एसपी समूह ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है कि टाटा बनाम मिस्त्री मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से उसके जैसे अल्पांश शेयरधारकों के अधिकारों का हनन हुआ है। कंपनी ने कहा है कि इस प्रकार की गलतियां कंपनी अधिनियम 2013 में स्थापित वैधानिक सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन पर व्यापक प्रभाव डालेगा। इसलिए यह पुनर्विचार याचिका दायर की गई है।
टाटा समूह के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहे एसपी समूह ने कहा कि बोड रूम में कंपनी प्रशासन संबंधी मानकों को बेहतर करने के लिए व्यापक विचार-विमर्श के बाद कंपनी अधिनियम 2013 को तैयार किया गया था। लेकिन 26 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के कुछ निष्कर्षों से इस कानून में निहित वैधानिक इरादे और कंपनी प्रशासन संबंधी मानक कमजोर होते हें।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपील को खारिज किए जाने और एनसीएलएटी के आदेश को पलटने के बाद पिछले सप्ताह एसपी ग्रुप ने सर्वोच्च न्यायालय में एक पुनर्विचार याचिका दायर की थी। एनसीएलएटी ने मिस्त्री को टाटा समूह के चेयरमैन पद पर बहाल करने का आदेश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मिस्त्री को कानून के मुताबिक चेयरमैन पद से हटाया गया था और मिस्त्री को बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त करना टाटा संस की एक सबसे बड़ी गलती थी।
एसपी समूह ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में एक ओर कहा गया है कि निदेशक को पद से हटाना दमनकारी अथवा पूर्वाग्रहपूर्ण हो सकता है। जबकि दूसरी ओर यह भी कहा गया है कि जहां दमनकारी तरीके से बर्खास्त किया गया हो वहां राहत दी जा सकती है। समूह ने कहा है, ‘यह प्रासंगिक है क्योंकि इन दो दृष्टिकोण में से किसी एक को स्वीकार किया जाना है। ऐसे में एसपी समूह द्वारा उठाए गए मुद्दे इस फैसले के दायरे में होना चाहिए।’
एसपी समूह ने कहा कि इस फैसला के तहत एनसीएलएटी के निष्कर्षों को गलत करार दिए बिना नजरअंदाज किया गया है। जबकि फैसले में स्वीकार किया गया है कि इस प्रकार के निष्कर्षों में कोई भी हस्तक्षेप कानूनी आधार पर ही किया जा सकता है। कंपनी ने कहा है, ‘यहां तक कि टाटा समूह ने अपनी दीवानी अपील में भी यह नहीं बताया था कि एनसीएलएटी का फैसला किस आधार पर गलत था।’
पुनर्विचार याचिका के अुनसार, सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया है कि साइरस मिस्त्री टाटा संस के प्रबंध निदेशक नहीं बल्कि कार्यकारी चेयरमैन थे और इसलिए धारा 105ए के तहत प्रबंध निदेशक को हटाने के लिए शेयरधारकों के प्रस्ताव की आवश्यकता का उल्लंघन नहीं किया गया। एसपी समूह ने कहा है, ‘यह निष्कर्ष रिकॉर्ड और खुद टाटा समूह के पक्ष के विपरीत हैं कि मिस्त्री वास्तव में एक प्रबंध निदेशक थे। इसके अलावा एनसीएलएटी ने यह भी पाया कि मिस्त्री की बर्खास्तगी धारा 118 के प्रावधानों का उल्लंघन करती है।’
