 01, 2024 | 11:43 PM IST

एनएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का ऑडिट शुल्क भुगतान वित्त वर्ष 2023 में 1,738 करोड़ रुपये रहा। यह जानकारी प्राइमइन्फोबेस डॉटकॉम के आंकड़े से मिली। इसके अनुसार इससे पिछले वर्ष में चुकाए गए 1,638 करोड़ रुपये के मुकाबले यह 6.10 प्रतिशत अधिक है। यह आंकड़ा उन 1,847 कंपनियों पर आधारित है जिनका ऑडिट शुल्क का रिकॉर्ड उपलब्ध है।

वैश्विक रूप से ‘बिग फोर’ की ऑडिट फीस में 27 फीसदी हिस्सेदारी थी। इसमें ईवाई ग्रुप 145.44 करोड़ रुपये के साथ आगे रहा। इसके बाद केपीएमजी ग्रुप के लिए यह आंकड़ा 135.65 करोड़ रुपये और डेलॉयट के लिए 134.14 करोड़ रुपये था। प्राइस वाटरहाउस ग्रुप और ग्रांट थॉर्नटन ग्रुप 61.26 करोड़ रुपये और 56.56 करोड़ रुपये की भागीदारी के साथ चौथे नंबर पर रही।

भारत में औसत ऑडिट फीस वित्त वर्ष 2023 में प्रति कंपनी 93 लाख रुपये थी जो वित्त वर्ष 2022 के 91 लाख रुपये की तुलना में अधिक है। वर्ष 2023-24 के लिए कंपनियों द्वारा दी गई ऑडिट फीस का रिकॉर्ड फिलहाल सार्वजनिक रुप से उपलब्ध नहीं है। आंकड़ों से पता चलता है कि एनएसई कंपनियों द्वारा चुकाई गई कुल फीस (अन्य सेवाओं के लिए ऑडिट और फीस समेत) वित्त वर्ष 2023 में 5.9 प्रतिशत बढ़कर 2,043 करोड़ रुपये हो गई जो वित्त वर्ष 2022 में 1,929 करोड़ रुपये थी।

इस शुल्क में बिग फोर की भागीदारी 32 प्रतिशत रही। इसमें 194.95 करोड़ रुपये के साथ ईवाई ग्रुप का भुगतान में दबदबा रहा। केपीएमजी ग्रुप के लिए यह आंकड़ा 185.22 करोड़ और डेलॉयट के लिए 182.08 करोड़ रुपये था। दिलचस्प यह है कि बैंकों ने 2022-23 के दौरान इस भुगतान में बड़ा योगदान दिया। 39 सूचीबद्ध बैंकों ने 925 करोड़ रुपये का शुल्क चुकाया जबकि शेष 1,808 कंपनियों ने 1,118 करोड़ रुपये चुकाए।

बैंकों के 925 करोड़ रुपये के भुगतान में 16 सूचीबद्ध सार्वजनिक बैंकों ने 857 करोड़ रुपये चुकाए और अकेले भारतीय स्टेट बैंक का योगदान 270.79 करोड़ रुपये रहा। इसके बाद बैंक ऑफ इंडिया का योगदान 119.5 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ बड़ौदा का 83.96 करोड़ रुपये रहा।

First Published : May 1, 2024 | 11:35 PM IST