इस साल के पहले तीन महीनों में शेयर बाजार की मंदी का सबसे ज्यादा नुकसान अंबानी बंधुओं ने झेला है।
सेंसेक्स की पांच जिन कंपनियों पर इस मंदी की मार सबसे ज्यादा पडी उनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस कम्यूनिकेशंस भी शामिल हैं। जनवरी से मार्च के बीच कंपनियों के साफ होते मार्केट कैप की बात की जाए तो मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज की 89,624 करोड़ की वैल्यू इन तीन महीनों में तरह साफ हो गई।
जिन पांच कंपनियों का मार्केट कैप यानी बाजार पूंजी सबसे ज्यादा घटी है उनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, डीएलएफ और रिलायंस कम्यूनिकेशंस देश के सबसे रईस लोगों यानी मुकेश अंबानी, केपी सिंह और अनिल अंबानी की कंपनी हैं। इन तीन महीनों में रियालिटी सेक्टर की कंपनी डीएलएफ के निवेशकों को कुल 72,848 करोड़ का नुकसान हुआ है यानी कंपनी का मार्केट कैप से इतनी रकम साफ हो गई।
इसके अलावा ओएनजीसी के मार्केट कैप में 54,573 करोड़ रुपए की कमी आ गई। जबकि आईसीआईसीआई बैंक और रिलायंस कम्यूनिकेशंस के मार्केट कैप में क्रमश: 51,425 और 49,079 करोड़ रुपए की कमी आ गई।
टॉरस म्युचुअल फंड के एमडी आरके गुप्ता के मुताबिक ये ऐसे स्टॉक रहे हैं जो अक्टूबर 2007 से जनवरी 2008 के बीच काफी तेजी से चढ़े हैं लेकिन मंदी की मार भी इन्ही कंपनियों को सबसे ज्यादा पड़ी। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योकि बाजार में जब करेक्शन आना शुरू हुआ तो इन कंपनियों की आगे होने वाली ग्रोथ को भी डिस्काउंट कर दिया गया और निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी।
अगर सेंसेक्स के तीस स्टॉक्स की बात की जाए तो इन तीन महीनों में केवल फार्मा सेक्टर की कंपनियां सिपला, रैनबैक्सी और एफएमसीजी सेक्टर की कंपनी हिंदुस्तान यूनीलीवर ही ऐसी कंपनियां रहीं जिन्होने बढ़त हासिल की। बाकी की सभी 27 कंपनियों को करीब 3,600 करोड़ से 89,000 करोड़ के बीच नुकसान हुआ। इस दौरान हिंदुस्तान यूनीलीवर का मार्केट कैप करीब 3278.83 करोड़ रुपए बढ़ गया।जबकि सिपला और रैनबैक्सी का मार्केट कैप क्रमश: 555.73 करोड़ और 481.06 करोड़ बढ़ गया।
आरके गुप्ता के मुताबिक इन तीन कंपनियों के शेयर मंदी के दौरान भी काफी हद तक स्थिर रहे हैं इसीलिए इनमें मुनाफावसूली भी ज्यादा नहीं देखी गई। दूसरी जिन कंपनियों के मार्केट कैप में काफी गिरावट देखने को मिली उनमें सुनील मित्तल की भारती एयरटेल(31,964 करोड़), एल ऐंड़ टी (33,340 करोड़), एनटीपीसी (43,742 करोड़), रिलायंस एनर्जी (20,889 करोड़) और स्टेट बैंक (23,808 करोड़) प्रमुख हैं।
इनके अलावा बड़ी आईटी कंपनियों को भी रुपए की कीमत में आई तेजी की वजह से काफी नुकसान झेलना पड़ा है।देश के सबसे बड़े सॉफ्टवेयर एक्सपोर्टर टीसीएस का मार्केट कैप इस दौरान 26,661 करोड़ घट गया जबकि इंफोसिस और विप्रो का मार्केट कैप क्रमश: 19,238.26 करोड़ और 14,612.66 करोड़ रुपए घट गया। हालांकि सत्यम को उतना नुकसान नहीं हुआ और उसका मार्केट कैप केवल 3619.96 करोड़ रुपए घटा।
टाटा समूह की कंपनियों में टाटा मोटर्स और टाटा स्टील का मार्केट कैप इस साल के तीन महीनों में 22,246 करोड़ (दोनों मिलाकर) घट गया। इसमें टाटा स्टील का नुकसान 17,672 करोड़ था जबकि टाटा मोटर्स के निवेशकों को 4574 करोड़ की मार झेलनी पड़ी थी।