लगातार महंगी होती स्वास्थ्य सेवा और इलाज के बीच देश में हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) की जरूरत बढ़ती जा रही है मगर पारंपरिक उपचार पद्धति आयुष थेरेपी (Ayush Therapy) में बीमा का कवरेज काफी सीमित होने के कारण इसकी वृद्धि में रुकावट आ रही है।
अलबत्ता आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय और बीमा कंपनियों के साथ मिलकर इन थेरेपी में इंश्योरेंस का कवरेज बढ़ाने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है।
उन्होंने बताया कि इंश्योरेंस कवरेज बढ़ने पर आयुष के ज्यादा से ज्यादा पैकेजों में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलने लगेगी। साथ ही आयुष उपचार को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) में शामिल करने का काम भी अंतिम चरण में है और जल्द ही इसकी घोषणा कर दी जाएगी।
बढ़ेगा इंश्योरेंस कवरेज
हेल्थ इंश्योरेंस करने वाली कंपनियां आम तौर पर ऑपरेशन और इमरजेंसी इलाज के लिए इंश्योरेंस कवरेज पर जोर देती हैं। आयुर्वेद में ज्यादातर मरीज ऐसी बीमारी से ग्रस्त होते हैं, जिनमें ऑपरेशन के बजाय लंबे इलाज की जरूरत पड़ती है। इंश्योरेंस कंपनियां अक्सर इस इलाज के लिए स्टैंडर्ड गाइडलाइंस नहीं होने की बात कहकर पीछे हट जाती हैं।
इन्हीं समस्याओं को दूर करने और आयुष के लिए इंश्योरेंस कवरेज बढ़ाने के मकसद से आयुष मंत्रालय ने बीमा कंपनियों और टीपीए के साथ सोमवार को बैठक की।
बैठक के बाद आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘आयुष उपचार की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इसे सभी के लिए सुलभ बनाना भी बहुत ज़रूरी है। आयुष के क्षेत्र में इंश्योरेंस की मांग बहुत बढ़ गई है और पिछले पांच साल में क्लेम की संख्या छह गुना हो गई है। आगे यह और भी तेजी से बढ़ेगी।’
उन्होंने बताया कि अभी आयुष उपचार के लगभग 300 पैकेज इंश्योरेंस के दायरे में आते हैं मगर कुछ महंगे उपचारों को इंश्योरेंस कवरेज मुहैया कराने के लिए इंश्योरेंस कंपनियों से बात चल रही है। इससे यह थेरेपी लोगों के लिए किफायती भी बनेगी और वे जेब पर बोझ के बगैर इलाज भी करा सकेंगे।
कैशलेस इंश्योरेंस पर जोर
एलोपैथ या सर्जरी आदि में कैशलेस इंश्योरेंस की सुविधा लगातार बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से मरीज उन्हीं की तरफ चले जाते हैं।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी ने कहा, ‘आयुष उपचार को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा में शामिल करने के लिए हम कैशलेस इंश्योरेंस पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। इंश्योरेंस कंपनियों के साथ मिलकर हमारी कोशिश यही है कि टीपीए नेटवर्क के जरिये आयुष थेरेपी के लिए कैशलेस उपचार का दायरा बढ़ाया जाए।’
उन्होंने बताया कि अभी लगभग 10-12 फीसदी क्लेम ही कैशलेस होते हैं मगर इन्हें बढ़ाने के लिए कोशिश चल रही हैं और इंश्योरेंस कंपनियों तथा टीपीए का रुख भी सकारात्मक है। प्रोफेसर नेसारी ने भरोसा जताया कि आने वाले कुछ महीनों में ही आयुष थेरेपी के लिए कैशलेस उपचार की सुविधा खासी बढ़ जाएगी।
इलाज के स्टैंडर्ड गाइडलाइन
इंश्योरेंस कंपनियां इसलिए भी हिचकती हैं कि पूरे देश में आयुष के तहत एक ही बीमारी का अलग-अलग तरीके से इलाज किया जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए आयुष अस्पतालों की रजिस्ट्री बनाई जा रही है।
आयुष मंत्रालय में बीमा के लिए विशेषज्ञों के कोर ग्रुप के चेयरमैन प्रोफेसर बिजॉन कुमार मिश्र ने बताया कि रजिस्ट्री में आने के लिए अस्पतालों को आयुष मंत्रालय द्वारा तैयार स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट गाइडलाइंस का पालन करना होगा। उन्होंने बताया कि इन गाइडलाइंस की इंश्योरेंस कंपनियों से समीक्षा भी कराई जाती है।
कोटेचा ने बताया कि आयुष में हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज बढ़ाने के लिए बीमा नियामक आईआरडीएआई भी पूरी कोशिश कर रहा है। उसने इसी साल एक अधिसूचना जारी की, जो 1 अप्रैल से लागू भी हो गई। इसमें कहा गया है कि किसी एक बीमारी के लिए एलोपैथ और आयुष उपचार के पैकेजों में कोई अंतर नहीं रखा जा सकता।
मंत्रालय का पूरा जोर इस बात पर है कि इंश्योरेंस पैकेजों का स्टैंडर्ड बनाया जाए। साथ ही विदेश की इंश्योरेंस कंपनियों को मेडिकल टूरिज्म के तहत आने वाले आयुष पैकेजों को अपने यहां कवरेज के दायरे में लाने के लिए मनाने का भी काम चल रहा है।