बाजार उन्हें (शेयर बाजार से जुड़े लोगों को) धराशाई नहीं करता बल्कि वे खुद ही इसके लिए जिम्मेदार होते हैं…क्योंकि उनके पास दिमाग होता है, जो उन्हें स्थिर होकर बैठने ही नहीं दे सकता।
– जेसी लिवरमोर
अब लिवरमोर साहब भले ही बाजार को बेवफा न मानकर नुकसान के लिए खुद निवेशकों की आपा-धापी को ही जिम्मेदार मानें, मगर टूटे हुए दिल वाले निवेशकों को यह दर्शन समझाना इस माहौल में जरा मुश्किल तो है ही। और हो भी क्यों न?
जब इस साल 10 जनवरी को 21,106.77 के ऐतिहासिक शिखर पर जाने के बावजूद बंबई शेयर बाजार हिचकोले खा-खा कर निवेशकों को लगातार तगड़ा चूना लगाने में जुट गया हो। निवेशक इसकी बेवफाई से खासे हैरान भी हैं क्योंकि यही वह बाजार है, जिसने 2007 में 40 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न देने वाला अपना मोहिनी रूप दिखाकर खुद उन्हें अपने मोहपाश में बांधा था।
जब तमाम लोग यह सोच कर उसके करीब आने लगे कि इस मोहिनी को अपना बनाकर उनकी तकदीर बदल जाएगी, तो उसने अचानक बेरुखी का रवैया अख्तियार कर लिया। इसकी बेरुखी और हिचकोलों का आलम यह था कि 21 हजार से गिरते-उठते एक बारगी तो यह 14 हजार के स्तर तक भी आ पहुंचा था।
आम आदमी को इस बात से कोई वास्ता नहीं होता कि बाजार का ऊंट किस करवट बैठेगा। उसे तो बस इतना ही जानना होता है कि किस खास शेयर को खरीदना या बेचना है। इसके लिए वह कोई मेहनत नहीं करना चाहता, न ही कोई दिमागी कसरत करना उसे गवारा होता है। उसे हींग लगे न फिटकरी के अंदाज में बस चोखा रंग ही चाहिए। – जेसी लिवरमोर
लिवरमोर साहब कम से कम इस मामले में तो सौ फीसदी सही हैं। बाजार चाहे जितने हिचकोले खा ले, कितनी भी बेवफाई कर ले, इसके दीवाने निवेशकों में एक बड़ी तादाद ऐसे ही लोगों की है, जो इतना होने पर भी अपने दिमाग की बत्ती जलाने से परहेज करते हैं। उन्हें बस मुनाफा चाहिए होता है, मानों कोई अलादीन का चिराग हो, जिसे घिस कर निकलने वाला जिन्न उन्हें इसकी तरकीब बता देगा।
वे यह नहीं समझ पा रहे कि शेयर बाजार में चल रही उठापटक की वजहें आखिर क्या हैं और ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए। दुनियाभर में पड़ रही महंगाई की मार, अमेरिकी मंदी, कच्चे तेल में लगी आग, रुपये में आ रही गिरावट, खाद्यान्न की आसमान छूती कीमतें, विदेशी फंडों की बिकवाली…ये चंद ऐसे कारण हैं, जिसके चलते भारत ही नहीं कई देशों के बाजार धराशाई होते जा रहे हैं।
यह वह बाजार है, जहां आप अगर जीनियस हैं तो भी 10 में से छह बार ही आप का अनुमान सही साबित होगा। और ऐसा तो कभी नहीं होगा कि 10 में से 9 बार भी आप ही सही हों। – पीटर लिंच
सचमुच लिंच महोदय सही फरमाते हैं कि यहां अक्लमंद से अक्लमंद आदमी भी गच्चा खा जाता है। लिहाजा यह मानना कि हर बार आपको मुनाफा ही होगा, बहुत बड़ी नासमझी ही है। वैसे बाजार के चतुर खिलाड़ियों की राय में कोई भी शख्स इस आपा-धापी में पैसे बना सकता है अगर थोड़ी समझदारी से काम ले तो। मसलन, उसे ऐसे माहौल में गिर रहे शेयरों की खरीदारी या फिर अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले क्षेत्रों की ओर रुख कर लेना चाहिए।
केवल वही शेयर खरीदने चाहिए, जिन्हें आप अपने पास रखने में तब भी खुशी महसूस करें, जबकि शेयर बाजार 10 साल के लिए भी बंद हो जाएं। – वॉरेन बफेट
दुनिया के सबसे रईस शख्स और शेयर बाजार के महारथी निवेशक के तौर पर चर्चित बफेट की राय में शेयर बाजार से कमाई का मूल मंत्र धैर्य ही है। अन्य बाजार विश्लेषक भी यही राय दे रहे हैं कि फिलहाल निवेशकों को लंबे समय का निवेश ही मुनाफा दे सकता है। यह लाजिमी भी है क्योंकि बाजार की चाल देखकर अभी और गिरावट की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
मुझे सप्ताहांत के दिनों से बहुत चिढ़ है। क्योंकि इन दिनों शेयर बाजार बंद रहते हैं। – रेने रीविकिन
बहरहाल, बाजार चाहे जितनी बेवफाई करे, चाहे कितनों को बर्बाद करे मगर इसकी मोहिनी अदा ही ऐसी है कि लोग तो फिर भी खिंचे चले आएंगे। इस आस में कि आज नहीं तो कल…फिर से बाजार उन पर भी निगाहे करम करेगा। शायद इसीलिए जनाब रीविकिन ही नहीं, भारत के भी लाखों लोगों को छुट्टी के दिनों से कुछ ऐसी ही चिढ़ होती होगी।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने बाजार के ऐसे ही दीवानों के लिए इस बार की व्यापार गोष्ठी में इस विषय को लिया ताकि इस बेवफाई से भले ही हम उन्हें निजात न दिला पाएं मगर उनका दुख तो साझा कर ही सकते हैं। दुख साझा करने की हमारी यह कोशिश कितनी रंग लाई, इसका फैसला हमारा यह अंक आप तक पहुंचने के बाद ही होगा।
उम्मीद है कि पहले की ही तरह इस बार भी आप हमें न सिर्फ अपनी प्रतिक्रिया से वाकिफ कराते रहेंगे बल्कि इसी जोशो-खरोश से इस मंच पर आकर हमारी हौसला-अफजाई भी करते रहेंगे। आइए देखते हैं क्या कहते हैं हमारे प्रबुध्द पाठक और विश्लेषक, बाजार की इस बेवफाई के बारे में।
म्युचुअल फंड है विकल्प
उन खुदरा निवेशकों के लिए, जो शेयर बाजार को आय का अतिरिक्त जरिया समझते हैं, निस्संदेह शेयर बाजार में आए हिचकोले काफी चौंकाने वाले हैं। बीते कुछ महीनों में शेयर बाजार में काफी उथल-पुथल देखने को मिली है, जो कि किसी भी दृष्टि से आम आदमी के लिए सही नहीं है।
हालांकि ऐसी स्थिति में आम आदमी के लिए म्युचुअल फंड में निवेश करना अच्छा विकल्प हो सकता है। लेकिन इसमें निवेश करने से पहले अच्छी जानकारी होनी बहुत जरूरी है। बाजार से जुड़े विशेषज्ञों सहित केंद्र सरकार को चाहिए कि वे खुदरा निवेशकों को शेयर बाजार से संबंधित सुझाव देने की उचित व्यवस्था करें। – सविता कुमार, वेब प्रबंधक, लखनऊ