Mumbai Heat wave: मुंबई और आसपास के इलाकों में चुनावी गर्मी भले खत्म हो गई है लेकिन राजनीतिक उमस राजनीतिकों को परेशान कर रही है तो चिलचिलाती धूम और उमस भरा मौसम मुंबईकरों को परेशान कर रहा है। फिलहाल कुछ दिनों तक उमस भरी गर्मी से राहत नहीं मिलने वाली है।
राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों में हीट स्ट्रोक और डायरिया के मरीज बढ़ रहे है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रशासन लोगों से सावधानी बरतने की सलाह दे रहा है।
मॉनसून के चलते मुंबई में उमस बढ़ी
क्षेत्रीय मौसम विभाग अधिकारी सुषमा नायर ने कहा कि मुंबई, पालघर, ठाणे जिलों में गर्म और उमस भरे मौसम के कारण असुविधा महसूस हो सकती है।
डॉक्टरों का कहना है कि मुंबई और आसपास के इलाकों का औसत तापमान 35 डिग्री के आसपास है देश के अन्य हिस्सों में इतना तापमान ज्यादा नहीं होता लेकिन मुंबई में ह्यूमिडिटी ज्यादा होने के कारण यहां लोग डिहाइड्रेशन के शिकार हो रहे हैं। जैसे-जैसे मॉनसून का मौसम नजदीक आएगा हवा में नमी बढ़ेगी है। इससे मुंबईकर और परेशान होगे। ऐसे में सावधान रहने की जरुरत है।
अस्पतालों में मरीजों की बढ़ी संख्या
महाराष्ट्र सहित देश के बाकी हिस्सों में गर्मी चरम पर है। इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। राज्य स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले ढाई महीने में हर रोज औसतन 3 लोग हीट स्ट्रोक का शिकार हुए हैं। इस वर्ष राज्य के कई जिलों में हीट वेव (Heat wave) चली और पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया।
भीषण गर्मी से मुंबई सहित राज्य के अन्य जिलों में लोग प्रभावित हैं। महाराष्ट्र के सरकारी और निजी अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीज बढ़ रहे हैं। हर रोज उल्टी-दस्त के मामले सामने आ रहे हैं। सबसे ज्यादा बच्चे हीट स्ट्रोक और डायरिया के शिकार हो रहे हैं।
भारत में डायरिया मृत्यु का तीसरा सबसे बड़ा कारण
चिलचिलाती धूप और उमसभरी गर्मी (Hot Summer) में सबसे ज्यादा बच्चे डिहाइड्रेशन (Dehydration) का शिकार हो रहे हैं।
नानावटी मैक्स सुपरस्पेशल्टी हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एवं हेपेटोलॉजी लिवर ट्रांसप्लांट के निदेशक डॉ. विभोर बोरकर ने कहा कि डायरिया से शरीर में तेजी से तरल पदार्थों का नुकसान और इलेक्ट्रोलाइट का असंतुलन से डिहाइड्रेशन हो सकते हैं। ओआरएस (ORS) एक सरल किन्तु शक्तिशाली सॉल्यूशन है जो तरल पदार्थों और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को फिर से पूरा करता है।
विशेषकर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में ज्यादा तेजी से स्वास्थ्यलाभ को बढ़ावा देता है। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि ओआरएस न केवल प्रभावकारी, बल्कि सुरक्षित भी है। इलेक्ट्रोलाइट्स (Electrolytes) का सही मात्र में सेवन डिहाइड्रेशन में ज़रूरी होता है। यह सभी सरकारी स्वस्थ्य केन्द्रों में मुफ्त में दिया जाता है।
डब्लूएचओ द्वारा सुझाया गया ओआरएस लें
डॉ. ललित वर्मा कहते हैं कि डायरिया के बाद होने वाले डिहाइड्रेशन से निपटने के लिए सही तरह के ओआरएस का चुनाव करना ज़रूरी है। ये पेय पदार्थ एक सीमा तक इलेक्ट्रोलाइट्स और पानी की कमी पूरी कर सकते हैं, लेकिन उनमें पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स के तेजी से अवशोषण के लिए ज़रूरी अनुपात में आवश्यक ग्लूकोज़-सोडियम और पोटेशियम का अभाव होता है।
इस प्रकार डिहाइड्रेशन के उपचार के लिए ये अपरिहार्य हैं। तपती गर्मी के दौरान शर्करायुक्त पेय पदार्थ, जो डिहाइड्रेशन के उपचार के लिए नहीं होते हैं।
हर साल लाखों बच्चों को निगल जाती है डायरिया
डायरिया के चलते हर साल देश में करीब 1.5 लाख बच्चों की मौत हो जा रही है। भारत में डायरिया होने पर 60.6% बच्चों को जीवन-रक्षक ओआरएस नहीं मिल पाता है। ओआरएस पानी की कमी वाले बच्चों के तेजी से ठीक होने के लिए सरल, शक्तिशाली घोल है।
गर्मी में खूब पानी पीते रहें, डब्लूएचओ ओआरएस लें। डिहाइड्रेशन के प्रभावकारी उपचार के लिए शर्करायुक्त पेय के बजाय डब्लूएचओ द्वारा स्वीकृत ओआरएस को प्राथमिकता दें।