बाजार नियामक SEBI ने वाणिज्यिक रियल एस्टेट प्लेटफॉर्म स्ट्राटा को लेकर निवेशकों को चेतावनी जारी की है, जिसका गठन सुदर्शन लोढ़ा और प्रियंका राठौर ने किया है।
स्ट्राटा ने छोटे व मझोले रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (एसएम रीट) के तौर पर पंजीकरण कराया था, जो सेबी की तरफ से शुरू किया गया अपेक्षाकृत नया फ्रेमवर्क था और इसे रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट (आंशिक स्वामित्व वाला) की पेशकश के लिए बनाया गया था। हालांकि कुछ चिंता और सेबी के साथ चर्चा के बाद स्ट्राटा ने पंजीकरण सरेंडर कर दिया है।
स्ट्राटा को जनवरी में सेबी की मंजूरी मिली थी और उसकी योजना वित्त वर्ष 26 में छह योजना पेश करने की थी। अभी तक उसने कोई एसएम रीट योजना पेश नहीं की है और न ही पहले से मौजूदा किसी फ्रैक्शनल रियल एस्टेट इकाइयों को एसएम रीट फ्रेमवर्क में ले गई थी।
बाजार नियामक ने कहा, स्ट्राटा एसएम रीट ने एसएम रीट के तौर पर पंजीकरण प्रमाणपत्र सरेंडर कर दिया है और वह खुद का प्रतिनिधित्व सेबी विनियमित इंटरमीडियरी या एसएम रीट के तौर पर नहीं करेगी। सेबी ने स्पष्ट किया कि यह फैसला स्ट्राटा एसएम रीट के प्रवर्तकों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही के बाद लिया गया। नियामक ने कंपनी, उसके स्वतंत्र निदेशक, अनुपालन अधिकारियों और ट्रस्टी के साथ चर्चा की। इसके बाद, स्ट्राटा ने अपना पंजीकरण सरेंडर कर दिया।
कानूनी विवाद तमिलनाडु स्थित रियल एस्टेट फर्म के साथ है, जो औद्योगिक व वेयरहाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन के अधिग्रहण व उसे विकसित करती है। मद्रास उच्च न्यायालय के अग्रिम जमानत आदेश के अनुसार, लोढ़ा के खिलाफ कथित तौर पर सेबी अधिकारी बनने और उसके नाम से एक फर्जी ईमेल बनाकर जानकारी मांगने के लिए मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, लोढ़ा के प्रतिनिधियों ने आरोपों से इनकार किया और कहा, चूंकि शिकायतकर्ता मध्यस्थता कार्यवाही और अन्य सिविल कार्यवाही में सफल नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने झूठी शिकायत दर्ज कराई ताकि विवाद को आपराधिक रंग देने के लिए दबाव बनाया जा सके। मद्रास उच्च न्यायालय ने मामले में अग्रिम जमानत दे दी है।
स्ट्राटा ने बुधवार को एक बयान में कहा, चल रहे मामले के मद्देनजर हमने किसी गलती को स्वीकार या अस्वीकार किए बिना सावधानी के तौर पर स्वेच्छा से अपना एसएम रीट लाइसेंस सरेंडर कर दिया है। मौजूदा मुकदमों के खत्म होने के बाद हम भविष्य में नए लाइसेंस के लिए आवेदन करने का इरादा रखते हैं। यह मामला एवरस्ट्रैट के साथ मौजूदा निवेश को प्रभावित नहीं करता है।
स्ट्राटा वर्तमान में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) का प्रबंधन करती है। एसएम रीट के लिए न्यूनतम निवेश 10 लाख रुपये निर्धारित किया गया है।